सिद्ध बाबा का मंदिर कहानी 2 ( Siddha Baba ka mandir 2)


सिद्ध बाबा का मंदिर कहानी 2

ज्योति - तो चलो इसे खोलते हैं ।

गगन - ठीक है रचना और ज्योति पहले तुम दोनों ताबीजों को यहां से हटाओ ।

आकाश - बस कुछ ही देर में इस मंदिर का रहस्य दुनिया के सामने आने वाला है, ज्योति तुम कैमरा तो लाई हो ना ।

ज्योति - हां मेरे बैग में है ।

गगन - अच्छी बात है तो तुम वीडियो शूटिंग शुरू कर दो ।

आकाश और गगन दोनों मिलकर उस दरवाजे को खोल देते हैं ज्योति इस सारी चीजों का वीडियो सूट करती है और चारों दोस्त अंदर की ओर बढ़ते हैं ।

आकाश - देखा तुम सब ने मैंने पहले ही कहा था जहां पर खजाना ही है ।

रचना - हां लेकिन कोई खजाने को इस तरह तंत्र मंत्रों से और कविताओं से क्यों बांध कर रखेगा ।

आकाश - तुम फिल्में नहीं देखती क्या मैंने पहले ही कहा था यह सब यहां के पुजारियों और तांत्रिकों का ढोंग है ।

ज्योति - सही कह रहे हो यहां पर तो इतना खजाना है, कि हम जिंदगी भर खर्च करेंगे तो भी खत्म नहीं होगा ।

गगन - तो अब हम क्या करें ।

ज्योति - हमें फटाफट सारे खजाने को उठाकर गाड़ी में रख देना चाहिए ।

आकाश - लेकिन गाड़ी तो हम मंदिर के क्षेत्र के बाहर ही छोड़ आए हैं ।

गगन - तो एक काम करते हैं, क्यों ना हम इस खजाने को कहीं और छुपा दे ।

ज्योति - तो फिर देरी किस बात की हमारे बैग में जो भी है, वह सामान निकाल कर सारा सोना बैग में भर लो ।

रचना - रुको तुमने उस ताबूत पर ध्यान दिया ।

गगन - कौन सा ताबूत ।

आकाश - अरे वाह ! वो देखो, वह उस ताबूत की बात कर रही है ।

ज्योति - यह तो पूरा हीरा और मोतियों से जुड़ा हुआ है और पूरा सोने का है क्यों ना हम इसे भी साथ ले चलें ।

रचना - यार तुम पागल मत बनो उस ताबूत में किसी की लाश भी तो हो सकती है, तुमने देखा नहीं कितना पुराना दिख रहा है वो ।

आकाश - यार तुम भी ना आज जिंदगी ने हमें एक मौका दिया है, क्यों ना हम एक काम करें उसे खोलकर देखते हैं ।

गगन - हां ठीक है अगर उसमें कुछ होगा तो उसे यही छोड़कर चले जाएंगे ।

ज्योति - आकाश ! इस ताबूत को गौर से देखो यहां पर कुछ लिखा हुआ है कोई प्राचीन भाषा लगती है ।

गगन - यार मुझे तो यह भाषा नहीं आती ।

आकाश - यह तो और भी मजे वाली बात हो गई यहां आकर पढ़े लिखे भी अनपढ़ हो गए ।

रचना - क्या कह रहे हो ? यह प्राचीन भाषा है हमें कैसे समझ आएगी ।

गगन - और क्या तुमने एक बात और नोटिस की ?

रचना - कौन सी ?

गगन - इस ताबूत की लंबाई आम बाबू तुमसे 2 फिट ज्यादा बड़ी है लगभग 8 फिट की है ।

ज्योति - यह बहुत पुराना है, इसका मतलब क्या पुराने लोग हमसे ज्यादा लंबे होते थे ?

