अमर्त्य सेन का किला (amartya sen ka kila ki kahani story)


गुरु और वचनअमर्त्य सेन का किला

amartya sen ka kila

इतिहास गवाह है । भारत राजा महाराजाओं का देश रहा है । लेकिन समय के बीतने के साथ-साथ बहुत से राजाओं ने यहां पर अपनी सत्ता जमाई और अंग्रेजों की गुलामी के बाद राजनीतिक पार्टियों ने देश को बर्बाद कर दिया ऐसी ही कहानी है । अमर की जो मध्यप्रदेश के इंदौर जिले में पैदा हुआ उसे बचपन से पुस्तकें पढ़ने का शौक था । और इसी तरह उसने पुस्तकों में अपनी एक नई दुनिया बना रखी थी उसे दुनिया की किसी भी चीज का मोह नहीं था । लेकिन भगवान के भी खेल निराले हैं अमर को एक दिन सपना आया कि उसे सैकड़ों की संख्या में लोग दिख रहे हैं जो उसे पत्थरों से मार रहे हैं सपने में उसकी पोशाक राजकुमार जैसी लग रही थी और उसने सपने में देखा कि पत्थर खाते हुए अमर अपने गले में पढ़ा लॉकेट देख रहा है । तभी अमर की नींद खुल जाती है । अमर सोचता है । यह कैसा बेहूदा सपना था । सुबह हो जाती है । और वह रोज की तरह घूमने निकलता है । घूमने जाते समय उसे एक ऐसा नौजवान मिलता है । जिसे उसने सपने में देखा था ।

अमर तुरंत उस आदमी का पीछा करता है । यह वही आदमी है । जो सपने में सैकड़ों लोगों की भीड़ में उसे पत्थर मार रहा था । वह देखता है । वह आदमी अपने परिवार के साथ एक रेस्टोरेंट में खाना खा रहा होता है । वह तुरंत उस आदमी के पास जाता है । और उससे पूछता है । कि आप कौन हो कहां से आए हो और क्या आप मुझे जानते हो वह आदमी पहले तो अमर को पागल समझता है । और कहता है । यह क्या बक रहे हो मैं यहां केवल अपने परिवार के साथ खाना खाने आया हूं, कौन हो तुम ? अमर कहता है । सॉरी मैंने बेवजह आपको परेशान किया इतना कहकर अमर वहां से चले जाता है । और सोचता है । कि यह आदमी को मुझे नहीं जानता तो फिर यह सपने में मुझे कैसे दिखा और यह मुझे पत्थर क्यों मार रहा था । इसी तरह दो-तीन दिन बीत जाने के बाद अमर को ऐसे बहुत से व्यक्ति दिखाई देते हैं जो उस रात उसके सपने में आए थे अमर को लगने लगता है । कि शायद मैं पागल हो गया हूं वह उन सभी व्यक्तियों से पूछता है । कि क्या आप मुझे जानते हैं वह सभी मना कर देते हैं तभी एक रात अमर को फिर से सपना आता है । कि वह एक किले के बहुत बड़े मैदान में खेल रहा है । और तभी एक घुड़सवार तलवार लेकर उसे मारने आता है । अमर अपनी जान बचाने के लिए भागता है । और महल के अंदर चला जाता है । महल में जाते जाते उसे बहुत से सैनिक मिलते हैं जो उसे कहते हैं राजकुमार आप कहां जा रहे हैं वह सपने में बहुत डरा हुआ रहता है । और वह तुरंत अपने कमरे में जाकर छुप जाता है । तभी एक सैनिक उसके पास आता है । और कहता है । राजकुमार आप यहां क्यों छुपे हुए हैं वह बोलता है । कि कोई मुझे मारना चाहता है । और तभी अमर की नींद खुल जाती है । अमर थोड़ा सा परेशान हो जाता है । और वह सोचता है । कि मुझे इस तरह के बेबुनियाद सपने क्यों आ रहे हैं तभी वह सोचता है । कि हो सकता है । इसका जवाब मुझे किसी लाइब्रेरी में किसी पुस्तक में मिल जाए वह तुरंत अपने स्कूल जाता है । और अपने स्कूल की लाइब्रेरी में पुरानी पुस्तकें घूमता है । तभी वहां का चपरासी उसे बोलता है । -यहां केवल स्कूल से संबंधित पुस्तकें हैं यदि तुम्हें पौराणिक और पुरानी पुस्तके चाहिए तो तुम्हें इससे भी बड़ी लाइब्रेरी में जाना होगा जो तुम ढूंढ रहे हो वह यहां नहीं हो सकती, अमर निराश हो जाते हैं और वहां से अपने घर वापस आ जाता है । वह तुरंत इंटरनेट पर सर्च करता है । कि उसके शहर में लाइब्रेरी कहां कहां है । वह बहुत सी लाइब्रेरी की पुस्तकों कुछ खान मारता है । उसे एक सवाल के लिए वह 100 से ज्यादा पुस्तकें पढ़ चुका होता है । लेकिन उसे उसके सवाल का जवाब नहीं मिलता तभी वह सोचता है । कि मुझे सपने में महल दिखाई दिए थे तो हो सकता है । कि किसी महल वाली पुस्तक में उस बारे में वह तुरंत ही इंटरनेट पर पुनः सर्च करता है । और उसे निमाड़ जिले की एक लाइब्रेरी के बारे में पता चलता है । कि वहां महलों के बारे में बहुत सी पुस्तकें लिखी गई है । वह तुरंत ही अपने दोस्तों के साथ घूमने जाने का प्लान बनाता है । लेकिन केवल उसे ही पता था । कि वहां क्यों जा रहा है । यह प्लान बनाने में और अपने परिवार के लोगों की सहमति लेने में उसे हफ्ते भर लग जाते हैं और से सहमति मिल जाती है । सारे निमाड़ जाने के लिए तैयार हो जाते हैं अमर और उसके दोस्तों के साथ उसके स्कूल के टीचर मिश्रा जी भी होते हैं वे सभी यात्रा के लिए एक बहुत बड़ी बस बुक करते हैं और बस निमाड़ के लिए निकल जाती है । तभी बस के अंदर

