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खिलाफ़त आंदोलन क्या था ? (Khilafat andolan kya tha)

खिलाफ़त आंदोलन क्या था? खिलाफत आंदोलन (1919-1920) मुहम्मद अली और शौकत अली के नेतृत्व में भारतीय मुसलमानों का एक आंदोलन था। इस आंदोलन की निम्नलिखित माँगें थीं- पहले के ऑटोमन साम्राज्य के सभी इस्लामी पवित्र स्थानों पर तुर्की सुल्तान अथवा खलीफ़ा का नियंत्रण बना रहे, जज़ीरात-उल- अरब ( अरब, सीरिया, इराक, फिलिस्तीन) इस्लामी सम्प्रभुता के अधीन रहें तथा खलीफ़ा के पास इतने क्षेत्र हों कि वह इस्लामी विश्वास को सुरक्षित करने के योग्य बन सके। कांग्रेस ने इस आंदोलन का समर्थन किया और गाँधी जी ने इसे असहयोग आंदोलन के साथ मिलाने की कोशिश की।

भारत छोड़ो आन्दोलन (Bharat chhodo andolan)

भारत छोड़ो आन्दोलन क्रिप्स मिशन की विफलता के बाद महात्मा गाँधी ने ब्रिटिश शासन के खिलाफ अपना तीसरा बड़ा आंदोलन छेड़ने का फैसला लिया। अगस्त 1942 में शुरू हुए इस आंदोलन को "अंग्रेजों भारत छोड़ो" का नाम दिया गया था। हालांकि गाँधी जी को फौरन गिरफ्तार कर लिया गया था लेकिन देश भर के युद्ध कार्यकर्ता हड़तालों और तोड़फोड़ की कार्रवाइयों के जरिए आंदोलन चलाते रहे। कांग्रेस में जयप्रकाश नारायण जैसे समाजवादी सदस्य भूमिगत प्रतिरोध गतिविधियों में सबसे ज्यादा सक्रिय थे। पश्चिम में सतारा और पूर्व में मेदिनीपुर जैसे कई जिलों में "स्वतंत्र" सरकार (प्रतिसरकार) की स्थापना कर दी गई थी। अंग्रेजों ने आंदोलन के प्रति काफी सख्त रवैया अपनाया फिर भी इस विद्रोह को दबाने में सरकार को साल भर से ज्यादा समय लग गया। "भारत छोड़ो" (Quit India) आंदोलन सही मायने में एक जनांदोलन था जिसमें लाखों आम हिंदुस्तानी शामिल थे। इस आंदोलन ने युवाओं को बड़ी संख्या में अपनी ओर आकर्षित किया। उन्होंने अपने कॉलेज छोड़कर जेल का रास्ता अपनाया। जिस दौरान कांग्रेस के नेता जेल में थे उसी समय जिन्ना तथा म...

मेष राशि वालो की पहचान (Mesh rashi walo ki pahchan)

मेष राशि वालो की पहचान यह प्रथम राशि है । खगोल मंडल में इसकी दिशा पूर्व दिशा है। मेष चर एवं अग्नि तत्व राशि है। यह पिछले भाग से उदित होने वाली राशी है। इस राशि का रंग लाल, स्वभाव उग्र तथा प्रभाव गर्म शुष्क है। यह विषम व पुरूष तथा क्षत्रिय जाति राशि है। यह दिन वली और उसका वास पर्वत वन है। मंगल इसका स्वामी ग्रह है। सूर्य इसमें उच्च का तथा शनि नीच का होता है । गेहूँ, अलसी, मसूर इस राशि के धान्य हैं । यह ऊनी वस्त्र, भूमि पर होने वाली औषधियों की सूचक है । कद मझला, शरीर पतला किन्तु सुगठित, रंग गेहूँआ व साफ परन्तु रंगरूप अधिक चिकना नहीं होगा । गला एवं मुँह कुछ लम्बा भवों पर घने बाल, सिर के बाल कुछ रूखे-रुखे होते हैं। मेष राशि वाले अच्छे दवदवे वाले होते हैं और दृष्टि तेज होती है । यह तेज मिजाज़ फुर्तीले व क्रोधी होते हैं। इनमें साहस कूट-कूट कर भरा होता है । हिम्मत तथा शक्ति होती है। यह किसी के आधीन रहकर कार्य करना पसन्द नहीं करते। यह निडर एवं निभर्य होते हैं तथा जोखिम के कार्य बड़ी कुशलता से करते हैं। इनकी इच्छा शक्ति प्रबल होती है । जिस कार्य के पीछे पड़ जाए पूरा करके ही छोड़ते हैं...

