आखरी शिक्षा कहानी (aakhari siksha kahani )


आखरी शिक्षा

सुबह-सुबह अरविंद अपनी साइकल खूब रगड़ रगड़ कर धो रहा था मानो आज उसे नया ही कर डालेगा । तभी अरविंद की मां बाहर निकल कर आई और बोली कि आज ऐसा क्या हो गया, जो साइकिल को इतना धो रहा है । जवाब में अरविंद कहता है - आज मेरे स्कूल में साइकिल रेस है और मैं उस में प्रथम आना चाहता हूं । इसलिए मैं इसे अच्छे से साफ करके और पूरी तरह जांच कर रहा हूं । कहीं यह मुझे रास्ते में ही धोखा तो ना दे दे । अरविंद की मां कहती है कि नहीं ऐसा कुछ नहीं होगा । तुम जरूर प्रथम आओगे, अरविंद इस समय केवल 14 साल का होता है । वह तैयार होकर अपनी साइकिल पर बैठता है, और स्कूल की ओर निकल पड़ता है । लगभग दिन के 11:00 बज रहे हैं । अरविंद के टीचर उसे स्कूल के गेट के बाहर ही मिल जाते हैं । उसे कहते हैं कि - अरविंद ! अच्छा हुआ तुम बिल्कुल सही टाइम पर आ गए, प्रतियोगिता शुरू हुई होने वाली है । अरविंद को ज्यादा सोचने का समय नहीं मिल पाता और वह तुरंत ही अपने बाकी दोस्तों के पास साइकिल लेकर जाता है । बाकी लोग भी अपनी अपनी साइकिल लेकर मैदान की तरफ कतार में खड़े हो जाते हैं । तभी एक तेज आवाज में सीटी बजती है, और सभी प्रतियोगी बहुत ही रफ्तार के साथ साइकिल चलाते हुए आगे बढ़ते हैं परंतु इस समय अरविंद से भी आगे कोई और होता है । अरविंद पूरी कोशिश करते हुए साइकिल चलाता है और अंत में हार जाता है । वह अपनी हार से निराश नहीं होता वह फिर से दूसरी प्रतियोगिता में भाग लेता है परंतु इस बार भी उसे सफलता नहीं मिलती । प्रतियोगिताएं खत्म होने के बाद वह अपने घर वापस आ जाता है और अपनी मां से कहता है कि मैंने 2 प्रतियोगिताओं में हिस्सा लिया परंतु किसी में सफल नहीं हो पाया । अरविंद की मां कहती है कोई बात नहीं अगली बार प्रयास करके देखना इसी तरह अगले दिन अरविंद पुनः स्कूल जाता है । तभी स्कूल के सामने एक मदारी अपना बंदर लेकर खेल दिखाने लगता है सभी बच्चे दौड़ते हुए मदारी को घेर लेते हैं, और बंदर के करतब देखने लगते हैं तभी अरविंद देखता है की एक बेजुबान जानवर, जो ना तो बोलना जानता है, और ना ही उसके पास रहन-सहन का तरीका है । लेकिन फिर भी वह कैसे मदारी के डंडे के इशारे पर सभी काम आसानी से कर रहा है । लेकिन यह कैसे हो सकता है ? खेल खत्म होने के पश्चात वह तुरंत मदारी के पास जाता है और से पूछता है कि क्या इस बंदर के पास कोई जादू है । जिससे यहां इतने अच्छे करतब कर पाता है । मदारी कहता है नहीं यह कोई जादू तो है ही नहीं यह तो बस अभ्यास का परिणाम है मैं इस बंदर को रोज नई-नई चीजें सिखाता हूं, और उसे उन्हीं चीजों का लगभग हजार बार से ज्यादा अभ्यास कराता हूं । जिससे यह पूरी तरह से अपने काम में निपुण हो गया है । तभी अरविंद को समझ में आ जाता है की वह साइकिल रेस क्यों हार गया था स्कूल से छुट्टी होने के बाद घर वापस जाते समय अरविंद को उस मदारी की बात याद आती है और अरविंद अपनी साइकिल से और भी ज्यादा अभ्यास करने लगता है । लगभग 2 महीने बाद फिर से स्कूल में प्रतियोगिताएं शुरू होती हैं जिसमें अरविंद जीत जाता है उसे सफलता का मूल मंत्र मिल चुका था । लेकिन फिर भी उसके अंदर एक चीज की कमी थी वो थी, आखरी शिक्षा जो शायद किसी पाठशाला का शिक्षक भी नहीं सिखा सकता धीरे-धीरे करके अरविंद अपने स्कूल का सबसे होशियार छात्र बन जाता है । और कॉलेज में भी वह बहुत ख्याति प्राप्त कर लेता है | तभी उसकी मुलाकात एक ऋषि से होती है जो उनके प्रोफेसर के परम मित्र थे अरविंद अपने प्रोफेसर से इस बात को पूछते हैं की प्रोफेसर आप तो इतने बड़े कॉलेज मैं बच्चों को शिक्षा देते हैं परंतु आपके मित्र तो साधु सन्यासी हैं | जिसे दुनियादारी का कोई भी ज्ञान नहीं तो ऐसे व्यक्ति से आपने मित्रता क्यों की ? प्रोफेसर कहते हैं - हमारे संसार में केवल किताबी ज्ञान ही नहीं है अपितु कुछ ऐसे ज्ञान भी हैं जिसे विज्ञान भी नहीं ढूंढ पाया है और मेरे मित्र उसी ज्ञान की तलाश में है यह भले ही हमारी तरह कपड़े नहीं पहनते हो, भले ही उनका रहन-सहन हमारी तरह ना हो, परंतु मैं यह बात जानता हूं कि वह ज्ञान में हम से भी ज्यादा आगे हैं । अरविंद कहता है - यह आप क्या कह रहे हैं ? एक ऐसा व्यक्ति जिसे दुनिया की किसी चीज से मतलब ना हो, वह आप से भी ज्यादा बुद्धिमान कैसे हो सकता है ? प्रोफ़ेसर कहते हैं कि - मैंने भी उस परम तत्व की प्राप्ति के लिए बहुत प्रयास किया परंतु असफल रहा हूं । लेकिन मेरे मित्र मुनि ने उस कार्य को कर दिखाया है अरविंद के मन में उस ज्ञान को पाने की इच्छा जागृत हो जाती है । कि वह ऐसा कौन सा ज्ञान है जो हमारे प्रोफेसर भी नहीं पा सके । वह तुरंत ही प्रोफ़ेसर को कहता है कि क्या आपके मित्र मुझे वह ज्ञान दे सकते हैं ? प्रोफेसर कहते हैं हां क्यों नहीं मैंने तो एक बार प्रयास करके देख लिया है, अगर तुम्हारी इच्छा है । तो एक बार तुम भी कर लो और इतना कहकर वहां से चले जाते हैं । दूसरे दिन अरविंद अपने प्रोफेसर से मुनि ऋषि का पता पूछते हैं । तभी प्रोफेसर कहते हैं कि उसके लिए तो तुम्हें उन्हें दक्षिण के जंगल में ही मिलेंगे इतना सुनकर अरविंद तुरंत दक्षिण के जंगल निकल पड़ता है ।