नेहा - अमर ! तुम्हें अचानक निर्माण जाने का आईडिया कैसे आया

अमर - मैंने वहां के महलों के बारे में बहुत कुछ सुन रखा है । इसलिए अच्छा हुई कि एक बार देख कर आना चाहिए

टीचर - बिल्कुल सही कहा अमर तुमने, वहां पर बहुत से महल है । जो बहुत से जादुई ताकतों के लिए भी प्रसिद्ध है ।

अमर - सर क्या आपको यह पता है । कि उन सभी महलों में सबसे खूबसूरत महल कौन सा है ।

टीचर - हां, महाराजा अमृत सेन का महल

अमर - सरस महल के बारे में और आप क्या जानते हैं

टीचर - बहुत पहले हमारे पूर्वजों ने बताया था । कि उस महल का राजा अमर्त्य सेन बहुत ही क्रूर शासक था । वह उसकी प्रजा कि लोगों को दंड के रूप में उन पर अंगारे डलवा दिया करता था । और साथ ही उनके पैर के तलवों की चमड़ी को छिलवा दिया करता था । वह यदि लोगों से नाराज भी हो जाता तो वह उनके हाथों के नाखून निकलवा दिया करता था ।

अमर - कितना भयानक शासक था । वो

टीचर - वह केवल एक राजा ही नहीं था । एक बहुत बड़ा जादूगर भी था । और आज के समय में ऐसे इंसान का ना रहना ही बहुत अच्छा है । तुम्हें उसके महल को देखते ही बहुत कुछ समझ आ जाएगा