आकाश - वह तो इसे खोल कर ही पता चलेगा ।

रचना - मुझे लगता है, पहले यहां जो लिखा हुआ है, हमें उसे समझना चाहिए, कहीं हम इसे खोल कर कोई गलती तो नहीं कर रहे हैं ।

आकाश - तुम इतना क्यों डर रही हो वैसे भी अगर कोई लाश के अंदर होगी भी तो वह पहले ही मर चुका है अब वह हमारा कुछ नहीं बिगाड़ सकता ।

गगन - लेकिन इसे खोलने का कोई तरीका नजर नहीं आ रहा है ।

ज्योति - इस ताबूत पर जो ओम का चिन्ह बना हुआ है, हो सकता है, उससे कुछ हो ।

आकाश - रुको मैं देखता हूं ।

आकाश ओम के चिन्ह को दाई और घुमाता है और ताबूत अपने आप एक विशाल मशीन की तरह चारों ओर से खुल जाता है ।

ज्योति - वाह यार तुमने तो कमाल कर दिया ।

गगन - चलो अब देर मत करो खोलो इसे जल्दी ।

आकाश -चलो सब लोग हाथ लगाओ ।

चारों दोस्त मिलकर ताबूत के ढक्कन को सरकाते हैं ।

ज्योति - हे भगवान इतनी पड़ा शरीर यह कौन हो सकता है ?

रचना - मुझे लगता है जरूर हमने कोई खतरा मोल ले लिया है ।

आकाश - यह शरीर देखने में तो इंसान जैसा है लेकिन यह इस जमाने का तो नहीं लगता ।

आकाश - यार लेकिन कोई इतनी पुरानी लाश को अभी तक संभाल के कैसे रखेगा ?

ज्योति - और यह लाश अभी तक सही भी नहीं है क्या कारण हो सकता है इसका ?

आकाश - चलो दोस्तों आश्चर्य में पढ़ना बंद कर दो इसे उठाकर बाहर निकालते हैं, और ताबूत में सारा सोना भरकर उसे कहीं छुपा देते हैं ।

ज्योति - हम इसे उठा पाएंगे भी या नहीं ?

गगन - कोशिश करते हैं उठाओ सभी लोग ।

विभिन्न प्रयासों के बाद भी वह पार्थिव शरीर को नहीं उठा पाते ।

गगन - आकाश ! मुझे लगता है हमेशा यही छोड़ कर जाना होगा ।

आकाश - सही कह रहे हो, चार लोग मिलकर भी से नहीं उठा पा रहे हैं, अगर यह जिंदा होता तो न जाने क्या होता है ।

ज्योति - तो ठीक है, हम अभी के लिए, अपने बैग में ही सारा सोना भरकर वापस चलते हैं ।

चारों दोस्त बैग में सोना भरकर मंदिर के पिछले द्वार से ही बाहर निकल जाते हैं और जंगल की ओर निकल पड़ते हैं ।

रचना - मुझे लगता है हमें भागते हुए काफी टाइम हो गया है और हमारा कोई पीछा भी नहीं कर रहा है ।

आकाश - हां हमें थोड़ी देर यहीं रुक जाना चाहिए, और आराम कर लेना चाहिए ।

ज्योति - गगन ! तुमने हमारी गाड़ी कहां छुपाई थी ।

गगन - बस थोड़ी देर और हम अपनी गाड़ी के पास पहुंचने ही वाले हैं ।

आकाश - और फिर हम सब घर वापस जा सकते हैं रचना तो बेवजह ही डर रही थी।

रचना - हां शायद तुम ठीक कह रहे हो ।

आकाश - क्या किसके पास पानी है ?

ज्योति - सॉरी आकाश ! खिलाने के चक्कर में मैंने सारा सामान वही छोड़ दिया ।

गगन - कोई बात नहीं गाड़ी में बहुत सा खाना और पानी भी है हम वहां पहुंचने वाले हैं ।

रचना - मुझे लगता है हमें यहां ज्यादा देर नहीं रुकना चाहिए मुझे तो भूख भी लगने लगी है ।

गगन - तो ठीक है हम वापस चलते हैं ।

वे सभी गाड़ी की ओर बढ़ने लगते हैं और गगन को गाड़ी नजर आ जाती है ।

गगन - अरे दोस्तों वह देखो वह रही हमारी गाड़ी ।

ज्योति - थैंक्स गॉड पहले तो चल कर कुछ खा लेना चाहिए ।

आकाश - वह तो हम गाड़ी में चलते चलते ही खा सकते हैं सबसे पहले हमें इस जंगल से निकलना होगा ।

सभी दोस्त जाकर गाड़ी में बैठ जाते हैं ।

आकाश - गगन तुम्हें रास्ता तो याद है ना ।

गगन - हां यार इतने सालों से गाड़ी चला रहा हूं रास्ता क्यों नहीं याद होगा ?

