भारत में विदेशी व्यापार की प्रवृत्ति ( bharat mein videshi vyapar ki pravratti )
स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद भारत के विदेशी व्यापार की मात्रा एवं मूल्य में तीव्र गति से वृद्धि हुई है , किन्तु अर्थव्यवस्था का पिछड़ापन एवं नियोजन की आवश्यकताओं के फलस्वरूप आयातों में वृद्धि अधिक हुई है जबकि निर्यात तुलनात्मक कम बढ़ा है । इससे देश का व्यापार शेष लगातार प्रतिकूल बना रहा है । भारत में स्वतंत्रता प्राप्ति से अब तक आयात - निर्यात एवं व्यापार शेष की स्थिति का ब्यौरा सारणी -1 में दिया गया है ।
सारणी- 1 में दिये गये ब्यौरे से स्पष्ट होता है कि स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद भारत में नियोजित विकास के फलस्वरूप विदेशी व्यापार की मात्रा में निरन्तर वृद्धि हुई है । सन् 1950-51 में भारत का कुल विदेशी व्यापार 1,214 करोड़ रुपए था जो बढ़कर 1960-61 में 1,761 करोड़ रुपए , 1970-71 में 3,169 करोड़ रुपए तथा 1980-81 में 19,260 करोड़ रुपए हो गया था । इसके बाद भारत के विदेशी व्यापार में तीव्र गति से वृद्धि हुई है । सन् 1990-91 में भारत का कुल विदेशी व्यापार 75,751 करोड़ रुपए था जो बढ़कर 2000 01 में 4,34,454 करोड़ रुपए तथा 2016-17 में 44,27,095 करोड़ रुपए हो गया है । निर्यात व्यापार- भारत का निर्यात व्यापार सन् 1950-51 में 606 करोड़ रुपए था जो बढ़कर 1970 71 में 1,535 करोड़ रुपए तथा 1980-81 में 6,711 करोड़ रुपए हो गया था । वर्ष 1990-91 में निर्यात व्यापार 32,553 करोड़ रुपए था जो बढ़कर 2016-17 में 18,49,429 करोड़ रुपए हो गया । इस प्रकार भारत के निर्यात व्यापार में 1990-91 के बाद की अवधि में तेजी से वृद्धि हुई है । आयात व्यापार- भारत का आयात व्यापार 1950-51 में 608 करोड़ रुपए था जो बढ़कर 1970 71 में 1,634 करोड़ रुपए तथा 1980-81 में 12,549 करोड़ रुपए हो गया था । वर्ष 1990-91 में आयात व्यापार 43,198 करोड़ रुपए था जो बढ़कर 2000-01 में 2,30,873 करोड़ रुपए तथा 2016-17 में 25.77,666 करोड़ रुपए हो गया है । निर्यात व्यापार की भाँति देश के आयात व्यापार में भी 1990-91 के बाद तेजी से वृद्धि हुई ।
व्यापार सन्तुलन-योजना अवधि में निर्यातों की अपेक्षा आयातो का मूल्य अधिक होने के कारण विदेशी व्यापार का सन्तुलन केवल दो वर्षों ( 1972-73 एवं 1976-77 ) को छोड़कर शेष वर्षों में लगातार प्रतिकूल बना रहा है । देश का विदेशी व्यापार 1972-73 एवं 1976-77 में क्रमशः 104 करोड़ रु . एवं 68 करोड़ रुपए से अनुकूल रा था । वर्ष 1950-51 में भारत का व्यापार सन्तुलन मात्र 2 करोड़ रुपए से प्रतिकूल था जो बढ़कर 1980-81 में 5,838 करोड़ रुपए , 1990-91 में 10,645 करोड़ रुपए तथा 1999-2000 में 55,675 करोड़ रुपए के स्तर पर पहुंच गया था । देश का व्यापार शेष 2000-01 में 27,302 करोड़ रुपए से प्रतिकूल था जो वर्ष 2010-11 में बढ़कर 5,40,545 करोड़ रुपए हो गया था । भारत का व्यापार शेष वर्ष 2016 17 मे 7,28,237 करोड़ रुपए से प्रतिकूल रहा है । इस प्रकार नियोजन काल में आयातों की अधिकता एवं निर्यातों में अपेक्षित वृद्धि न होने के कारण भारत का व्यापार शेष लगातार प्रतिकूल बना हुआ है ।