वृष राशि वालो की पहचान (vrash rashi walo ki pahchan)

वृष राशि वालो की पहचान इ उ ए ओ व यह द्वितीय राशि है। इसकी दिशा दक्षिण है। इसकी आकृति बैल जैसी तथा यह सम, स्त्री, स्थिर एवं पृथ्वी तत्व राशि है। इसा स्वभाव सौम्य, बात वित प्रकृति, वैश्य जाति, रंग दही जैसा सफेद है। यह राशि रात्रि वली मानी गई हैं। यह सरल भूमि में विचरण करने वाली एवं इसका प्रभाव सर्द शुष्क है । इस राशि का स्वामी शुक्र ग्रह है। इस राशि में चन्द्रमा उच्च का होता है । कद औसत, ललाट चौड़ा, गर्दन सुगठित, कन्धे चौड़े, सुगठित एवं मोटे, आंखे चमकदार, बाल काले तथा कई बार आगे से घुंघराले होते हैं। कई बार मुँह पतला, शरीर भारी भरक्रम होता है | दुःस्वप्न, आंखो के विकार, ऊपरी वृषा का प्रकोप इसका प्रभाव माना जाता है। ज्वार, चावल तथा बाजरा इसका धान्य है । वृष राशि स्थिर एवं पृथ्वी तत्व राशि है । इसलिए इनमें सहनशीलता धैर्य बहुत होता है । यह परिश्रमी होते हैं तथा लम्बे समय तक कार्य में लगे रहते हैं । इनकी स्मरणशक्ति बहुत होती है। यह इर्षालू होते हैं। भौतिक जगत में विचरण करके ये अति प्रसन्न रहते हैं। किसी बात को यह वर्षो तक मन में रखते हैं और अपने मन की बात किसी को नहीं बताते जब तक इन...

मिथुन राशि वालो की पहचान (Mithun Rashi walo ki pahchan)

मिथुन राशि वालो की पहचान छह यह विषम, पुरुष एवं द्विस्वभाव राशि है। वायु तत्व, क्रूर स्वभाव तथा खगोल मंडल में इसकी दिशा पश्चिम मानी गयी है। इसकी आकृति युगल, पुरुष स्त्री तथा रंग हरा है। इसका प्रभाव उष्णतर, जाति शूद्र, दिन बली, द्विपद एवं वन में विचरण करने वाली है। उसका स्वामी ग्रह बुध होता है । राहु इस राशि में उच्च फल का और केतु नीच फल का माना गया है । इसका कद लम्बा परन्तु साधारणतया कई बार कद छोटा भी देखा गया है । शरीर संतुलित होता है तथा साधारणतया बाहें शरीर के अनुपातानुसार लम्बी होती हैं। इसके प्रभाव से रंग न अधिक गोरा होता है और न ही काला, इसके प्रभाव मे चेहरा गोल एवं नाक आगे से कई बार तोते जैसी होती है । आंखें छोटी परन्तु देखने में दृष्टि तीक्ष्ण होती है। जल्दी-जल्दी चलना इनका स्वभाव होता है। बाल घने काले होते है तथा कान छोटे होते हैं । परन्तु आकर्षक होते हैं। ये बुद्धिमान, ज्ञानी, बलवान तथा दूसरों के साथ काम करने वाले होते हैं । यह विद्या प्रेमी, अध्ययनशील, न्यायिक बुद्धि, संगीत प्रिय, शायर, कविता लिखने आदि के प्रेमी होते हैं। इनमें विश्लेषण करने की पूर्ण सार्मथ्य हो...