ज्योति - मुझे तो अभी विश्वास नहीं हो रहा है कि हम सब एक ही रात में करोड़पति हो चुके हैं ।

रचना - हां सही कह रही हो शायद मैं भी अब अपनी जिंदगी खुशी से रह सकती हूं ।

( ज्योति फुसफुसा कर रचना से कहती है । )

ज्योति - रचना ! मुझे लगता है, तुम्हें गगन से ही शादी कर लेनी चाहिए, वह गुड लुकिंग भी है, और एक अच्छा लड़का भी है ।

रचना - तुम मजाक तो नहीं कर रही ?, हम केवल एक दोस्त हैं यार ।

आकाश - तो लड़कियों मुझे तुम्हारी बातें सुनाई दे चुकी है ।

गगन - क्या ? कौन सी बातें ? मुझे भी तो बताओ ।

आकाश - भाई क्लाइमैक्स तो आने दे फिर तेरी भी बारी आएगी ।

(सब हंसने लगते हैं)

ज्योति - (फुसफुस कर रचना से कहती है) तो मैंने जो कहा तुमने उस बारे में क्या सोचा है ।

रचना - गगन अच्छा तो है लेकिन क्या वह मानेगा ।

ज्योति - तू फिक्र मत कर, लड़के हमेशा लड़कियों पर फिदा रहते हैं, वह जरूर मानेगा, एक बार ट्राई तो कर ।

रचना - ठीक है, बोलूंगी लेकिन बाद में ।

आकाश - मुझे लगता है ज्योति सही कह रही है, अभी चांस है ।

गगन - यार कोई मुझे भी बताएगा कि तुम लोग किस बारे में बात कर रहे हो ?

ज्योति - (रचना से फुसफुसा कर कहती है) तो अभी मौका है तुम बोलोगी या मैं कुछ करूं ।

रचना - नहीं यार मुझे तो डर लग रहा है ।

ज्योति - गगन ! शायद तुम्हें पता नहीं रचना तुम्हें बहुत ज्यादा पसंद करती है ।

गगन - क्या ? क्या तुम सच कह रही हो ? यह मजाक तो नहीं है ना ?

ज्योति - हां यार ।

गगन - मुझे तो लगता है आज भगवान ने मेरे मन की बात सुन ली ।

आकाश - यार तू भी ।

गगन - हां मैं भी रचना को सबसे पसंद करता हूं जब हम साथ में कॉलेज पढ़ते थे उसके बाद सब अपने-अपने कामकाज में लग गए फिर कभी इसे बोलने का मौका ही नहीं मिला ।

रचना - क्या तुम सच कह रहे हो ?

गगन - हां ।

ज्योति - तब तो यह और भी अच्छी बात हो गई तो गगन अब तो हमें तुमसे पार्टी चाहिए ।

गगन - हां क्यों नहीं, बिल्कुल ।

चारों दोस्त बात करते हुए जंगल कि रास्ते से आगे बढ़ रहे होते हैं तभी गगन ब्रेक लगाकर गाड़ी को रोक देता है ।

आकाश - क्या हुआ ?गाड़ी क्यों रोक दी ?

गगन - सामने देखो ।

ज्योति - यह तो वही तांत्रिक है अब क्या होगा ।

चारों दोस्त डर जाते हैं और गाड़ी से बाहर निकलते हैं ।

आकाश - क्या हो गया है तांत्रिक ! तुम हमारा रास्ता रुक कर क्यों खड़े हो ?

तांत्रिक - अरे मूर्ख ! बच्चे समझ कर हमने तुम सब कुछ जाने दिया था लेकिन अब तुमने वह गलती कर दी है जिससे तुम्हें कोई नहीं बचा सकता ।

गगन - तांत्रिक ! हमें पता चल चुका है कि तुम सब लोगों को बेवकूफ बनाकर ढोंग करते हो ।

आकाश - हां उस मंदिर में क्या था यह तुम भी जानते हो और इसी लिए तुम वहां किसी को आने नहीं देते ।

तांत्रिक - मुझे लगता है धन की लालच में तुम अंधे हो चुके हो ।

आकाश - धन की लालच तो आप लोगों को थी इसीलिए यहां जो भी आता है उसे आप मौत के घाट उतार देते हैं ।

गगन - लेकिन इस बार ऐसा कुछ नहीं होगा ।

गगन अपने जेब से चाकू निकालकर तांत्रिक की गर्दन पर रख देता है ।

गगन - अब बोलो तांत्रिक तुम हमारे रास्ते से हटते हो या नहीं ।

तांत्रिक - अरे मूर्ख सैकड़ों वर्षो से हम इस मंदिर की रक्षा कर रहे हैं तुम्हें क्या लगता है इस तुच्छ कटार से तुम मुझे डरा दोगे ।

आकाश - सीधी तरह से हमारे सामने से हट जाओ वरना अपनी जान से जाओगे ।

तांत्रिक - ठीक है लेकिन मुझे मारने से पहले जिस लालच को तुम अपने साथ लाए हो, उसे एक बार देख तो लो ।

आकाश - मतलब क्या है तुम्हारा ?

