खोजी पत्रकारिता क्या है (khoji patrakarita kya hai)


खोजी पत्रकारिता क्या है

किसी समाचार को साक्ष्य एवं तथ्यपूर्ण बनाने के लिये जब पत्रकार अपने स्वयं के बल पर इन जानकारियों को खोज निकालता है, जो जानकारियाँ सामान्य जन के संज्ञान में नहीं होतीं लेकिन सार्वजनिक महत्व की होती हैं, वह खोजी पत्रकारिता कहलाती हैं । खोजी पत्रकारिता का आरंभ अमेरिका से माना गया है तथा जोसेफ पुलित्जर ( जो कि न्यूयार्क वर्ल्ड के सम्पादक थे ) को इसका जनक समझा जाता है । पत्रकारिता की यह महत्वपूर्ण विधा विश्व के प्रायः सभी देशों में खूब फल - फूल रही हैं । भारत में भी खोजी पत्रकारिता की दिशा में कई उल्लेखीय कार्य हुए है । इंडियन एक्सप्रेस के पत्रकार अरुण शौरी द्वारा ' बोफोर्स काण्ड ' का उद्घाटन और ' तहलका डॉट काम ' ( रक्षा सौदों से संबंधित ) के रहस्योद्घाटन सभी की स्मृति में होंगे । भारत में खोजी पत्रकारिता का प्रारंभ ' जुगवाणी ' नामक पत्रिका से हुआ था जिसे देवव्रत नामक युवक ने प्रारंभ किया था । सरकारी तंत्र के विरूद्ध उन्होंने खोजी पत्रकारों को अपना साथी बनाया । कालान्तर में ' जुगान्तर ' नामक अखबार ने दमन और अत्याचार के विरूद्ध खोजी पत्रकारिता को अपना अस्त्र बनाया । आर. के. करंजिया ने मुंबई से प्रकाशित ' ब्लिट्ज ' अखबार द्वारा खोजी पत्रकारिता को नया आयाम दिया । विगत कुछ दशकों से इलेक्ट्रॉनिक माध्यमों ( रेडियो, टेलीविजन ) के बढ़ते प्रभाव के चलते खोजी पत्रकारिता को भी एक सशक्त माध्यम मिल गया । सच की परछाइयाँ, हैलो जिन्दगी, घूमता आईना, दूसरा रुख जैसे टेलीविजन कार्यक्रम अपनी खोजी रिपोर्ट के कारण लोकप्रिय रहे । इंटरनेट पत्रकारिता ने भी खोजी पत्रकारिता के आयामों को नई दिशा प्रदान की है । इस संबंध में ' तहलका डॉट कॉम ' नामक वेब पत्र द्वारा रक्षा सौदों में घूसखोरी संबंधी रिपोर्ट का उल्लेख किया जा सकता है । वर्तमान में खोजी पत्रकारिता ने की भ्रष्टाचारों को उजागर किया है । इस प्रकार की पत्रकारिता को प्रिंट मीडिया और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया दोनों में ही इसे पर्याप्त ' स्पेस ' दिया जा रहा है और पाठक और दर्शक भी पर्याप्त मिल रहे हैं ।

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