चरित्र कहानी (charitra prernadayak kahani)


चरित्र

लेखक - संदीप चौहान

लगभग सुबह के 10:00 बज रहे होते हैं संदीप आज अपने स्कूल जल्दी पहुंच जाता है । तभी टीचर उन्हें बुलाती है और कहती है, कि तुम्हारे बारे में आजकल बहुत चर्चा हो रही है । लोगों से तुम्हें क्या लेना देना है ? लोगों के मामले में टांग मत अडाया करो । मैंने सुना था, तुमने कल एक महिला पर हाथ उठा दिया था । वैसे तो तुम हमेशा धर्म-कर्म की बातें करते हो, कल कहां गया था तुम्हारा धर्म संदीप चुपचाप खड़ा रहा ।

टीचर - तुम भले ही कितने भी अच्छे काम क्यों ना करो, लेकिन तुम्हारे काम करने के तरीके गलत है । यदि उस महिला की गलती थी भी । तो तुम्हें उस पर हाथ नहीं उठाना चाहिए था ।

संदीप - मैं जो भी करता हूं मुझे उस पर पछतावा नहीं होता, और मुझे यकीन है मैं आगे भी जो करूंगा उस पर भी नहीं होगा ।

टीचर - हर काम को करने का एक तरीका होता है, लेकिन तुम्हारे तरीके लोगों को तुम्हारा दुश्मन बना देंगे ।

संदीप - सॉरी मैम वैसे भी मुझे दोस्त समझता ही कौन है ।

टीचर - अच्छा ! तुम मुझे एक बात बताओ हर किसी की लड़ाई में तुम टांग अड़ा देते हो और वही काम करते हो  ।जिस काम को करने के लिए तुम लोगों को मना करते हो तो तुझमें और उन लोगों में क्या फर्क रहा ।

संदीप - आपने सही कहा मैम उनमें और मुझमें केवल एक ही अंतर है, वह दुनिया को बिगाड़ने का काम कर रहे हैं और मैं सुधारने का । और वैसे भी "कीचड़ साफ करना है तो कीचड़ में जाना ही होगा ।"

टीचर - बेटा पेपर आ रहे हैं वह तो मैं आखरी में देखूंगी तुम्हारा रिजल्ट । लोगों को सुधारने से पहले तो मैं खुद सुधरने की जरूरत है ।

संदीप - मेरा चरित्र कैसा है यह ना तो लोग तय करेंगे और ना तो मैं । इस बात का निर्णय मैं अपने भविष्य पर छोड़ता हूं ।

