रामकृष्ण मिशन (ramkrishn mission)


रामकृष्ण मिशन

मानवता के महानपुत्र रामकृष्ण परमहंस न केवल बंगाल के अपितु सारे विश्व में अपने कार्यों और सिद्धांतों के लिये एक मिशन बन चुके हैं । उनके परम शिष्य नरेन्द्र नाथ ने जो बाद में स्वामी विवेकानंद के नाम से प्रसिद्ध हुए, अपने गुरु की कर्म स्थली बारानगर में 1887 ई. को रामकृष्ण मठ की स्थापना की । 1899 ई. में एक और मठ कलकत्ता के निकट वेल्लौर में स्थापित किया गया । जहाँ से स्वामी विवेकानंद की मृत्यु 1909 ई. के बाद रामकृष्ण मिशन नामक एक संगठन के रूप में दोनों महाप्रभुओं के सिद्धांतों के प्रचार - प्रसार के लिये स्थापित किया गया । रामकृष्ण मिशन का मुख्य कार्य समाज सेवा है ।

यद्यपि रामकृष्ण और विवेकानंद का उद्देश्य धर्म की स्थापना नहीं थी अपितु उन्होंने तो आध्यात्मवाद के माध्यम से सभी धर्मों में एकता और विश्वास जाग्रत कर रहा था । उनकी स्पष्ट मान्यता थी, कि मानव सेवा से ही एक व्यक्ति ईश्वर को प्राप्त कर सकता है । हिन्दू धर्म में जहाँ श्री राम इसके आदर्श हैं, तो ईसाई और मुस्लिम धर्मों में क्रमश : ईसा मसीह और पैगम्बर मुहम्मद मानव सेवा का नादर्श उदाहरण प्रस्तुत करते हैं । उनका मानना है कि प्रत्येक जीव में ईश्वर निवास करता है अत: प्रत्येक जीवन से प्रेम और सेवा, ईश्वर के प्रति प्रेम और सेवा करना है । इसी से मन के विकार दूर हो जायेंगे और समाज में फैली कुरीतियाँ और बुराइयाँ अपने - आप समाप्त होने लगेंगी । इससे समानता और सहयोग को बल प्राप्त होगा ।

स्वामी विवेकानंद का यह वाक्य सबसे प्रेरणादायक है कि "सहायता करो, लड़ो नहीं, घृणा नहीं प्रेम करो, एक दूसरे से सद्गुण ग्रहण करो विनाश नहीं, मेल और शांति, विरोध नहीं ।" श्री विवेकानंद जी का मानना था कि धर्मों की विभिन्नता में विचारों से भिन्नता आना स्वाभाविक है क्योंकि तुम सभी व्यक्तियों के विचारधारा को किसी दण्ड से एक नहीं कर सकते, पर मानव सेवा के माध्यम से आपस में प्रेम और सहयोग तो प्राप्त कर सकते हैं । स्वामी जी समाज की रीढ़ अर्थात् स्त्री के पुनरुद्धार के पक्षधर थे ।

रामकृष्ण मिशन ने शिक्षा के माध्यम से अशिक्षा, अज्ञानता, अंधविश्वास और रूढ़िवादिता को समाप्त करने हेतु सारे देश में अनेक विद्यालय एवं शिक्षा केन्द्र खोले । जब तक आर्थिक प्रगति का मार्ग प्रशस्त नहीं होगा, निर्धनता और अज्ञानता बनी रहेगी । इस प्रकार समाज निर्माण में मानव सेवा को प्रधानता दी । प्रत्यक्ष रूप से समाज सुधार का कोई कार्य न करके भी आध्यात्मवाद से आत्म निर्माण कर देश की सामाजिक एवं आर्थिक प्रगति के लिये दिशा दर्शन अवश्य दिया है । इसी कारण रामकृष्ण मिशन भारतीय पुनरुद्धार आंदोलन का एक महत्वपूर्ण भाग बन गया और आधुनिक समय में वह विभिन्न क्षेत्रों में दरिद्रनारायण की सेवा कर जात - पाँत, वर्ग संघर्ष और विचारों के अंतर को समाप्त करने तथा मानव का मानव से प्रेम और सहयोग को बढ़ावा दे रहा है ।

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