कर्क राशि वालो की पहचान (kark rashi walo ki pahchan)

कर्क राशि वालो की पहचान यह सम, स्त्री, चर एवं जल तत्व राशि है। इनकी आकृति केकड़ा का सांकेतिक चिन्ह है। इसका स्वभाव सौम्य, दिशा उत्तर को सूचित करती है । इसका प्रभाव सर्द तर तथा यह कफ प्रधान राशि है। इसकी जाति, ब्राह्मण, रंग दूधिया सफेद, रात बली और जलचर में विचरण करने वाली है । इस राशि का स्वामी ग्रह चन्द्रमा है । इसके प्रभाव से जातक का कद मझला तथा कई बार छोटा ही होता है । शरीर एवं शारीरिक शक्ति कोमल होती है। पुरुष स्त्री की तरह कोमल होते हैं एवं स्त्री जातक अधिक कोमल व सुन्दर होती है। रंग साफ, गोरा तथा मुखड़ा गोल होता है। इनकी चाल मस्तानी होती है शरीर का ऊपरी भाग कुछ बड़ा तथा निचला भाग कुछ छोटा होता है । आयु बढ़ने के साथ-साथ ये मोटे हो जाते हैं और कई बार तोंद भी निकल आती हैं। इनकी कल्पना शक्ति बड़ी अच्छी होती है। कल्पना में बहुत दूर- दूर की उड़ाने भर आते हैं। उनका चित्त चलायमान, परिवर्तनशील एवं क्रियाशील होता है। पवित्र आदर्शो पर चलने वाले होते हैं परन्तु ये मन की बात किसी को कम बताते हैं । स्वभाव में एवं मानसिक स्थिति में चंचलता होने के कारण दूसरों के साथ एक-सा व्यवहार करना,...

सिंह राशि वालो की पहचान (Singh rashi walo ki pahchan)

सिंह राशि वालो की पहचान यह विषम, पुरुष स्थिर तथा अग्नि तत्व राशि है। स्वभाव क्रूर माना गया है । खगोल मंडल में इसकी दिशा पूर्व है। इसकी आकृति सिंह पर, सांकेतिक चिन्ह है। दिन बली तथा पर्वत आदि विचरण स्थान है। इसका स्वामी सूर्य है। इसके प्रभाव के अधीन जातक का शानदार एवं दबदबे वाला व्यक्तित्व, मस्तक चौड़ा तथा कद औसत होता है। इनका शरीर सुगठित होता है । और हड्डियां मजबूत होती हैं, आमतौर पर देखा गया है। यदि सूर्य कमजोर होगा तो अस्थिभंग होते रहते हैं। इसके प्रभाव में जातक के कन्धे भरे हुए व पठ्ठे मजबूत होते हैं। आंखे चमकदार तथा दृष्टि तीक्ष्ण होती है। रंग गेहुँआ एवं सिर पर बाल कम होते हैं। आंखों की भोहो के बाल भी साधरणता कम ही होते हैं। इनका स्वास्थ्य अच्छा होता है तथा जीवन शक्ति भरपूर होती है। शरीर का ऊपरी भाग कुछ स्थूल तथा निचला अर्द्धभाग कुछ पतला होता है । सिंह राशि के जातक उदार, निडर, स्वाभिमानी, इरादे के पक्के, साहसी, उत्साही, उच्च अभिलाषी, धैर्यवान्, महत्वाकांक्षी, स्नेह, कृपालु, निष्ठावान, समय तथा ड्यूटी के बड़े पाबान्द होते हैं। ये उत्तम प्रबन्धक, आगू एवं विशाल हृदय होते ...

कन्या राशि वालो की पहचान (Kanya rashi walo ki pahchan)

कन्या राशि वालो की पहचान इसकी दिशा दक्षिण होती है। यह सम, स्त्री एवं द्विस्वभाव राशि है। पृथ्वी तत्व, सौम्य स्वभाव को सूचित करती है । उसकी प्रकृति रात है। तथा प्रभाव सर्द शुष्क है। इनकी जाति अथवा वर्ण, वैश्य, रंग पांडुरंग, हरा, चितकबरा, राशि बली, द्विपद एवं सरल भूमि में विचरने वाली है। इसका स्वामी बुध है तथा यह अस्थिर स्वभाव की मालिक है। इसके प्रभाव के अधीन पतला, कद लम्बा परन्तु कई जातक छोटे कद के भी देखे गए हैं। बाल घने होते हैं, आंखें छोटी-छोटी और नजर तेज होती है। रंग साफ गेहुँआ तथा यह जल्दी-जल्दी चलते हैं। शरीर चिकना व कोमल होता है। ये बड़े चुस्त होते हैं तथा सही आयु से इनकी आयु कम ही प्रतीत होती है। ये बड़े फुर्तीले और सूझवान होते है। ये न्यायप्रिय दयालु होते हैं और प्रत्येक कार्य को बहुत ठण्डे दिमाग में सोचते हैं। यह बुद्धिमान, विचारशील, विवेकशील, चिंतक, ज्ञानी, ध्यानी तथा सूझवान होते हैं। स्वभाव परिवर्तनशील होने के कारण कई बार परिजन नाराज हो जाते हैं। ये अति चतुर होते हैं और तुरन्त अवसर संभाल लेते हैं। इनमें सर्वगुण पाए जाते हैं। परन्तु स्वार्य एवं भोग की प्रकृति के ...

