पूर्ति फलन अथवा पूर्ति के निर्धारक तत्व Poorti falan athwa poorti ke nirdharak tatva


पूर्ति फलन अथवा पूर्ति के निर्धारक तत्व

पूर्ति फलन से आशय इस बात का पता लगाना होता है कि कौन से तत्व पूर्ति को निर्धारित करते हैं । किसी बाजार में एक निश्चित समय पर किसी वस्तु कि उपलब्ध विभिन्न मात्राओं और उन मात्राओं को निर्धारित करने वाले तत्व कौन से हैं यह पता लगाता है और उन्हीं तत्वों को पूर्ति का फलन कहा जाता है ।
संक्षेप में किसी वस्तु की पूर्ति को प्रभावित करने वाले तत्व निम्नलिखित हैं -

(1) वस्तु की कीमत -
अन्य बातें यथा स्थिर रहने पर वस्तु की ऊंची कीमत होने पर पूर्ति अधिक होती है क्योंकि ऊंची कीमत पर वस्तु को बेचना विक्रेताओं के लिए अधिक लाभप्रद होता है । इसके विपरीत कीमत नीची होने पर पूर्ति कम होती है ।
अर्थात वस्तु की कीमत कम होने पर उसकी पूर्ति भी कम होगी और वस्तु की कीमत अधिक होने पर उसकी पूर्ति भी अधिक होगी जो की पूर्ति के नियमानुसार है ।

(2) अन्य वस्तुओं की कीमतें -
अन्य वस्तुओं की कीमतें भी वस्तु विशेष की पूर्ति को प्रभावित किया करती हैं । मान लीजिए नायलॉन तथा टेरीकॉट के वस्तुओं की कीमत में वृद्धि हो जाती है तथा सूती वस्त्र की कीमत अपरिवर्तित रहती है तो सूती वस्त्र की बिक्री में लाभ अपेक्षाकृत कम हो जाएंगे । अतः उसकी पूर्ति भी कम हो जाएगी इसके विपरीत स्थिति में नायलॉन तथा टेरीकॉट की कीमतों में कमी होने पर उत्पादक सूती वस्त्र की पूर्ति बढ़ाएंगे क्योंकि अब इसकी बिक्री में अधिक लाभ होगा ।

(3) उत्पादन के साधनों की कीमतें -
उत्पादन के साधनों की कीमतों में परिवर्तन हो जाने पर भी वस्तु की पूर्ति परिवर्तित हो जाती है । यदि उत्पादन के साधनों की कीमतें बढ़ती हैं तो उत्पादन लागत बढ़ेगी तथा उत्पादकों के लाभ कम होंगे अतः उत्पादन कम किया जाएग ।ा तथा आपूर्ति में कमी होगी इसके विपरीत उत्पादन के साधनों की लागत कम होने पर उत्पादन लागत कम होगी लाभ बढ़ेंगे । तथा पूर्ति अधिक की जाएगी ।

(4) तकनीकी ज्ञान -
तकनीकी ज्ञान के विकास के साथ उत्पादन में कुशलता आती है तथा उत्पादकों के लाभों में वृद्धि हो जाती है इसलिए वह वस्तु की पूर्ति में वृद्धि करते हैं ।

(5) उत्पादकों के लक्ष्य -
आर्थिक विश्लेषण में यह मान लिया जाता है की एक फर्म अपने लाभ को अधिकतम करने के उद्देश्य से कार्य करती है । परंतु कभी-कभी ऐसा भी होता है कि फर्म का उद्देश्य लाभ को अधिकतम करने के बजाय अपनी वस्तु का विभिन्न बाजारों में विस्तार करना होता है । यदि फर्म ऐसा करती है तो वह अलग अलग बाजारों में अलग-अलग कीमतों पर वस्तु की अधिक पूर्ति करेंगी ।

(6) प्राकृतिक तत्व -
कृषि से संबंधित वस्तुओं की पूर्ति पर एक सीमा तक प्राकृतिक तत्वों का प्रभाव पड़ता है । उचित वर्षा सिंचाई के साधन अच्छे बीज इत्यादि प्राकृतिक तत्व कृषि पदार्थों की पूर्ति में वृद्धि करते हैं ।इसके विपरीत बाढ़ सूखा बीमारी इत्यादि कृषि पदार्थों की आपूर्ति में कमी करते हैं ।

(7) परिवहन व संचार के साधन -
यदि देश में परिवहन व संचार के साधन विकसित हैं । तो विदेशों से आयात सुविधा से किए जा सकते हैं जिसके फलस्वरूप वस्तुओं की पूर्ति बढ़ेगी इसके विपरीत इन साधनों का प्रयोग निर्यात में करने पर देश में वस्तुओं की पूर्ति कम हो जाएगी ।

(8) कर नीति -
सरकार की कर नीति भी वस्तु की पूर्ति को प्रभावित करती है । यदि सरकार वस्तु पर अधिक कर लगाती है तो वस्तु महंगी हो जाती है । जिसके फलस्वरूप उसकी मांग घटती है तथा लाभ कम होता है अतः वस्तु की पूर्ति कम की जाती है ।

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