अरविंद दक्षिण के जंगल की ओर चलता रहता है । तभी उसे एक सुंदर कन्या मिलती है वह इतनी सुंदर होती है कि अरविंद उसे देखता ही रह जाता है । परंतु उसे तो मुन्नी से मिलना था वह आगे की ओर बढ़ जाता है । फिर जंगल में चलते चलते उसे एक भालू मिल जाता है । वह सोचता है कि इस भालू से निपटने का मेरे पास कोई भी रास्ता नहीं है इससे अच्छा यह है क्यों ना भालू के सामने मरणासन्न नाटक किया जाए वह वैसा ही करता है और भालू अरविंद के पास आता है । वह अरविंद के मुख की और अच्छे से घूर कर देखता है और फिर उल्टे पैर लौट जाता है । आगे जाकर उसे एक बहुत बड़ी खाई मिलती है और उस खाई पर बकरी चलाता हुआ एक चरवाहा भी मिलता है वह चरवाहा उससे कहता है कि बाबू आप यहां क्यों आए हैं । अरविंद कहता है मैं यहां किसी ऋषि की तलाश में आया हूं । चरवाहा कहता है यहां पर तो कोई भी नहीं है और खाई है आप खाई पार कैसे करेंगे । अरविंद कहता है कोई बात नहीं मैं देख लूंगा अरविंद बहुत संभलते हुए खाई के नीचे की ओर उतरता है और फिर कड़ी मशक्कत के बाद खाई के दूसरे छोर पर पहुंच जाता है । बहुत समय बीतने के बाद अरविंद को भूख प्यास भी लगने लगती है । वह सोचता है की हो सकता है वह ऋषि यहां पर ना हो और वैसे भी यह जंगल बहुत ही बड़ा है लेकिन मुझे हार नहीं माननी चाहिए । मुझे जंगल के और अंदर जाना चाहिए वह जंगल में घुसता ही चला जाता है । और तभी एक टूटा फूटा लकड़ी का घर उसे दिखाई पड़ता है । वह सोचता है कि शायद मेरा सफर पूरा हुआ वह उस कुटिया के अंदर जाता है । वहां एक व्यक्ति मिलता है जो कहता है भाई कौन हो आप क्या काम है । आपको अरविंद कहता है मैं यहां एक ऋषि की तलाश में आया था । वह व्यक्ति बोलता है यहां कोई ऋषि नहीं है मुझे तो लगता है तुम यहां खजाना लेने आए हो । अरविंद कहता है किस खजाने की बात कर रहे हो आप । वह व्यक्ति बोलता है की दुनिया के सभी सुख और ज्ञान उस खजाने के सामने तुच्छ हैं । अगर आप चाहें तो मैं आपको उस खजाने तक लेकर जा सकता हूं । अरविंद सोचता है कि यह कोई बेवकूफ है वह व्यक्ति अरविंद को भरोसा दिलाने के लिए अपने घर के घड़े को बाहर निकाल कर लाता है और अरविंद को दिखाता है । यह सब देखकर अरविंद को अपनी आंखों पर भरोसा नहीं रहता उस घड़े के अंदर हीरे जवाहरात भरे पड़े थे और अरविंद को यकीन हो जाता है । फिर वह व्यक्ति बोलता है कि यदि आपको यह सब चाहिए तो आप लेकर जा सकते हैं । अरविंद कहता है नहीं मुझे यह सब नहीं चाहिए और वहां से आगे की ओर चल देता है । वह उस कुटिया के दायरे से बाहर ही निकलता है तभी एक लंबे बालों वाला साधु, शरीर पर वस्त्रों के बदले राख लपेटे हुए, हाथों और गले में रुद्राक्ष की बहुत सी मालाएं लिपटी हुई थी तुरंत अरविंद के सामने प्रकट हो जाते हैं । यह सब देखकर अरविंद चौक जाता है और कहता है कि कौन हो आप ? साधु हंसकर कहता है जिस से मिलने के लिए तुम इतने आतुर थे । जिस से मिलने के लिए तुमने इतने कष्ट सहे और अब उसी से पूछ रहे हो कि कौन हो आप ?

