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रामचरण कहानी (Ramcharan bhoot Preto ki kahani )

रामचरण कहानी बहुत पुरानी बात है गांव के बाहर एक प्रसिद्ध तालाब था जो काली शक्तियों और भूत प्रेतों के लिए प्रसिद्ध था बताया जाता है । कई साल पहले उस तालाब के स्थान पर एक विशालकाय महल हुआ करता था । लेकिन एक रात वह पूरा महल जमीन के अंदर धंस गया और वहां पर पानी ही पानी जमा हो गया और तब से वह एक तालाब की तरह दिखता है । जिसे लोग मलसागर के नाम से जानते हैं बताया जाता है कि वह जगह श्रापित हो चुकी है जहां पर सोने की मछली आज भी लोगों को दिखती है । राम चरण एक तांत्रिक था जिसकी पत्नी और तीन बच्चों के साथ रहता था । एक ऐसा व्यक्ति था जो चीजों को देख परख कर ही विश्वास करता था वह भूतों पर विश्वास तो करता था लेकिन उसे इस बात पर विश्वास नहीं था कि मलसागर यानी उस तालाब में एक महाशक्तिशाली मछ ।ली और बहुत से भूत प्रेत हैं । उसकी कुछ दोस्तों ने उसे बोला कि तुम तो एक तांत्रिक हो तुम चाहो तो वहां के बारे में सच्चाई जान सकते हो रामचरण को भी यही लगा वह तुरंत अपने घर आता है और अपनी पत्नी को कहता है कि आज रात मैं यहां नहीं रहूंगा मैं आज रात मन सागर जा रहा हूं । यह सुनकर उसकी पत्नी खबर आ जाती है कि बिना वज

सिद्ध बाबा का मंदिर कहानी ( Siddh Baba ka mandir)

सिद्ध बाबा का मंदिर विषय - भूत प्रेतों की कहानी । पात्र - रचना, ज्योति, आकाश, गगन, सेवर, रविंद्र, तांत्रिक और उस्के कुछ साथी । चारों दोस्त अपने अपने काम से निपट कर गगन के घर पहुंचते हैं, और साथ में बैठकर चाय पीते हैं । रचना - यार गर्मियों का पूरा समय निकल गया लेकिन फिर भी काम के कारण हम कहीं घूमने नहीं जा पाए । ज्योति - तुमने बिल्कुल ठीक कहा क्यों ना कहीं घूमने चला जाए । आकाश - वेट वेट! लेकिन हमारे कंस्ट्रक्शन के काम का क्या होगा । ज्योति - यार कभी तो काम की बात बंद कर दिया करो । आकाश - हां क्योंकि तुम्हारा तो काम में मन नहीं लगता । ज्योति - इतने सालों से कमाने जा रहे हो तो बताओ कितने पैसे इकट्ठा किए तुमने । रचना - तुम दोनों फिर से लड़ाई मत करने लगना । गगन - ओके गाइस ! बहुत हुआ, अब मेरी बात सुनो रचना ने ठीक कहा हमें तो घूमने जाने का प्लान बनाना चाहिए । आकाश - यार मैं घूमने जाने के लिए मना नहीं कर रहा हूं लेकिन हमारे काम का क्या होगा । गगन - देख भाई काम तो होता रहेगा लेकिन शायद तुम्हें पता नहीं है की केवल हम दोनों ही घूमने नहीं जा रहा है हमारे साथ

मृत भाषा भाग - 2 ( mrat bhasha 2 )