लगभग 2 घंटे में वे सभी निमाड़ पहुंच जाते हैं

वे सभी लोग अपने-अपने टेंट महल के सामने ही गाड़ते है । और टीचर सभी लोगों को आराम करने के लिए कहते हैं उस समय दिन के लगभग 4:00 बज रहे होते हैं अमर को नींद नहीं आती वह अपनी एक चटाई पर लेटे हुए यही सोचता रहता है । कि कब उसे मौका मिले और वह लाइब्रेरी तक पहुंच जाए और 6:30 बज चुकी होती है । शाम को टीचर सभी बच्चों से कहते हैं कि हमें अभी महल घूमने नहीं जाना चाहिए हम आज रात को आराम करेंगे और कल सुबह जल्दी उठकर महल में जाएंगे यह सुनकर मन खुश हो जाता है । और बाकी बच्चे भी खाना बनाने की तैयारी करने लगते हैं लगभग 8:00 से 9:00 के बीच में खाना बन कर तैयार हो जाता है । टीचर और सभी बच्चे खाना खाकर बहुत बड़ी मात्रा में आग जलाते हैं और उसके आसपास बैठ जाते हैं ठंड बहुत होती है । तभी अमर भी अपने तंबू से निकलकर आता है । और आग के पास बैठ जाता है । तभी नेहा बोलती है । कि क्यों ना हम सभी अपनी अपनी एक कॉपी लेकर आ जाए और इस जगह के नोट्स बनाएं अमर कहता है । सही कह रही हो हमें यहां के हर एक बात को नोट करना चाहिए सभी लोग टीचर की सहायता से नोट तैयार करने लगते हैं तभी शिक्षक सब लोगों को और भी अन्य महल के बारे में बताते रहते हैं सभी लोग हर महल के बारे में राजा महाराजाओं के बारे में जानकारी ले लेते हैं और टीचर कहते हैं कि बाकी की जानकारी आप लोगों को सुबह यहां के स्थानीय निवासियों से मिल जाएगी और लगभग रात के 10:00 बज चुके होते हैं तभी टीचर कहते हैं कि अब तुम सब लोग सो जाओ और सब लोग सो जाते हैं अमर भी अपने कैंप में जाकर सो जाता है ।

