सामाजिक संरचना के प्रमुख प्रकार (samajik sanrachna ke pramukh prakar)


सामाजिक संरचना के प्रमुख प्रकार

प्रसिद्ध समाजशास्त्री टालकट पारसन्स का कहना है कि सामाजिक मूल्यों के आधार पर समाज की संरचना का निर्माण होता है ।
इस दृष्टि से पारसन्स ने सामाजिक संरचना के प्रमुख प्रकारों को निम्नलिखित चार भागों के विभाजित किया है ।

( 1 ) सार्वभौमिक अर्जित संरचना - पारसन्स के अनुसार कुछ ऐसे सामाजिक मूल्य होते हैं, जो सार्वभौमिक होते है । ये मूल्य सभी कालो और समाजों में समान रूप से पाये जाते हैं । ये सभी व्यक्तियों पर सार्वभौमिक रूप से लागू होते है । उदाहरण के लिए, कुशलता, क्षमता और बुद्धिमत्ता सार्वभौमिकता के गुण है, जो सभी देशों और कालो में समान रूप से लागू होते है । इस प्रकार सामाजिक सरंचना का निर्माण निम्न दो गुणों के द्वारा होता है
( a ) सार्वभौमिक मूल्य, और
( b ) अर्जित मूल्य । सार्वभौमिक मूल्य के अन्तर्गत वर्ग, रक्त - संबंध, प्रजाति, आदि तत्वों को सम्मिलित किया जाता है । इनकी सहायता से समाज की संरचना निश्चित होती है । इस प्रकार की संरचना का स्वरूप सार्वभौमिक होता है । इसी प्रकार अर्जित सामाजिक मूल्य वे हैं, जो सदस्यो या समूहो द्वारा अर्जित या प्राप्त किये जाते है । औद्योगिक सामाजिक व्यवस्था में पूँजीवादी को अर्जित सामाजिक संरचना का उदाहरण माना जा सकता है ।

( 2 ) सार्वभौमिक प्रदत्त संरचना - पारसन्स के अनुसार दूसरे प्रकार की सामाजिक संरचना बह है, जिसका निर्धारण सार्वभौमिक और प्रदत्त सामाजिक मूल्यों के आधार पर होता है । इस प्रकार की संरचना आदर्शात्मक होती है । तथापि इसका संबंध वर्तमान सामाजिक व्यवस्था की अपेक्षा भूतकालीन सामाजिक व्यवस्था से होता है । इस प्रकार की सामाजिक सरंचना में आदर्शों का अत्यधिक महत्व होता है । ये आदर्श परिस्थितियों के अनुसार परिवर्तित होते रहते है । इन्हीं आदर्शों के आधार पर विशिष्ट प्रतिमानों का निर्माण होता है । पारसन्स ने इस प्रकार की संरचना के उदाहरण में आधुनिक विज्ञान - प्रधान समाजों का उल्लेख किया है ।

( 3 ) विशिष्ट अर्जित संरचना - इस प्रकार की सामाजिक संरचना में दो प्रकार के मूल्यों का महत्व होता है
( a ) विशिष्ट सामाजिक मूल्य और
( b ) अर्जित सामाजिक मूल्य । जहाँ इस प्रकार की सामाजिक संरचना पायी जाती है, वहाँ पारलौकिक मूल्यों को अधिक महत्व दिया जाता है । पारसन्स ने प्राचीन भारतीय सामाजिक संरचना को इसके अंतर्गत रखा है । पारसन्स का विचार है कि जहाँ भी इस प्रकार की सामाजिक संरचना पायी जाती है, वहाँ गाँव, वंश - परंपरा, परिवार आदि का महत्व होता है ।

( 4 ) विशिष्ट प्रदत्त संरचना - सामाजिक संरचना का चौथा और अंतिम प्रकार विशिष्ट प्रदत्त सामाजिक मूल्यों से संबंधित है । यह वह सामाजिक संरचना है, जहाँ नैतिकता, रक्त - संबंध और स्थानीय समुदायों को सर्वोच्च महत्व प्रदान किया जाता है । इस प्रकार की सामाजिक संरचना में व्यक्तिगत गुणों को सबसे अधिक महत्व प्रदान किया जाता है । व्यक्तिगत गुणों को महत्व प्रदान करने के कारण सामाजिक की अपेक्षा व्यक्तिवाद को प्राथमिकता प्रदान की जाती है ।

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