कायान्तरित चट्टानों की विशेषताएँ kayantarit chattano ki visheshtayen


कायान्तरित चट्टानों की विशेषताएँ

इनकी निम्नलिखित विशेषताएँ है।
(1) इन चट्टानों में स्फटिक भी पाए जाते हैं।
(2) इन चट्टानों पर ताप एवं दबाव का बहुत प्रभाव पड़ता है। अतः परतदार (अवसादी) चट्टानों के जीवाश्म नष्ट हो जाते हैं और कुछ आग्नेय चट्टानों के खनिज द्रव्य पिघलकर एकत्रित हो जाते हैं।
(3) कायान्तरित होकर ये चट्टाने पहले से अधिक कठोर एवं असरन्धी हो जाती है।
(4) ये चट्टाने ऋतु अपक्षय की क्रिया से अप्रभावित रहती है।
(5) इन चट्टानों में पाए जाने वाले कण प्राय व्यवस्थित रूप में पाए जाते हैं।
(6) रूपान्तरण होने से मूल चट्टानों के मौलिक एवं रासायनिक गुण परिवर्तित हो जाते हैं।

कायान्तरित चट्टानों का वितरण
(Distribution of Metamorphic Rocks)

विश्व के प्रायः सभी प्राचीन पठारों पर कायान्तरित चट्टानें मिलती है। भारत में ऐसी चट्टाने दक्षिण के प्रायद्वीप, दक्षिण अफ्रीका के पठार और दक्षिणी अमेरिका के ब्राजील के पठार, उत्तरी कनाडा, स्केण्डेनेविया, अरब, उत्तरी रूस और पश्चिमी आस्ट्रेलिया के पठार पर पायी जाती है। इनमें सोना, हीरा, संगमरमर चाँदी आदि खनिज पाये जाते हैं।

कायान्तरित चट्टानों का आर्थिक उपयोग (Economic Utility of Metamorphic Rocks) कायान्तरित चट्टानों में पाये जाने वाले खनिज मानव के लिये अनेक प्रकार से उपयोगी है। यहाँ सोना, चाँदी, हीरा कायान्तरित चट्टानें पायी जाती है।

संगमरमर जो एक प्रमुख कायान्तरित चट्टान है, भवन निर्माण के लिए उपयोग में आता है। विश्व प्रसिद्ध ताजमहल एवं अनेक महत्वपूर्ण मन्दिर इसी प्रकार की चट्टान (संगमरमर से निर्मित है। एन्थेसाइट कोयला, ग्रेनाइट एवं हीरा भी बहुउपयोगी कायान्तरित चट्टान है । अभ्रक जैसे खनिज बार-बार कायान्तरण होने से बनते हैं। कठोर क्वार्ट्जाइट का निर्माण अवसादी चट्टान के कायान्तरण से हुआ है।

प्रमुख कायान्तरित चट्टानें -

(1) संगमरमर (Marble ) - संगमरमर चूना पत्थर का परिवर्तित रूप है। इसे कैल्साइट से बनाया जाता है। इसे अम्लीय परीक्षण द्वारा पहचाना जा सकता है। यह चिकनी, कठोर, रवेदार चट्टान है। शुद्ध संगमरमर श्वेत रंग का होता है, किन्तु कार्बन, हेमेटाइट व लिमोनाइट आदि अपद्रव्यों से कई आकर्षक रंगी में मिलता है। यथा हरा, काला, भूरा और लाल आदि। इस चट्टान में तापमान द्वारा जीवावशेष के सभी चिन्ह प्रायः नष्ट हो जाते हैं।

(2) स्लेट (Slate ) - स्लेट का निर्माण जलीय अवसादी चट्टानों से क्षेत्रीय रूपान्तरण के कारण होता है। इसका निर्माण प्रादेशिक स्थानान्तरण से होता है। यह सूक्ष्म कणों वाली कठोर चट्टान है। इस चट्टान में रंगहीन अभ्रक की अधिकता होती है । अभ्रक के अतिरिक्त क्वार्ट्ज क्लोराइड भी पाए जाते है। स्लेट का रंग धूसर, काला या हरा होता है। इसका उपयोग गृह निर्माण में होता है।

(3) शिष्ट (Schist ) - यह बारीक कणों वाली रूपान्तरित चट्टान है। शिष्ट चट्टान में अनेक खनिज, यथा— अभ्रक, बायोराइट, क्लोराइड, हॉर्नब्लैण्ड आदि पाए जाते हैं। किसी खनिज विशेष की अधिकता के आधार पर इसे उसी नाम से जाना जाता है, यथा-हॉर्नब्लैण्ड शिष्ट. क्लोराइड शिष्ट, माइका शिष्ट तथा क्वार्ट्ज शिष्ट आदि।

(4) नीस (Gneiss) - यह खुरदरे कण वाली कायान्तरित चट्टान है। इसका प्रमुख खनिज फेल्सपार इसका निर्माण कांग्लोमरेट तथा बड़े कणों वाली ग्रेनाइट चट्टान के रूपान्तरण से होता है। इसमें पत्राभिकृत का विकास पूर्णतट नहीं हो पाता है। इसका निर्माण करने वाले खनिज एक-दूसरे के समानान्तर होते है जिससे इसमें पट्टियों का विकास होता है।

नौस का उपयोग सड़क निर्माण में सर्वाधिक होता है। तमिलनाडु, मध्य प्रदेश तथा झारखण्ड में यह चट्टान प्रमुखता से पायी जाती है।