मृत भाषा (भाग - 2) लगभग डेढ़ घंटे बीतने के बाद नीरज की नींद खुल जाती है वह देखता है कि विशाखा श्रद्धा और अरुण तीनों सोए हुए रहते हैं । नीरज - इनकी तो अभी भी नींद नहीं खुली मुझे गाड़ी चलाना शुरु कर देना चाहिए । इतना कहकर नीरज गाड़ी चलाना शुरु कर देता है थोड़ी ही देर बाद श्रद्धा की नींद खुल जाती है । श्रद्धा - तुम कब उठे । नीरज - मैंने सोचा गाड़ी चलाना शुरु कर देता हूं बाकी सब आराम कर लेंगे । श्रद्धा - तुम्हारी यही बातें तो मुझे बहुत अच्छी लगती हैं जो तुम सबकी फिक्र करते हो । नीरज - हां वैसे यह बात मुझे बहुत से लोगों ने बोली है । श्रद्धा - मैं तो यह सोच कर परेशान हूं कि इन दोनों का क्या होने वाला है ? नीरज - जो भी होगा अच्छा ही होगा मुझे यह बात तो पता है कि अरुण अच्छा लड़का है । श्रद्धा - ओ हेलो मेरी फ्रेंड भी बहुत अच्छी है । कुछ किलोमीटर चलने के बाद विशाखा और अरुण की भी नींद खुल जाती है । विशाखा - यार तुम लोगों ने हमें क्यों नहीं उठाया । अरुण - ऐसा मौका बार-बार कहां मिलता है नीरज अपन दोनों को जगाकर कबाब में हड्डी थोड़ी बनाना चाहता था । श

मृत भाषा कहानी ( mrat bhasha kahani )

मृत भाषा कहानी नीरज और उसके सभी दोस्त नीरज के जन्मदिन पर पार्टी मना रहे थे । विशाखा - यार नीरज ! हम सभी दोस्तों ने मिलकर आज खूब मजे किए । अरुण - यार यह भी कोई मजा है नीरज की गर्लफ्रेंड तो है लेकिन मेरा क्या होगा । नीरज - कैसी बात कर रहे हो श्रद्धा और हम केवल दोस्त है । श्रद्धा - सच में क्या हम केवल दोस्त हैं ? अरुण - हां अब जवाब दे विशाखा - उस बेचारे को इतना भी परेशान ना करो कि वह ब्रेकअप कर ले । नीरज - अब इतना तो चलता है । विशाखा - अरे इन बातों को छोड़कर अपने कॉलेज के बारे में भी सोचो अगर इस बार हमने रिसर्च का काम पूरा नहीं किया तो हम तो फेल हो जाएंगे समझो । अरुण - फिक्र मत करो वैसे भी प्रिंसिपल सर से आज नहीं तो कल शाम ना तो होने ही वाला है उस हिटलर को भी देख लेंगे । नीरज - ठीक है दोस्तों रात बहुत हो गई है अपन चारों को सो जाना चाहिए सुबह जल्दी कॉलेज भी तो जाना है । श्रद्धा - ठीक है विशाखा तुम मेरे साथ चलो । विशाखा - हां चलो । नीरज - चलो बढ़िया है वह तो कल ही पता चलेगा कि हिटलर क्या कहने वाला है । रात बीत जाती है और सुबह सभी दोस्त तैयार होने लगते हैं । अरुण

डायन कहानी (Dayan kahani)

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डायन परिचय - डायन का नाम तो आपने सुना ही होगा ग्रामीण क्षेत्रों में इसे शोधन भी कहा जाता है । यह अक्सर महिलाएं होती हैं जिनके पास बुरी ताकतों और देवता की शक्तियां होती हैं जन्म से कोई भी डायन नहीं होती । इन्हें या तो बनाया जाता है या फिर खुद मर्जी से बनते हैं कोई बदले की भावना से बनते हैं कोई मजबूर होकर बनते हैं । दुनिया में हर बात हर चीज का एक कारण होता है और हमारी दुनिया में डायन का होना भी एक कड़वा सच है । आज से लगभग 1000 साल पूर्व पूर्वजों की कथा चली आ रही है की डायन कोई और नहीं बल्कि रावण के महल से ही आई है । यह वही रावण है जिसका वध श्री राम ने त्रेता युग में किया था बताया जाता है । जब भगवान राम ने रावण का वध किया था तो उस जमाने में अशोक वाटिका और रावण के महल में जो राक्षसी रहती थी केवल वही जीवित बच गई थ ।ी और उनके पास भी मायावी शक्तियां थी जब विभीषण को लंका का राजा घोषित किया गय ।ा विभीषण ने भी उन राक्षसों के बारे में कोई निर्णय नहीं लिया । वह सभी राक्षसी वैसे ही रह रहे थे जैसे वे रावण के समय में रह रहे थे । और त्रेता युग के समाप्त होते हैं उनके कुछ अंश कलयुग में भी आ