गगन - तांत्रिक की गर्दन पर चाकू रखा रहता है और आकाश गाड़ी में जाकर चारों बैग निकाल कर लाता है और खोलता है ।

गगन क्या हुआ ।

आकाश - यह सब क्या है ।

तांत्रिक - मैंने तो पहले ही कहा था तुम सब लालच में आ गए थे ।

चारों बैग में भरा सोना कोयला बन जाता है ।

तांत्रिक - तुम लोग ऐसी मुसीबत में पड़ गए हो कि अब तुम्हारा निकलना मुश्किल है ।

रचना - क्या मतलब है तुम्हारा ।

तांत्रिक - जिस कमरे से तुम यह सोना लेकर आए थे वहां की सारी आत्माएं और उनका वो राजा जो ताबूत में हजारों वर्षों से बंद था आजाद हो गए हैं ।

ज्योति - अब क्या होगा ।

गगन - इसकी बातों में मत आओ यह झूठ बोल रहा है अगर ऐसा कुछ होता तो हम वहां से निकल ही नहीं पाते ।

आकाश - भूत प्रेत कुछ नहीं होता है चलो यहां से ।

तांत्रिक - तो यह बताओ बच्चे यह सारा सोना कोयला कैसे बन गया ? क्या फिर से कोई नई गलती करने का विचार है ? ।

गगन - आकाश तू गाड़ी स्टार्ट कर और तुम दोनों गाड़ी में बैठो जल्दी ।

तांत्रिक - तुम इस जंगल से नहीं निकल पाओगे वैसे भी समय बहुत ज्यादा हो चुका है अब उसका समय शुरू ।

आकाश - यह क्या कह रहा है ।

गगन - इसकी बात मत सुनो चलो यहां से ।

आकाश - रचना और ज्योति तीनों गाड़ी में बैठ जाते हैं और गगन साधु को छोड़कर तुरंत गाड़ी में बैठ जाता है और आकाश जल्दी से गाड़ी लेकर निकल जाता है ।

ज्योति - मैं कहीं सपना तो नहीं देख रही वह सोना कोयला कैसे बन गया ।

गगन - कोई बात नहीं हम सभी तो सुरक्षित हैं ।

आकाश - हां और यहां का रहस्य भी पता चल गया ।

रचना - मुझे लगता है वह तांत्रिक से ही बोल रहा था क्योंकि वहां पर सभी ताबीज को हमने फेंक दिया था ।

आकाश - बस एक बार हम घर पहुंच जाएं फिर कोई दिक्कत नहीं होगी ।

ज्योति - सही बोल रहे हो ।

गगन - यार आकाश गाड़ी की स्पीड स्लो होती जा रही है ।

आकाश - हमारे पास और पेट्रोल तो है ना ।

गगन - हां डिक्की में रखा हुआ है लेकिन दिक्कत पेट्रोल की नहीं है ।

गाड़ी चलते चलते बंद हो जाती है और चारों दोस्त गाड़ी के बाहर निकल कर देखते हैं ।

रचना - मुझे तो बहुत डर लग रहा है लगता है कुछ ना कुछ जरूर पूरा होने वाला है ।

गगन - डरो मत ऐसा कुछ नहीं होगा ।

आकाश - यार रुको मैं देखता हूं ।

गगन - लेकिन जल्दी करना हमें उसे तुरंत करना है ।

तभी सब लोगों की नजर रोड के पास वाले एक घर पर पड़ती है ।

रचना - यार मुझे लगता है जब हम आ रहे थे तब तो यहां कोई घर नहीं था ।

गगन - हां तब तो कोई घर नहीं था मुझे लगता है आकाश में कोई गलत टर्न ले लिया है ।

आकाश - कैसी बात कर रहे हो इस जंगल में केवल एक ही तो रोड है और दूसरी रोड कहां है ।

