प्रिन्ट मीडिया (print media)
प्रिन्ट मीडिया - इसके अन्तर्गत समाचार पत्र, पत्रि गएँ, पुस्तकें, लघु पुस्तकें आदि आते हैं । मुद्रण प्रणाली के आविष्कार से पूर्व कृति को हाथ से लिखकर सुरक्षित रखा जाता था । जितनी प्रतियों की आवश्यकता होती थी, उतनी ही बार उन्हें लिखना पड़ता था । इस कार्य में काफी समय और श्रम लगता था । कागज के आविष्कार से पूर्व भारत में ग्रंथों को भोजपत्रों पर लिखा जाता था । मुद्रण ने प्रतियाँ बनाने की इस प्रक्रिया को पूर्णतः बदल दिया । सीसे के बने अक्षरों को जोड़कर और फरमों में बाँधकर छपाई की मशीन में फिटकर अक्षरों पर गाढ़ी स्याही लगाकर मशीन द्वारा कागज पर दबाव दिया जाता था जिससे कागज पर अक्षर छप जाते थे । इसी प्रकार सैकड़ों प्रतियाँ कुछ घण्टों में मुद्रित हो जाती थीं । यह मुद्रण की पुरानी विधि थी । अब इसमें बड़ा भारी परिवर्तन आ चुका है । ऑफसेट, फोटोकंपोजिंग और लेजर प्रिंटिंग ने मुद्रण के क्षेत्र में गुणात्मक परिवर्तन ला दिया है । मुद्रण के कारण समाचार पत्रों का प्रकाशन आरंभ हुआ । समाचार पत्र को प्रिंटिंग प्रेस में छापा जाने लगा और हॉकरों द्वारा वे पाठकों तक पहुँचने लगे । इस प्रकार समाचार - पत्र ने लोगों को सूचना देने के दायित्व को संभाल लिया । इसके साथ ही लोगों के विचारों को भी इसने मुखर करना आरंभ किया । समाचार पत्रों ने घटनाओं की केवल विस्तृत रिपोर्ट ने देकर उसके सामाजिक, आर्थिक, सांस्कृतिक, राजनीतिक पक्षों का भी विश्लेषण किया । इस प्रकार समाज में जागृति फैलाने का कार्य समाचार पत्रों ने किया । में समाचार मुद्रित माध्यम के प्राण हैं । अखबारों के प्रकाशन का उद्देश्य लोगों तक समाचारों को भेजना होता है । इसमें समाचार के अलावा लेख, निबंध, कहानी, कविता, फीचर आदि कई विधाओं में रचनाएँ छपती हैं । जाहिर है इसी वैविध्य एवं सहज सुलभ तथा सस्ता माध्यम होने के कारण घर - घर में आज भी पैठ जमाए है । समग्रतः सभी जगह प्रेस का मूलभूत दायित्व एक ही है । खबरें देना, देश के लिए महत्वपूर्ण जानकारी को जन - सामान्य तक पहुँचाना और इधर - उधर बिखरी हुई खबरों की समीक्षा या उनका विश्लेषण करते हुए इस ढंग से प्रस्तुत करना कि लोगों को उनका वास्तविक महत्व एवं गंभीरता पता चले । इसी क्रम में जनता की सोच को दिशा देना भी प्रेस की मूलभूत जिम्मेदारी है ।