भू - तापीय ऊर्जा (bhu - tapiya urja)


भू - तापीय ऊर्जा

पृथ्वी के गर्भ में निरन्तर कुछ परिवर्तन होते रहते है । पृथ्वी के अन्दर कुछ स्थानों की चट्टानें काफी गर्म होती है । चट्टानों में यह ताप चट्टानों में स्थित रेडियोधर्मी पदार्थों के विघटन ( fission ) से प्राप्त होता है । ऐसे क्षेत्र जहाँ पृथ्वी के सतह के नीचे तप्त चट्टानें होती है तप्त क्षेत्र कहलाते हैं । जब पृथ्वी के गर्भ में स्थित जल इन चट्टानों के सम्पर्क में आता है तो जल वाष्पित होकर किसी भाग में एकत्रित हो जाता है । जब दो चट्टानों के बीच काफी मात्रा में यह वाष्म जमा हो जाती है तो इसका दाव बढ़ जाता है । इन चट्टानों में सुराख कर पाइप डालकर वाष्प को निकाला जाता है । पाइप से वाष्प काफी तेजी से बाहर निकलती है , जिसका उपयोग जनरेटर के सॉफ्ट से लगे टरबाइन की पंखुड़ियों को घुमाने में किया जाता है टरबाइन के घूमने से विद्युत ऊर्जा उत्पन्न होती है ।