गगन - हां लेकिन यह घर कहां से आया ।

ज्योति - मुझे लगता है हमें उस घर में चलना चाहिए शायद हमारी कोई मदद कर दे सुबह होते ही हम यहां से निकल जाएंगे ।

आकाश - ग्रेट आइडिया ।

गगन - नहीं यार मुझे यह सही नहीं लगता पहले गाड़ी को सुधारने की कोशिश करते हैं ।

आकाश - मैं गाड़ी देख चुका हूं किसी अच्छे मैकेनिक को ही बुलाना पड़ेगा ।

रचना - तो क्या अब हमें घर तक पैदल जाना पड़ेगा ।

आकाश - फिक्र मत करो मैं अपने दोस्त को फोन लगाता हूं वह दूसरी गाड़ी लेकर आएगा ।

गगन - हां लेकिन जल्दी करो ।

ज्योति - हम अपने घर से कितनी दूर होंगे ।

गगन - अभी तो हमने केवल आधा जंगल ही पार किया है उस हिसाब से लगभग 135 किलोमीटर और बचा है ।

आकाश - अपने दोस्त को फोन लगाता है ।

आकाश - हेलो हेलो ।

रविंद्र - हां काश बोलो तुम्हारी आवाज सुनाई दे रही है ।

आकाश - यार मैं बहुत बड़ी मुसीबत में हूं ।

रविंद्र - क्यों कहां पर है तू इस समय ।

आकाश - हम लोग सिद्ध बाबा के मंदिर आए थे घूमने के लिए लेकिन हमारी गाड़ी खराब हो गई है ।

रविंद्र - यार वह मंदिर तो भूत प्रेतों के लिए बहुत ज्यादा प्रसिद्ध है तू वहां क्यों गया है वह भी इतनी रात को, तेरे साथ और कितने लोग हैं ।

आकाश - हम चार लोग हैं तू अपनी कार लेकर आ जा ।

रविंद्र - तू चिंता मत कर मैं तुरंत पहुंच रहा हूं ।

इतना कहकर आकाश फोन रख देता है ।

गगन - यार तेरा यह दोस्त भरोसेमंद तो है ना ।

आकाश - हां मेरा कॉलेज फ्रेंड है हमेशा मेरी मदद करता है ।

ज्योति - तो ठीक है तब तक हम सभी को एक साथ रहना है ।

गगन - यार मुझे तो भूख भी लगने लगी ।

आकाश - एक काम करते हैं रविंद्र को आने में लगभग ढाई घंटे तो लग ही जाएंगे तब तक घर के लोगों से मदद मांग कर ठहर जाते हैं ।

रचना - मुझे लगता है हम चारों को गाड़ी के अंदर ही रहना चाहिए ।

आकाश - यार पर हमारे पास गाड़ी में अब पानी तक नहीं बचा है एक काम करते हैं वहां से कम से कम पानी तो ले ही लेते हैं फिर गाड़ी में वापस आ जाएंगे ।

रचना - ठीक है ।

चारों दोस्त उस घर में जाते हैं घर का दरवाजा खुला रहता है और घर के अंदर मोमबत्तियां जल रही होती है जंगल के अंदर रात में सर्द हवाएं चल रही है और घर की सारी खिड़कियां भी खुली है ।

ज्योति - दरवाजा खुला है चलो अच्छा है कोई ना कोई तो हमें जरूर मिल जाएगा ।

रचना - कोई है यहां पर ।

आकाश - हेलो कोई है ।

गगन - घर में मोमबत्तियां जल रही है हो सकता है घर के लोग यहीं कहीं होंगे घर भी तो काफी बड़ा है ।

आकाश - वह देखो टेबल के ऊपर खाने के सामान और पानी है ।

रचना - हां लेकिन थोड़ा तो सब्र करो घर के लोगों से पहले इजाजत ले लेनी चाहिए ।

चारों दोस्त घर के अंदर तो आ जाते हैं तभी घर का दरवाजा बंद हो जाता है और सारी खिड़कियां भी ।

रचना - यह क्या हो गया ।

गगन - सारे खिड़की दरवाजे अचानक बंद कैसे हो गए ।

रचना - मैंने पहले ही कहा था हमें गाड़ी के अंदर ही रहना चाहिए ।

तभी एक डरावनी आवाज आती है ।

तुमने सही कहा पहले घर के मालिक की इजाजत ले लेनी चाहिए ।

गगन - यार अब तो मुझे भी डर लग रहा है इतनी भयानक आवाज किसकी है सामने आओ ।

ज्योति - हमें माफ कर दो हमें हां गलती से आ गए हमें जाने दो ।

शैतान - गलती !, गलती की सजा केवल मौत होती है लेकिन मैं तुम लोगों को नहीं मारूंगा क्योंकि तुम वह लोग हो जिन्होंने मुझे आजाद कराया है ।