तुला राशि वालो की पहचान (Tula rashi walo ki pahchan)

तुला राशि वालो की पहचान यह विषम, पुरुष एवं चर राशि है। यह वायु तत्व राशि है तथा इसका स्वभाव क्रूर माना गया है। इसकी जाति अथवा वर्ण शूद्र एवं रंग दही जैसा सफेद है। यह दिन में बली मानी गयी है इसका विचरण स्थान वन है । इसकी आकृति तराजू, प्रभाव उष्णतर व वादी है। इसका स्वामी ग्रह शुक्र होता है। इस राशि में शनि उच्च फल का सूर्य नीच फल का होता है। इसकी दिशा पश्चिम मानी गयी है। इसके प्रभाव के अन्तर्गत कद लम्बा, एक-सा शरीर देखने में शानदार व आकर्षक, हाथ, पैर, बाहें कुछ पतले होते हैं। रंग साफ सुन्दर, रूपवान होते हैं । सुन्दर आंखे एवं नाक कई बार तोते जैसी होती है। चेहरा गोल तथा कई बार चौकोर भी होता है। इस राशि की स्त्री जातक बहुत सुन्दर होती है तथा आंखें नीली व बाल घुंघराले होते हैं इस राशि के जातक आयु की बढ़ने के साथ कई बार अधिक लम्बे हो जाते हैं । यह कमर पर प्रभाव डालती है। इससे सुनसान चौराहा का बोध होता है । दयालुता व स्नेहशीलता बहुत होती है तथा इनके विचार शुद्ध होते हैं। ये बड़ी ऊँची आशाएँ, उम्मीदें रखने वाले होते हैं और बातुनी भी होते हैं। ये न्यायप्रिय, लोकप्रिय, कलाप्रेमी, निपुण...

वृश्चिक राशि वालो की पहचान (Vrashchik rashi walo ko kaise pahchane)

वृश्चिक राशि वालो की पहचान यह सम, स्त्री तथा स्थिर राशि है। जल तत्व, स्वभाव सौम्य एवं खगोल मंडल में उत्तर दिशा सूचित करती है तथा इसका रंग शुश्क लाल माना गया है। ये रात बली तथा इसका विचरण स्थान जल एवं कीटक है । इसका प्रभाव सर्द तर तथा सांकेतिक चिन्ह बिन्दु है। इसका स्वामी ग्रह मंगल है । चन्द्रमा इस राशि में नीच का होता है। इसका प्रभाव ह्य इंद्रिय पद होता है । बिल, खड्डे, उजाड़ प्रदेश इसके सूचक है तथा नागदोष, बुद्धिमान, दाय इत्यादि इसके लक्षण माने गए हैं। इसके प्रभावाधीन कद औसत, कई बार छोटा परन्तु सुगठित एवं संतुलित शरीर होता है। पट्टे मज़बूत, लम्बा व चौड़ा चेहरा होता है। छोटी व मोटी गर्दन, पैर, टांगे कुछ बेढंगे, बाल काले और कई बार घुंघराले होते हैं । इस राशि के प्रभावाधीन जातक का रंग काला, सांवला व पीला अथवा गेहुंआ होता है। जातक रौबदार होता है तथा देखने में आकर्षक होता है । ये आर्दशवादी होते हैं। इनकी इच्छा शक्ति प्रबल होती है । ये जोशिले होते हैं। तथा इनके विचार स्वतन्त्र होते हैं। ये अपनी जिद्ध अथवा हठ पूरा करते हैं तथा दूसरों के समझाने पर भी नहीं समझते। ये धैर्य से...

