घनानंद का जीवन परिचय ghananand ka jivan parichay
नाम: घनानंद (रीतिमुक्त काव्य धारा के प्रतिनिधि कवि)
जन्म: संवत् 1730 ई
मृत्यु: संवत् 1817 ई
भाषा: फारसी
गुरु: अबुल फजल
घनानंद की शिक्षा
जनश्रुति एवं विद्वानों के आधार पर यह कहा जाता है कि घनानंद जी का जन्म सम्वत् 1746 के आस पास हुआ था । कतिपय विद्वान इनका जन्म सम्वत् 1715, 1630, तथा 1683 मानते हैं । ... आपका जन्म भटनागर कायस्थ परिवार में हुआ, आपकी शिक्षा फारसी भाषा के द्वारा शुरू हुई थी, बचपन से ही आपकी रुचि विद्या अध्ययन की ओर विशेष थी ।
घनानंद की रचनाएँ -
घनानंद की कविताओं को ब्रजनाथ नामक व्यक्ति नें घनानंद कवित्त के नाम से संग्रहित किया था । घनानंद के नाम से लगभग 40 रचनाएँ प्रचलित है जिनमें अधिकांश कवित्त और सवैये है । इन रचनाओं में इश्क लता, यमुना यश, प्रेम पत्रिका, प्रेम पद्धति, गोकुलगीत, छंदाष्टक, नाम माधुरी आदि है । विश्वनाथ प्रसाद मिश्र ने सुजान हित और पदावली को घनानंद की प्रसिद्धि का आधार माना है ।
भाषा शैली -
घनानंद की भाषा परिष्कृत और साहित्यिक ब्रजभाषा है । उसमें कोमलता और मधुरता का चरम विकास दिखाई देता है । भाषा की व्यंजकता बढ़ाने में वे अत्यंत कुशल थे । वस्तुतः वे ब्रजभाषा प्रवीण ही नहीं सर्जनात्मक काव्यभाषा के प्रणेता भी थे ।
साहित्य में स्थान -
घनानंद रीतिकालीन रीतिमुक्त काव्यधारा के शिखर पुरुष हैं । हिन्दी साहित्य में ये 'प्रेम की पीर' के कवि के रूप में प्रसिद्ध हैं । इनका साहित्य कई संवेदनात्मक व शैल्पिक विशिष्टताओं को धारण करता है । “दूसरों के लिये किराए पर आँसू बहाने वालों के बीच यह एक ऐसा कवि है जो सचमुच अपनी पीड़ा में ही रो रहा हैं ।”