गोदान उपन्यास का सारांश (godan upanyas ka saransh)
"गोदान" उपन्यास प्रसिद्ध कवि - मुंशी प्रेमचंद ने 1936 ई. में इसकी रचना है ।
पात्र - होरीराम , धनिया ,गोबर , सपना ,रूपा,झुनिया,भोला ,रायसेठ ,पंडित जी आदि हैं ।
इस उपन्यास में होरी नाम का एक किसान मेहनत मजदूरी करता है, और अपने परिवार का पेट पालता है । लेकिन भाग्य का मारा होरी बहुत से कर्ज के तले दबा होता है । वह राय सेठ के यहां भी काम करता है । कई वर्षों से होरी की एक ही लालसा होती है, कि उसके घर पर भी एक गाय होनी चाहिए, ताकि उसके बच्चे भी दूध और दही खा सकें । एक बार सड़क पर चलते-चलते होरी को अपना मित्र भोला मिल जाता है । तभी भोला बताता है कि उसके यहां इतनी गाय हो गई है की उसकी देख-रेख करने के लिए कोई नहीं है । भोला की पत्नी भी मर चुकी होती है, और भोला होरी से पुनः एक दुल्हन तलाशने की बात करता है, ताकि वह उससे शादी कर सके । होरी इसी बात का फायदा उठाकर कहता है, कि भोला तुम्हें दुल्हन की तलाश है, और मुझे एक गाय की और वैसे भी तुम्हारे यहां इतनी सारी गाय की देखभाल करने वाला कोई नहीं है । तो अच्छा होगा कि तुम मुझे अपनी एक गाय दे दो और बदले में मैं तुम्हारे लिए दुल्हन अवश्य ही ढूंढ लूंगा । भोला इस बात के लिए मान जाता है और उसे कहता है की दुल्हन वाली बात मत भूलना । इस तरह कई दिन बीत जाते हैं, भोला की विधवा बेटी झुनिया होरी के बेटे गोबर से प्रेम करने लगती है, और गोबर, उसे घर से भगाने का विचार बना लेता है । परंतु वह डर के मारे उसे अपने घर के सामने ही छोड़कर और मां बना कर शहर की ओर भाग जाता है । होरी की पत्नी धनिया धर्म पर चलते हुए उसे बहु स्वीकार कर अपने घर पर रख लेती है । परंतु भोला को यह बात अच्छी नहीं लगती और होरी के सामने शर्त रख देता है कि वह मेरी बेटी नही है, तुम भी उसे अपने घर से बाहर निकाल दो नही तो हमारी मित्रता तो टूटेगी उसके साथ ही तुम्हे मेरी दि हुइ गाय का मुल्य चुकाना होगा लेकिन होरी एसा कुछ भी नही करता और भोला होरी से अपनी गाय के दाम मांगने लगता है । और पंचायत में भी झुनिया के कारण होरी और उसके परिवार की बहुत बेइज्जती होती है । पंचायत में दंड के अनुसार होरी को अपनी खेती की आधी फसल पंचायत को देनी पड़ती है । जोकि गांव के ही कुछ लोगों का षड्यंत्र था । होरी का भाई भी षड्यंत्र कर उसकी गाय को चारे के साथ विष दे देता है और गाय खत्म हो जाती है । और इस तरह होली के पास अब कुछ भी नहीं बच पाता । वह फिर से मजदूरी करने लगता है गोबर के वापस आने के बाद गोबर सब कुछ ठीक करने की सोचता है, वह अपने पिता का सारा कर्ज चुका देता है । लेकिन फिर भी उसके पास पैसे कम पड़ जाते हैं और वह पैसे कमाने के लिए वापस शहर को लौट जाता है । यहां होली की अचानक तबीयत खराब हो जाती है, जिसकी फल स्वरुप होरी की दो बेटियां सपना और रूपा को खेतों में कार्य करना पड़ता है । और कुछ दिन बाद होरी की मृत्यु हो जाती है । उसकी मृत्यु होने के पश्चात पंडित द्वारा यह मांग की जाती है, की होरी की पत्नी धनिया अपनी बिरादरी वालों को भोजन, व क्रिया कर्म करने वाले पंडित को एक गाय दान में देगी । तभी धनिया सोचती है की जीते जी तो उन्हें गाय का सुख प्राप्त नहीं हुआ, और उनकी मृत्यु के पश्चात भी यह पंडित गाय दान में देने को कह रहा है । पंडित बिना गाय लिए क्रिया कर्म करने से मना कर देता है और होरी की पत्नी धनिया वहीं पर बेहोश हो जाती है ।
निष्कर्ष - इस उपन्यास में प्रेमचंद जी ने होरी की लालसा गांव के पूंजीपति लोगों का षड्यंत्र नारी के प्रति लोगों की असम्मान की भावना पंडित जी जैसे लोगों की बनाई हुई कुरीति एक किसान की समस्या वह गरीबों के साथ हो रहे शोषण का चित्रण किया है ।