धनु राशि वालो की पहचान (Dhanu rashi walo ki pahchan)

धनु राशि वालो की पहचान इसकी दिशा पूर्व मानी गयी है। यह विषय, पुरुष एवं द्विस्वभाव राशि हैं । अग्नि तत्व तथा इसका स्वभाव क्रूर है। इसकी जाति अथवा पूर्ण क्षत्रिय, पित प्रधान राशि मानी गयी है। इसका विचरण स्थान तथा निर्जल खुला मैदान है। इसका प्रभाव उष्ण तर, रंग पीला है। अंगरोग, गुप्तरोग, योगिनीदोष तथा फीकापन इसका लक्षण है। इस राशि का स्वामी ग्रह गुरु है। इसके प्रभावाधीन कद साधारणतया, लम्बा तथा शरीर सुगठित होता है । मस्तक लम्बा, नाक कुछ लम्बी, रंग साफ व गोरा, आखों में चमक साधरणतया अधिक है। ये जातक सुन्दर स्वरूपवान होते हैं । धनु राशि वाले बुद्धिमान, ईमानदार, सत्यवादी होते हैं। ये साहसी, न्यायप्रेमी, परिश्रमी तथा महत्वाकाक्षी होते हैं। इनमें शक्ति, उत्साह एवं आत्मविश्वास उत्तम होता है ये सत्पुरुष, धनवान होते है और धार्मिक कार्यों में रूचि लेते हैं। आध्यात्मिक पक्ष से भी ये सुघड़ होते हैं, यो कठिन समस्याओं को अपने धैर्य, संतोष, साहस एवं परिश्रम से सुलझाते है। ये निर्णय लेने से पहले काफी सोच विचार करते हैं। ये ईश्वर को मानने वाले होते हैं तथा साधारणतया सच बोलते हैं। इसी कारण जीवन...

मकर राशि वालो की पहचान (Makar rashi walo ki pahchan)

मकर राशि वालो की पहचान यह सम, स्त्री चर राशि है। पृथ्विी तत्व एवं स्वभाव सौम्भ है। ये वात प्रधान है तथा खगोल मंडल में इसकी दिशा दक्षिण है। वर्ण अथवा जाति वैश्य तथा रंग स्याह काला है। यह रात्रि बली और इसका विचरण स्थान भूमि है । इसका प्रभाव सर्द शुष्क है तथा सांकेतिक चिन्ह मगरमच्छ माना गया है । इस राशि का स्वामी शनि होता है । इसके प्रभावाधीन दुबले-पतले होते हैं और धीरे-धीरे बढ़ते फूलते हैं। युवा होते ही कद भी लम्बा हो जाता है। इनका शरीर पतला है तथा यह कोई विशेष सुन्दर नहीं होते। मुखड़ा लम्बा, पतला होता है। एवं ठुड्डी कुछ बड़ी एवं कुछ बाहर की होती है । इनका शरीर इतना सुगठित नहीं होता । इनकी गर्दन पतली एवं कुछ मोटी होता है । इनके बाल घने काले होते है । ये अनुशासनप्रिय, कुछ घमण्डी, अपने सम्बन्ध में ही सोचने वाले, मितव्ययी तथा प्रत्येक कार्य में सावधानी के साथ धीरे-धीरे परन्तु फुर्ति से करते हैं । ये शान्त चित्त, सहनशील, गहरी सोच विचार वाले एवं सता के भूखे रोते हैं, ये आज्ञाकार एवं विश्वासपात्र होते हैं । परन्तु इसका दिखावा नहीं करते हैं । ये त्यागी, संयमी, ईमानदारी, चतुर, परिश्...

कुम्भ राशि वालो की पहचान (Kumbh Rashi walo ki pahchan)

कुम्भ राशि वालो की पहचान यह विषम, पुरूष एवं स्थिर राशि है । यह वायु तत्व है तथा इसका क्रूर स्वभाव है । इसका वर्ण अथवा जाति शूद्र तथा खगोल मंडल में इसकी दिशा पश्चिम है। इसका रंग काला तथा प्रभाव उष्णतर है। यह दिन बली है तथा इसका वीरता स्थान वन है। इसका असर पाँच के तले पर होता है । अपुत्र स्त्री का दोष, प्रेत- पीड़ा इसके लक्षण हैं। गली, गटर इसके सूचित है । कुम्भ राशि वालों का रंग साफ व गोरा होता है । कद लम्बा तथा शरीर बढ़ियां एवं आकर्षक होता है। इनके दांत कुछ खराब होते हैं परन्तु ये सुन्दर रूपवान होते हैं। इनके बाल काले तथा चेहरा गोल होता है । कईयों का कद औसत दर्जे का होता है । साधारणतया कुम्भ राशि वाले गोल-मोल पुष्ट शरीर वाले होते हैं । ये एकान्तप्रिय होते हैं । ये धैर्यवान एवं परिश्रमी होते हैं । इनकी इच्छाशक्ति मज़बूत व प्रबल होती है। ये बड़े समझदार होते हैं । परन्तु इन्हें अपनी बात को समझने स्पष्ट करने में कठिनाई आती है। किसी भी कार्य का निर्णय यह सोच विचार कर सकते हैं। ये अच्छे चरित्र के स्वामी होते हैं । तथा इनका स्वभाव गम्भीर होता है। यह अपने सिद्धान्तों पर दृढ़ रहते हैं ...