भय कहानी (bhay kahani)

भय एक बार की बात है, मैंने भूत प्रेतों के बारे में इंटरनेट पर बहुत कुछ पढ़ा था और तब से इन सबके बारे में जानने में मुझे बहुत रूचि होने लगी । और तभी मेरे साथ कुछ ऐसे हादसे हुए, जिसे मैं आज भी याद करता हूं तो एक भय सा मेरे मन में छा जाता है । मेरे ही मोहल्ले में एक आंटी को अचानक किसी चुड़ैल भूतनी ने अपने वश में कर लिया था । जो बार-बार यह कहकर चिल्ला रही थी, कि मैं इसे मारकर रहूंगी । उस दिन मैं भी यह सब देख कर बहुत डरा हुआ था, लेकिन मैंने हिम्मत नहीं आ रही थी । मैंने उस सच का पता लगाने की कोशिश की और जब मैंने पता किया तुम मुझे जानकारी मिली की उसी के परिवार वालों की जलन की भावना के चलते उस पर जादू टोना कराया गया था । लेकिन मैंने हिम्मत नहीं हारी, लगभग रात की 9:00 बज चुके थे और मैंने तुरंत 108 नंबर डायल किया और एंबुलेंस बुलवाकर, गांव से लगभग 30 किलोमीटर दूर एक अस्पताल में ले गया । एंबुलेंस में वह औरत, मैं और अस्पताल का एक कर्मचारी थे । हमें लगभग 1 घंटे लगे थे हॉस्पिटल पहुंचने में । हॉस्पिटल पहुंचने के बाद मैंने उसका इलाज कराया । बड़ी मशक्कत के बाद वह होश में आई, फिर उसका नाम पूछा गय

सिद्ध बाबा का मंदिर कहानी 2 ( Siddha Baba ka mandir 2)

सिद्ध बाबा का मंदिर कहानी 2 ज्योति - तो चलो इसे खोलते हैं । गगन - ठीक है रचना और ज्योति पहले तुम दोनों ताबीजों को यहां से हटाओ । आकाश - बस कुछ ही देर में इस मंदिर का रहस्य दुनिया के सामने आने वाला है, ज्योति तुम कैमरा तो लाई हो ना । ज्योति - हां मेरे बैग में है । गगन - अच्छी बात है तो तुम वीडियो शूटिंग शुरू कर दो । आकाश और गगन दोनों मिलकर उस दरवाजे को खोल देते हैं ज्योति इस सारी चीजों का वीडियो सूट करती है और चारों दोस्त अंदर की ओर बढ़ते हैं । आकाश - देखा तुम सब ने मैंने पहले ही कहा था जहां पर खजाना ही है । रचना - हां लेकिन कोई खजाने को इस तरह तंत्र मंत्रों से और कविताओं से क्यों बांध कर रखेगा । आकाश - तुम फिल्में नहीं देखती क्या मैंने पहले ही कहा था यह सब यहां के पुजारियों और तांत्रिकों का ढोंग है । ज्योति - सही कह रहे हो यहां पर तो इतना खजाना है, कि हम जिंदगी भर खर्च करेंगे तो भी खत्म नहीं होगा । गगन - तो अब हम क्या करें । ज्योति - हमें फटाफट सारे खजाने को उठाकर गाड़ी में रख देना चाहिए । आकाश - लेकिन गाड़ी तो हम मंदिर के क्षेत्र के बाहर ही छोड़ आ

सिद्ध बाबा का मंदिर कहानी 3( Siddh Baba ka mandir 3)

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