गगन - इसका मतलब कहीं तुम उस ताबूत के अंदर जो इंसान था वह तो नहीं ।

शैतान - बिल्कुल सही पहचाना ।

रचना - देखिए आप जो भी हैं पर हमें माफ कर दीजिए हम दोबारा जहां कभी नहीं आएंगे ।

शैतान - नहीं मेरी बच्ची, सदियां बीत गई तुम्हें देखें पीढ़ियां गुजर गई, दुनिया का नक्शा हजारों बार बदल गया, लेकिन मैं कल भी था और आज भी हूं ।

गगन - रचना ! यह तुम्हें बच्चे क्यों बुला रहा है क्या यह तुम्हें पहले जानता है ।

रचना - मुझे कुछ नहीं पता ।

शैतान - यह क्या कह रही हो क्या तुम मुझे नहीं पहचानती ।

आकाश - गगन ! रचना ने हमें धोखा दिया है यहां आने का आईडिया भी इसी का था ।

ज्योति - यह क्या बकवास कर रहे हो वह निर्दोष है ।

रचना - मुझे सही में नहीं पता यह कौन है और यह तो उस ताबूत से निकला है ।

शैतान - चुप हो जाओ ।

शैतान - तो इस जन्म में तुम्हारा नाम रचना है ।

आकाश - इस जनम में, क्या मतलब है तुम्हारा तुम सामने क्यों नहीं आते ।

तभी एक भयानक दानव बड़े-बड़े बालों को और अपने गले हुए शरीर, राजा का मुकुट पहने हुए और पोशाक, प्रकट होता है जिसे देखकर चारों दोस्त बहुत ही ज्यादा डर जाते हैं ।

शैतान की लंबाई लगभग 8 फीट की होती है ।

ज्योति - डरते हुए प्लीज हमें माफ कर दो जाने दो हमें ।

शैतान - मुझे देखने वालों को केवल मौत मिलती है जिंदगी नहीं ।

रचना - प्लीज जाने दो हमें ।

शैतान - नहीं हजारों वर्षों के बाद तुम मुझे मिली हो मैं तुम्हारा पिता हूं राजा विरुद्ध ।

रचना - नहीं, तुम मेरे पिता नहीं हो सकते ।

शैतान - फिक्र मत करो मैं तुम्हें सब कुछ याद दिला दूंगा ।

आकाश - देखो हमें जाने दो ।

शैतान - आकाश की गर्दन पकड़कर उसे ऊपर उठा देता है ।

शैतान - अरे मूर्ख दिखता नहीं बाप और बेटी बात कर रही हैं ।

ज्योति - यह तुम्हारी बेटी नहीं है या हमारी दोस्त है ।

तभी शैतान आकाश को कबर्ड पर फेंक देता है और आकाश की एक हाथ में चोट लग जाती है ।

शैतान - हजारों लोगों को चुटकियों में मसल दिया है मैंने लेकिन आज मैं अपनी बेटी को देखकर बहुत खुश हूं और तुम चारों अगर मेरे बारे में जानना चाहते हो तो सुनो ।

ताबूत से निकला शैतान अपनी कहानी चारों दोस्तों को सुनाता है और चारों दोस्त डरते हुए ध्यान से उसकी बातें सुनते हैं ।

शैतान - साल सन 209 में मेरे पिता राजा सेवर ने मुझे और मेरे परिवार को आपने राजघराने से बेदखल कर दिया था और मैं एक आम नागरिक की तरह दर-दर की ठोकरें खाता हुआ अपने ही राज्य में अपने परिवार के लिए तकलीफ है उठा तो रहा, हमारे राज्य का सबसे प्रसिद्ध मंदिर हुआ करता था सिद्ध बाबा का मंदिर ।

यह वही मंदिर है जहां मैंने अपने और अपने परिवार के साथ कई वर्ष बिताए मैंने कसम खाई थी कि मैं धारा राज्य की गद्दी पर बैठ कर रहूंगा और तभी दूसरे राज्य की राजधानी धारा पर हमला कर दिया


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