मीन राशी वालो की पहचान (meen rashi walo ki pahchan)

मीन राशी वालो की पहचान यह सम, स्त्री एवं द्विस्वभाव राशि है। ये जल तत्व राशि हैं और सका स्वभाव सौम्य है । यह कफ प्रधान है। तथा खगोल मंडल में यह उत्तर दिशां को सूचित करती है। इसका वर्ण अथवा जाति ब्राह्मण तथा भूरा, पीला है । यह रात्रि बली है और इसका विचरण स्थान जल है। स राशि का सांकेतिक चिन्ह मछली है । इस राशि के जातकों का कद मझला और कई हालतों में छोटा होता । इनका रंग साफ एवं मस्तक चौड़ा होता है । इनकी आंखें बड़ी तथा कुछ बाहर होती है। मीन राशि वालों के प्रायः पठ्ठे मजबूत होते है । ये शरीर के अच्छे मजबूत होते है। लेकिन इस राशि के कई जातक डीले व कुछ मोटे होते है । इनकी वाणी मधुर होती है। इनके विचारों में परिवर्तन होता रहता है। ये ईमानदार कल्पनाशील एवं विलासी होते हैं। ये अपने सम्मान का भी पूरा ध्यान रखते हैं। इनमें हुकूमत करने की प्रबल भावना होती है ये मिलनसार होते है

महंगाई का दुष्प्रभाव 2022 (Mahangai ka dushprabhaw 2022)

महंगाई का दुष्प्रभाव 2022 जब पूरी दुनिया में महंगाई का तांडव चल रहा है तब भारत भी इससे प्रभावित है लेकिन अगर तुलनात्मक तौर पर अमेरिका, ब्रिटेन, जर्मनी जैसे विकसित देशों से तुलना करें तो पिछले एक वर्ष के दौरान भारत में रहने व खाने के खर्चे में बढ़ोतरी की दर कम रही है । एसबीआइ की तरफ से शुक्रवार को जारी शोध रिपोर्ट इकोरैप में यह बात कही गई है । भारत में महंगाई का दुष्प्रभाव सबसे कम रिपोर्ट में कहा गया है कि जब पूरी दुनिया में अनिश्चितता है तब भारत को इस वजह से नखलिस्तान कहा जा रहा है कि यहां महंगाई का दुष्प्रभाव दूसरे देशों के मुकाबले सबसे कम है । अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आइएमएफ) ने भी हाल ही में एक रिपोर्ट के आधार पर कहा है कि किस तरह से महंगाई ने पूरी दुनिया में आम आदमी के जीवन को बुरी तरह से प्रभावित किया है । वर्ष 2004 के बाद से वैश्विक स्तर पर ऊर्जा की कीमतों में 75 फीसद का इजाफा हुआ है । इकोरैप ने भारतीय सौ रुपये की कीमत के आधार पर कई देशों में रहने सहने की लागत का अध्ययन किया गया है । पिछले एक वर्ष के दौरान रुपये के मुकाबले इन विदेशी मुद्राओं की कीमत में हुए अंतर...