संदीप अपने घर आ जाता है ।

रात के 2:00 बज रहे होते हैं । और संदीप बैठे-बैठे अपने दोस्त का चित्र बना रहा होता है । तभी वह बीते हुए कुछ सालों के बारे में याद करता है । की गलतियों तो उससे बहुत हुई है । लेकिन शायद उसे कभी सुधारने का मौका नहीं मिला लेकिन उसने इस बात निर्णय किया, कि दुनिया कि लोगों को वह अपने तरीके से सुधरने का मौका देगा लगभग 1 साल बीत जाता है । पढ़ाई छोड़ने के बाद वह नौकरी की तलाश में होता है । तभी उसे पास के एक नगर में छोटी सी नौकरी मिल जाती है । वह अपने आत्मविश्वास से अपने कार्य को करने में जुट जाता है । संदीप के साथ ही कार्य करने वाले और भी लड़की संदीप के साथ कार्य करके बहुत खुश रहते हैं । तभी अधिकारियों का देश आता है । कि वह सभी अपने अपने क्षेत्र में हुए कामों की जांच कराएं काम करते बहुत समय हो चुका रहता है । संदीप भी अपने किए हुए कामों की जांच कराने के लिए रिपोर्ट तैयार करता है । तभी संदीप के एक अधिकारी का फोन आता है । वह संदीप को ऑफिस में ही रुकने के लिए कहते हैं । संदीप इस बात के लिए राजी हो जाता है । लेकिन ऑफिस में तो कोई नहीं रहता है । तो उसे रात का खाना कहीं और खाने के लिए जाना पड़ता है । तभी एक औरत उसके लिए खाना लेकर आती है । वह कहता है । कि मुझे लगता है । मुझे यहां रुकने की जरूरत नहीं है । क्योंकि यहां पर काम में अपने घर ले जा रहा हूं । मैं घर से ही काम पूरा करके कम सुबह ले आऊंगा वह औरत संदीप को खाना खिला कर चली जाती है । संदीप अपने घर पर बहुत रात तक कार्य करता है । और सुबह जल्दी उठकर ऑफिस पहुंच जाता है । दूसरे ही दिन उसकी क्षेत्र की जांच होने वाली थी वह जैसे ही ऑफिस पहुंचता है । उसे वही औरत ऑफिस में मिलती है । स्त्री उसे किसी लड़के के रूप में नहीं बल्कि एक पुरुष के रूप में देख रही होती है । परंतु संदीप इस बात को नहीं जान पाता वह अपनी दिनचर्या की तरह अपना ध्यान अपने काम पर लगाए होता है । संदीप किस क्षेत्र की रिपोर्ट की जांच होने के पश्चात सभी अधिकारी गण बहुत खुश होते हैं । और संदीप को बधाई देते हैं । कि वह बहुत ही ईमानदारी से कार्य कर रहा है । और इस बात उसके अधिकारियों को भी बताते है । लगभग 10 दिन बाद संदीप अपना ऑफिस फिर से चाहता है । उसे कुछ जरूरी दस्तावेज पर कुछ कर्मचारियों को ट्रेनिंग देनी होती है । तभी वह औरत जो उसके लिए रात में खाना लेकर आई थी वही ऑफिस में आती है । और संदीप को कहती है । कि इतना काम करके तुम्हें क्या मिलता है । संदीप कहता है । मुझे तो चाहिए मैं इतना तो कमा ही लेता हूं । उस औरत को संदीप की बातें कुछ अजीब लगती हैं । लेकिन फिर भी वह उसे कहती है । कि यदि ऑफिस का काम जल्दी खत्म हो जाए तो आप मेरे घर आइए क्यों ना बैठ कर साथ में चाय पी जाए संदीप पहले तो थोड़ा सा सोचता है । और फिर आंखें देता है । संदीप को दस्तावेज तैयार करने में लगभग शाम के 5:00 बज जाते हैं । और तभी उस औरत का फोन आता है । वह फोन उठाता है ।

संदीप: हेलो

औरत: तो आपका काम अभी तक खत्म हुआ या नहीं ?

