सूक्ष्मदर्शी ( sukchhm darshi Microscope )
वह यंत्र जो सूक्ष्म वस्तु का बड़ा एवं स्पष्ट प्रतिबिम्ब बनाता है , सूक्ष्मदर्शी कहलाता है । हम पढ़ चुके हैं कि जब एक उत्तल लेंस के सामने वस्तु फोकस और प्रकाश केन्द्र के बीच रखी जाती है तब उसका प्रतिबिम्ब बड़ा , आभासी व सीधा बनता है । लेकिन उत्तल लेंस की सहायता से एक सीमा से अधिक आवर्धन प्राप्त नहीं किया जा सकता है । अत : जब हमें अति सूक्ष्म वस्तुओं को स्पष्ट देखना होता है , तब हम दो लेंसों के संयोग का प्रयोग कर आवर्धन को बढ़ा लेते हैं । इस तरह हम दो प्रकार के सूक्ष्मदर्शी का प्रयोगशाला में उपयोग करते हैं : सरल सूक्ष्मदर्शी व संयुक्त सूक्ष्मदर्शी ।
1. सरल सूक्ष्मदर्शी -
सरल सूक्ष्मदर्शी एक कम फोकस दूरी का उत्तल लेंस होता है जिसे एक हैण्डिल लगे वृत्ताकार फ्रेम में लगा दिया जाता है ।
सिद्धांत : किसी वस्तु को उत्तल लेंस के प्रकाश केन्द्र व फोकस के बीच रखने से उसका आभासी , सीधा व बड़ा प्रतिबिम्ब वस्तु की ओर बन जाता है , यहाँ उत्तल लेंस , आवर्धक की भाँति कार्य करता है ।
2. संयुक्त सूक्ष्मदर्शी -
दो लेंसो के सहयोग द्वारा आवर्धन प्राप्त करने की युक्ति, जिससे अति सूक्ष्म कणों को स्पष्ट देखा जा सकता है संयुक्त सूक्ष्मदर्शी कहलाता है ।
रचना : - इसमें खोखली नली के एक सिरे पर उत्तल लेंस लगा L1 रहता है , जिसे ओर रखा जाता है । इसे अभिदृश्यक लेंस कहते है । नली के दूसरे सिरे पर इसमें सरकने वाली एक खोखली नली लगी होती है इस नली के दूसरे सिरे पर एक लेंस L2 लगा रहता है जो प्रेक्षण के दौरान नेत्र के पास होता है अतः इसे नेत्र लेंस कहते हैं नेत्र लेंस के सामने निश्चित दूरी पर क्रास तार लगा रहता है । इस नली को नेत्रिका नली कहते हैं दण्ड चक्रीय प्रबंध द्वारा नेत्रिका नली को आगे पीछे सरकाकर अभिदृश्यक लेंस और नेत्र लेंस के बीच की दूरी को बदला जा सकता है ।
यहाँ अभिदृश्यक की फोकस दूरी = f0, तथा नेत्र लेंस की फोकस दूरी = f0, है तथा अभिदृश्यक का प्रथम फोकस F0 तथा नेत्र लेंस का प्रथम फोकस F0 है ।
कार्य विधि : - मान लीजिये AB सूक्ष्म वस्तु है तथा इसे अभिदृश्यक लेंस L1 के सामने इसके प्रथम फोकस से थोड़ा दूर रखते हैं , जिससे इसका वास्तविक, उल्टा व बड़ा प्रतिविम्ब A'B', लेंस L1 के दूसरी ओर लेकिन नेत्र लेंस L2 के सामने बनता है ।
अब दोनों लेंसों के बीच की दूरी को इस प्रकार समंजित करते हैं, कि अभिदृश्यक लेंस L1 द्वारा बने प्रतिबिम्ब A'B' की नेत्र लेंस L2 से दूरी, इसकी फोकस दूरी से कम हो ( अर्थात् प्रतिविम्ब A'B' नेत्र लेंस के प्रकाशिक केन्द्र O2 तथा प्रथम फोकस F0 के बीच बन जाय ) । नेत्र लेंस L2 के लिये यह प्रतिबिम्ब A'B', वस्तु का कार्य करता है, तथा A'B' वस्तु का प्रतिबिम्ब नेत्र लेंस द्वारा A"B" बनता है, जो वस्तु AB की तुलना में बहुत बड़ा तथा आभासी होता है ।
दूरदर्शी ( Telescope ) -
वह प्रकाशिक यंत्र , जो दूर स्थित वस्तु का स्पष्ट और बड़ा प्रतिबिम्ब बनाता है , दूरदर्शी कहलाता है ।
ये सामान्यतः दो प्रकार के होते हैं -
( 1 ) खगोलीय या आकाशीय दूरदर्शी ( Astronomical Telescope )
( 2 ) पार्थिव या भू - दूरदर्शी ( Terrestrial Telescope )
आकाशीय दूरदर्शी, आकाशीय पिण्डों को देखने में उपयोग किया जाता है । इससे बनने वाला प्रतिविम्ब उल्टा बनता है । वहीं पृथ्वी की सतह पर दूरस्थ स्थित वस्तुओं को देखने के लिये पार्थिव दूरदर्शी का उपयोग किया जाता है । इससे बनने वाला प्रतिबिम्ब सीधा होता है ।
1. खगोलीय दूरदर्शी की रचना -
इस यंत्र में धातु की एक लम्बी खोखली नली के एक सिरे पर एक उत्तल लेंस L0 लगा होता है , जिसे वस्तु ( आकाशीय पिण्ड ) की और रखते हैं । इसे अभिदृश्यक लेंस ( Objective Lens ) कहते हैं ।
इस नली के दूसरे सिरे पर अन्य खोखली नली लगी रहती है जिसे पहली नली के अन्दर दण्ड चक्रीय प्रबंध द्वारा सरकाया जा सकता है । इस नली के बाहरी सिरे पर एक और उत्तल लेंस L0 लगा रहता है , जो देखने के दौरान नेत्र के पास होता है अत : इसे नेत्र लेंस या मैत्रिका ( Eye Lens ) कहते हैं ।
खगोलीय दूरदशी की कार्यविधि -
बहुत दूर स्थित वस्तु A से आने वाली समान्तर किरणे अभिदृश्यक लेंस L0 के द्वितीय फोकस पर वास्तविक एवं उल्टा प्रतिविम्ब A'B' बनाती है । यह प्रतिबिम्ब A'B' नेत्र लेंस Le के लिये वस्तु की तरह कार्य करता है । नेत्र लेंस Le को इस प्रकार समंजित कर लेते हैं , कि अभिदृश्यक द्वारा बना प्रतिबिम्ब A'B' नेत्र लेंस Le के प्रथम फोकस तथा प्रकाशिक केन्द्र के बीच बन जाय तो इसका अन्तिम प्रतिबिम्ब A"B" आभासी, बड़ा, तथा वस्तु की तुलना में उल्टा बनता है ।
महत्वपूर्ण तथ्य -
- संयुक्त सूक्ष्मदर्शी में अभिदृश्यक लेंस की फोकस दूरी कम होती है तथा नेत्र लेंस की फोकस दूरी इससे कुछ अधिक होती है ।
- दूरदर्शी में अभिदृश्यक लेंस की फोकस दूरी बहुत अधिक होती है , तथा नेत्र लेंस की फोकस दूरी इससे बहुत कम होती है ।