बैंकों का महत्व और उपयोगिता (banko ka mahatva aur upyogita)

बैंकों का महत्व और उपयोगिता आधुनिक युग में बैक सम्पूर्ण आर्थिक क्रियाओं की आधारशिला है । कारण यह है कि बैंक व्यवसाय , उद्योग , कृषि , वाणिज्य , व्यापार की स्थापना एवं विकास में महत्वपूर्ण योगदान देता है । प्रो . विकसेल के शब्दों में " बैक आधुनिक मुद्रा में व्यवस्था का हृदय तथा केन्द्र बिन्दु है । " वास्तव में बैक रक्तवाहिनी नाड़ियों की तरह कार्य करते है और देश की अर्थव्यवस्था को स्वस्थ एवं सबल बनाने में महत्वपूर्ण योगदान देते है । किसी भी अर्थव्यवस्था में बैंकों के महत्व एवं उपयोगिता निम्नलिखित है - ( 1 ) धन संग्रह ( Collection of Money ) - बैक समाज के सभी वर्गों की छोटी - बड़ी बचतों को एकत्रित कर उन लोगों को उधार देता है जिन्हें उसकी आवश्यकता है । इस प्रकार बैक लोगों के पास बेकार पड़े धन को उत्पादक कार्यों के लिए ऋण देकर उसे अधिक उपयोगी बनाता है । संक्षेप में बैंक धन में उत्पादनशीलता का सृजन करता है । ( 2 ) मुद्रा प्रणाली को लोचपूर्ण ( Elastic ) बनाना- वर्तमान समय में मुद्रा प्रणाली को लोचपूर्ण बनाने के लिए देश के केन्द्रीय बैंक को नोट निर्गमन का अधिकार प्रदान किया ग...

व्यापारिक बैंकों के कार्य (vyaparik bainko ke karya )

व्यापारिक बैंकों के कार्य व्यापारिक बैंकों के कार्यों का सुचारु अध्ययन के लिए इन्हें निम्न पाँच भागों में वर्गीकृत किया जा सकता है , यथा - जमा स्वीकार करना , ऋण देना , अभिकर्ता सम्बन्धी कार्य , विविध कार्य और साख निर्माण सम्बन्धी कार्य । व्यापारिक बैंकों के इन कार्यों में से साख निर्माण सम्बन्धी कार्यों की विस्तृत व्याख्या पृथक अध्याय में की गई है । व्यापारिक बैंकों के कार्यों का विस्तृत विवरण निम्न प्रकार है : ( 1 ) जमाएँ अथवा निक्षेप स्वीकार करना ( To Accept Deposits ) - वर्तमान समय में जनता से जमाएँ अथवा निक्षेप स्वीकार करना बैंक का सबसे महत्वपूर्ण एवं प्रारंभिक कार्य है । बैंक विभिन्न प्रकार की जमा योजनाओं के माध्यम से सभी वर्गों की जमा राशि को आकर्षित करने में रुचि लेता है । बैंक में जब लोग रकम जमा करते हैं , तब उन्हें व्याज मिलता है । अन्य शब्दों में , बैंक जनता से जमा के रूप में ऋण लेता है । कारण यह है कि जमा किये जाने पर धन को ब्याज सहित लौटाने का उत्तरदायित्व बैंक का होता है । व्यापारिक बैंक निम्नलिखित खातों पर रकम जमा कराने की सुविधा देते हैं - ( a ) चालू खाता ( Cur...

भारतीय संस्कृति ( संस्कृत में ) bharitya sanskriti nibandh sanskrit me

भारतीया संस्कृति : संस्कृति : नाम संस्कारेण संस्करणं परिष्करणम् इति । यया संस्कृत्या सभ्यतया च भारतीया : जना : संस्कारं परिष्कारं च लभन्ते सा एव भारतीया संस्कृतिः । इयम् ' आर्यसंस्कृति : ' अपि उच्यते । एषा संस्कृति : जनानां हृदयेभ्य : दुर्गुणान् , दुर्व्यसनानि , पापानि च निस्सार्य दूरीकरोति । सदाचार - शिक्षणेन च सा मानवमनांसि निर्मलानि सात्त्विकानि च करोति । ' समन्वय - भावना ' अस्माकं भारतीयानां संस्कृतेः प्रमुखा विशेषता अस्ति । संस्कृतिरियं विश्वस्य सर्वेभ्य : मानवेभ्य : सौख्यम् उपदिशति । सर्वे भवन्तु सुखिन : सर्वे सन्तु निरामयाः । सर्वे भद्राणि पश्यन्तु मा कश्चिदुःखभाग्भवेत् ।। अस्माकं भारते पूर्वम् आर्यजना : पापेभ्य : बिभ्यति स्म , सत्यं वदन्ति स्म , अहिंसाम् आचरन्ति स्म । ते दया - परोपकार - धैर्य - त्यागशीलता - सहानुभूत्यादि नियमान् पालयन्ति स्म । अत एव ते विश्ववन्द्या : आसन् । भारतीया : जना : शास्त्रोक्तानां धर्मनियमानां पालने मनसा वाचा कर्मणा संनद्धा : भवन्ति स्म । सत्यमिदं यत् संसारे यः कोऽपि स्वसंस्कृतिं त्यजति स : कदापि सुखी समृद्धश्च न भवति । अत : यदि वयं ...