संदीप: हां खत्म हो गया है । । जरा रुकिए, मैं ऑफिस बंद करके आता हूं । ।

वह औरत तब तक घर पर चाय बना कर रखती है । संदीप उसके घर पहुंचता है । वह उसे चाय ला कर देती है । दोनों के बीच इतनी लंबी बातें होती हैं । कि पता ही नहीं चलता लगभग 2 घंटे बीत जाते हैं । और तभी संदीप को याद आता है । कि मुझे तो घर पर और भी जरूरी काम है । वह उस औरत से कहता है । कि चाय के लिए शुक्रिया लेकिन अब मुझे चलना चाहिए औरत कहती है । ऐसी भी क्या जल्दी है । अब कौन सा काम बाकी रह गया है । संदीप कहता है । बस बाकी की बातें फिर कभी हो जाएंगे इतना कहकर वह अपने घर वापस आ जाता है । इसी तरह बहुत मीटिंग और ऑफिस के काम के कारण दोनों में अच्छी दोस्ती हो जाती है । और इसी तरह एक दिन औरत संदीप को फिर से अपने घर पर खाने के लिए बुलाती है । संदीप इस बात से इंकार कर देता है । लेकिन फिर भी जबरदस्ती करने पर वह हां कर देता है । लगभग 5:00 बजे मीटिंग खत्म होने के बाद संदीप उसके घर पहुंचता है । उस और उसके घर पर कोई नहीं होता संदीप पूछता है । कि आज आपके घर पर तो कोई नहीं है । बाकी लोग कहां हैं । वह औरत कहती है । पतिदेव तो ड्यूटी पर हैं । और सासू मां मेहमानी में गई है । फिर दोनों बात करने लगते हैं । लगभग 20 मिनट गुजर जाने के बाद वह उसे खाना लाकर देती हैं । भोजन बहुत ही स्वादिष्ट बनता है । संदीप कहता है - कि इतना अच्छा खाना बनाना तुमने कहां से सीखा वह औरत कहती है । कि बस आपके ही लिए था संदीप खाना खाकर पास लगी चारपाई पर बैठ जाता है । तभी वह औरत संदीप को एक कागज में कुछ लिख कर देती है । संदीप उसे पड़ता है । लेकिन उन कागज के अक्षरों को देखकर संदीप के होश उड़ जाते हैं । वह पहले तो कागज को देखता है । और फिर उस औरत की आंखों में देखता है । उसे एहसास होता है । कि जो गलतियां लोगों ने पहले की थी आज भी गलती या औरत भी कर रही है । सच बात तो यह थी कि वह औरत संदीप पर मोहित हो चुकी थी इस बात का प्रस्ताव संदीप स्वीकार कर लेता है । और बहुत से दिन बीत जाने के बाद उन दोनों के संबंध और भी गहरे होते जाते हैं । और धीरे-धीरे वे एक दूसरे से शारीरिक संबंध भी बनाने लगते हैं । लगभग कुछ महीने बाद संदीप औरत के घर आना जाना बंद कर देता है । जिससे उस औरत को बहुत तकलीफ पहुंचती है । वह एक दिन संदीप के घर पहुंच जाती है । उस समय संदीप के घर पर कोई नहीं होता और बोलती है । आप आजकल ऐसा कौन सा काम कर रहे हैं । जिससे आपको फुर्सत नहीं मिलती संदीप मुस्कुरा कर जवाब देता है । कि काम तो मेरे पास बहुत से हैं । लेकिन तुम्हें क्या काम है । और संदीप की आंखों में देखती है । और कहती है । कि क्या तुम्हें मेरी याद नहीं आती संदीप कहता है । बिल्कुल नहीं मुझे तुम्हारी याद क्यों आएगी औरत कहती हैं । अच्छा जब तुम्हें उससे शारीरिक संबंध बनाने से तब तो तुम हमसे यही कहते थे कि मैं तुमसे बहुत प्रेम करता हूं । लेकिन आज जब आप का मतलब खत्म हो गया है । तो तुम्हें मुझसे कोई मतलब नहीं है । तुम्हारे जैसा घटिया और मक्कार आदमी मैंने कभी नहीं देखा । संदीप हंसकर कहता है - कि वह जरूरत तो तुम्हारी थी मेरी नहीं । औरत कहती है - मैं तुमसे बहुत प्रेम करती हूं, मैं तुम्हारे लिए तो जी रही हूं, मैं केवल तुम्हारी हूं । लेकिन संदीप इस बार और भी जोर से हंसता है, और कहता है - लगता है तुम्हें भ्रम हो गया है । जो औरत अपने पति की नहीं हो सकी, वह किसी और से सच्चा प्रेम जताने को कह रही है । एक बार अपने अंदर झांक कर देखो जो व्यक्ति तुम्हारे लिए दिन रात से मेहनत कर रहा है । और अपने परिवार के लिए कमाने जा रहा है । क्या तुम उसके साथ सही कर रही हो यह बात सुनकर उस औरत की नजरें झुक जाती है । और उसे अपनी करनी पर पछतावा होने लगता है । वह बोलती है । लेकिन मैं तो तुमसे सच्चा प्रेम करती हूं । संदीप कहता है - मैंने तुम्हारी अकल ठिकाने लाने के लिए ही ऐसा किया है । ताकि सच्चे प्रेम का मतलब तुम समझ सको । सच्चा प्रेम वह नहीं जो हम दोनों एक दूसरे से करते हैं । हम दोनों ने तो केवल अपने शरीर की जरूरत ही पूरी की है । सच्चा प्रेम तो वो है, जो तुम्हारा पति दिन रात परेशान होकर तुम्हारे लिए करता है । उस औरत को या बात समझ में आ जाती है । कि वह आखिर क्या कर रही थी वह संदीप से माफी मांगती है । और वापस लौट जाती है ।