विद्युत धारा ( vidyut dhara )


विद्युत धारा ( Current Electricity )

घरों में बल्ब या ट्यूब लाइट जलाने के लिये स्विच ऑन ( बटन चालू ) करते हैं । इसी प्रकार टार्च को जलाने के लिये भी स्विच ऑन करना पड़ता है । स्विच ऑन करने से विद्युत बल्ब या टार्च का बल्ब क्यों प्रकाश देने लगता है ? आइए इसे जानने के लिए एक क्रियाकल्प करें ।

एक टार्च का सेल, टार्च का बल्य, चालक तार के टुकड़े तथा कुंजी या इलेक्ट्रिक स्विच लेकर इन्हें चित्र के अनुसार जोड़े ।

vidyut dhara torch

टॉर्च के सेल के एक सिरे पर + चिन्ह तथा दूसरे पर - चिन्ह लगा होता है । सेल में ' + ' चिन्ह वाले सिरे का विभव, ' - ' चिन्ह वाले सिरे के विभव से अधिक होता है । सेल के सिरों के मध्य इस विभवांतर ( विद्युत वाहक बल ) के कारण चालक तार में लगी कुंजी को चालू करते ही आवेश प्रवाहित होने लगता है तथा टार्च का बल्ब जलने लगता है । इस समय कहा जाता है कि बल्ब में विद्युत धारा प्रवाहित होने से बल्ब प्रकाश देने लगता है चालक तार में लगी कुंजी को खोल देने ( स्विच ऑफ ) पर तार में आवेश प्रवाह का मार्ग टूट जाता है तथा टार्च का बल्ब बुझ जाता है । इस समय कहा जाता है कि बल्य में विद्युत धारा प्रवाहित न होने से बल्ब बुझ गया है । स्पष्ट है कि चालक तार में विद्युत धारा का अस्तित्व तार में आवेश प्रवाह के कारण होता है

विद्युत धारा को हम इस प्रकार परिभाषित कर सकते हैं : - एकांक समय में चालक तार में प्रवाहित आवेश की मात्रा को विद्युत धारा कहते हैं । दूसरे शब्दों में " आवेश प्रवाह की दर को विद्युत धारा कहते हैं । यदि किसी चालक में Q आवेश, t सेकण्ड तक प्रवाहित होता है तो चालक में प्रवाहित होने वाली धारा I का मान निम्न सूत्र द्वारा ज्ञात कर सकते हैं

धारा I =
Q
t

धारा का SI मात्रक एम्पियर होता है । इसे अंग्रेजी वर्णमाला के अक्षर A से प्रदर्शित करते हैं । विद्युतधारा एक अदिश राशि है । यदि किसी चालक में 1 कूलॉम आवेश, 1 सेकण्ड तक प्रवाहित होता है तो चालक में बहने वाली धारा का मान 1 एपियर होगा ।