अरविंद तो क्या आप मुनि हैं ।

साधु हां मेरा ही नाम मुनि है ।

अरविंद तब तो मेरी यात्रा सफल रही मैं आप ही को ढूंढता हुआ इस जंगल में आया हूं अतः हे मुनिवर आप मेरा मार्गदर्शन करें मुझे उस परम ज्ञान की तलाश है जिसके बारे में हमारे प्रोफ़ेसर ने मुझे बताया था जो आपके मित्र भी हैं साधु कहता है हां मुझे पता है कि तुम यहां जरूर आओगे अरविंद चौक जाता है ।

साधु तुम उस ज्ञान को पाने के लिए बिल्कुल योग्य हो ।

अरविंद लेकिन हम तो आज पहली बार मिले हैं तो फिर आप यह कैसे कह सकते हैं कि मैं उस ज्ञान को पाने के लिए योग्य हूं ।

साधु यहां पर आते समय तुम्हें जितनी भी कठिनाइयों का सामना करना पड़ा असल में वह कठिनाइयां तो इस जंगल में है ही नहीं ।

अरविंद मतलब

साधु सबसे पहले मैंने तुम्हारे अंदर की कामवासना को जगाने के लिए एक कन्या का रूप लिया था परंतु तुम उस पर भी नहीं भटके फिर मैंने तुम्हारे अंदर के डर को जगाने के लिए भालू का रूप लिया था । तुम फिर भी नहीं डरे फिर मैंने तुम्हारे रास्ते को रोकने के लिए खाई बना दी और तुम्हें वापस लौटने की सलाह देने वाला चरवाहा भी मैं ही थ ।ा तुम्हारे अंदर की लालच को जगाने के लिए मैंने तुम्हें खजाना देने की भी कोशिश की पर फिर भी तुम अपने मार्ग से नहीं भटके और इस तरह मैं तुम्हारी परीक्षा पहले ही ले चुका हूं जिससे मैंने यह अंदाजा लगा लिया है कि तुम उस परम तत्व की प्राप्ति के लिए बिल्कुल सही व्यक्ति हो ।

साधु की बातें सुनकर अरविंद तुरंत बेहोश हो जाता है ।

थोड़ी देर बाद अरविंद को होश जाता है ऋषि अरविंद को कहते हैं तुम्हें पहले लक्ष्य साधना सीखना होगा ।
साधु अरविंद को अपने साथ रहने की सलाह देता है ।


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