भगवद्गीता परिचय ( संस्कृत में ) bhagwat geeta parichay sanskrit me

भगवद्गीता भगवद्गीता अयं ग्रन्थ : महर्षिणा वेदव्यासेन रचितस्य महाग्रन्थस्य महाभारतस्य अङ्गभूत : अस्ति । महाभारतयुद्धकाले यदा अर्जुन : मोहग्रस्त : युद्धविरत : च अभवत् तदा श्रीकृष्णेन यत्किञ्चिद्पदिष्टं तत् गीता - ग्रन्थरूपेण प्रसिद्धम् । अस्मिन् कर्म - ज्ञान - सांख्य - योगानां विषये उपदेश : विद्यते । कर्मयोग : गीताया : प्रमुख : उपदेश : अस्ति । अत एव अस्य ग्रन्थस्य अपरं नाम ' कर्मयोगशास्त्रम् ' अपि अस्ति । अस्य मननं कृत्वा मनुष्य : कर्मयोगी भवति । स : मनसा इन्द्रियैः शरीरेण च क्रियमाणेषु कर्मसु कर्तृत्वाभिमानं त्यजति । अयं ग्रन्थ : संन्यासं नोपदिशति अपितु योग : कर्मसु कौशलम् " इत्युपदिशति । गीतायां निष्कामकर्मण : विशिष्टं महत्त्वम् अस्ति - "कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन " । अस्मिन् ग्रन्थे भगवता श्रीकृष्णेन उपदिष्टम् यत्- आत्मा नित्य : शरीराणि च अनित्यानि । अत : मरणात् न भेतव्यम् । नर : वीरो भूत्वा अन्यायस्य प्रतीकारं कुर्यात् । एवं प्रकारेण गीता सर्वान् मनुष्यान् सर्वेषु लौकिककर्मसु कौशलम् शिक्षयति । अर्जुन : उपदेशेन नष्टमोहो भूत्वा कृष्णस्य धर्मयुद्धे प्...

महर्षि : वाल्मीकिः ( संस्कृत में ) valmiki jeevan parichay sanskrit me

आदिकवि: वाल्मीकिः महर्षि : वाल्मीकिः संस्कृतसाहित्यस्य आदिकविरस्ति । अयं मर्यादापुरुषोत्तमस्य रामस्य चरितवर्णनाय ' रामायणम् ' नाम आर्षकाव्यम् अरचयत् । रामायणस्य फलश्रुत्यध्याये रामायणस्य कर्तृत्वेन वाल्मीके : उल्लेख : प्राप्यते । क्रौञ्चद्वन्द्वस्य एकं व्याधेन व्यापादितं दृष्ट्वा अस्य कवे : मनसि समुत्थितः शोक : एव श्लोकरूपेण आविर्भूतः । उक्तञ्च - क्रौञ्चद्वन्द्ववियोगोत्थ : शोक : श्लोकत्वमागतः । आदिकविरयम् ऋषे : प्रचेतस : दशम : पुत्र आसीत् । अयं जात्या ब्राह्मण : राज्ञो दशरथस्य च मित्रमासीत् । मुनेर्वाल्मीके : आश्रमे दशसहस्रसंख्याका : छात्रा : उषित्वा शिक्षामगृह्णन् । अस्याश्रम : गङ्गायाः तमसानद्याश्च तीरे आसीत् । वाल्मीके : आश्रमविषये इदमपि मतं प्राप्यते यत् अस्याश्रम : यमुनायास्तटे चित्रकूटस्य समीपे आसीत् । तत्रैव उषित्वा वाल्मीकि : रामायणस्य रचनामकरोत् । वाल्मीकिना विरचितं ' रामायणम् ' लोकेऽस्मिन् सर्वतो मधुरम् , लोकप्रियम् , सर्वतश्चाधिकं हृदयस्पर्शि ऐतिहासिकं काव्यमस्ति । अस्मिन् रामस्य , कथा वर्णयित्वा कविना लोकसमक्षम् एक : आदर्श : प्रस्तुतीकृत : यत् ' रा...