सुबह सभी लोग उठते हैं और टीचर भी उठते हैं वे सभी देखते हैं कि उन्हें उठने में देर हो गई वह सभी लगभग 8:30 बजे सोकर उठते हैं जबकि उन्हें तो जल्दी उठकर महल घूमने जाना था । तभी टीचर कहते हैं कि हम रात को ज्यादा देर तक जागे और इसीलिए हमारी नींद देर से खुली लेकिन अमर अपने तंबू में नहीं था । शिक्षक सभी बच्चों से पूछते हैं क्या तुमने अमर को देखा ? सभी लोग मना कर देते हैं सर को अमर की फिक्र होने लगती है । कि यह बिना बताए कहीं भी कैसे जा सकता है । तभी अमर का कॉल आता है । और अमर कहता है । कि सर मैं इस समय लाइब्रेरी में हूं तभी सर को याद आता है । कि यहां पर एक बहुत बड़ी लाइब्रेरी भी है । सर पूछते हैं कि तुम वहां क्यों चले गए कमर कहता है । कि आप सभी सो रहे थे और मुझे लगा कि मुझे आप लोगों को नहीं उठाना चाहिए और इसलिए मैं लाइब्रेरी में आ गया सर उससे पूछते हैं तुम फौरन यहां वापस आ जाओ हमें महल की और आगे बढ़ना है । वह कहता है । सर लाइब्रेरी बहुत दूर है । मुझे आने में थोड़ा सा समय हो जाएगा आप महल की और आगे बढ़ गए मैं पीछे से आ जाऊंगा तो शिक्षक कहते हैं क्या तुम सच कह रहे हो वह बोलता है । हां सर यकीन मानिए मैं आ जाऊंगा तभी अमर लाइब्रेरी की छानबीन करने लगता है । और उसे अमर्त्य सेन के किले की पुस्तक मिल जाती है । वह उसे पढ़ने लगता है । और तभी उसे उस राजा के व्यक्तित्व और राज्य के बारे में पता चलता है । उसे यह जानकर है ।रानी होती है । कि अमर्त्य सेन कोई और नहीं मैं ही हूं वह सोचता है । कि इतना क्रूर शासक और वह भी मैं कैसे हो सकता हूं पुस्तक के मुताबिक उसके अंदर का हुनर, उसके अंदर का गुस्सा, और उसे आने वाले सपने सब कुछ यही कह रहे थे कि तुम ही अमर्त्य सेन हो लेकिन फिर भी वह इस बात को नहीं मानता क्योंकि इतना बड़ा क्रूर शासक में नहीं हो सकता वह यही सोचता रहता है । और वहां पर टीचर कहते हैं कि क्यों ना हम महल घूमने से पहले यहां के स्थानीय निवासियों से मिलने जाएं हमें उनसे इस महल के बारे में और भी जानकारियां मिलेंगी और साथ ही तब तक अमर भी वापस आ जाएगा सब लोगों को यह बात ठीक लगती है । वह सभी स्थानीय निवासियों से मिलने जाते हैं उन्हें स्थानीय लोगों से पता चलता है । की अमृत सेन बहुत ही भ्रष्ट किस्म का राजा था । वह केवल स्वयं के बारे में सोचता था । और लाइब्रेरी में अमर को सब कुछ पता चल जाने के बाद उसे अपनी पुरानी जिंदगी का सब कुछ याद आ जाता है । और उसे यकीन हो जाता है । कि अमर्त्य सेन वही है । और तभी वह सरकार से अपने महल को वापस लेने का मन बना लेता है । वह तुरंत अपने तंबू में वापस आ जाता है । और देखता है । कि वहां पर कोई नहीं है । वह इधर उधर देखता है । तभी वहां से एक व्यक्ति गुजरता हुआ दिखता है । अमर उसे कहता है । कि क्या तुमने कुछ बच्चों को एक व्यक्ति को देखा वह व्यक्ति उसे बता देता है । कि हां वह यहां के स्थानीय लोगों से कुछ पूछताछ कर रहे हैं वह समझ जाता है । कि शिक्षक अभी तक महल में नहीं गए हैं वह उनसे मिलने के लिए उनकी बस्ती में जाता है । तभी शिक्षक अमर को मिल जाते हैं और कहते हैं अच्छा अमर तुम भी आ गए अच्छा हुआ हमें वैसे भी बहुत देर हो गई है । और हमें अब महल में चलना चाहिए वह सर से पूछता है । कि सर यहां के लोगों ने आपको क्या बताया अभी शिक्षक उसे बताते हैं कि भले ही अमर्त्य सेन मर चुका हो लेकिन उसके प्रति लोगों का गुस्सा आज भी बरकरार है । उसकी क्रूरता आज भी लोगों के मन से नहीं हटी है । वह यह बात सुनकर घबरा जाता है । लेकिन वह इस बात को भी जान चुका होता है । कि वही अमर्त्य सेन था । वह तुरंत ही सर को कहता है । तो चले सर महल की ओर शिक्षक कहते हैं ठीक है । चलो चलते हैं वह सभी लोग महल की ओर जाने लगते हैं और महल के मुख्य द्वार से अंदर की ओर प्रवेश करते हैं महल में प्रवेश करते ही उन्हें महल के अंदर बड़ी-बड़ी प्रतिमाएं दिखाई देती है । जो उन्होंने अपनी जिंदगी में कभी नहीं देखी थी और सभी दोस्त बहुत ही मजे के साथ पूरे महल मैं घूमते रहते हैं उस महल को देखने के लिए पूरा दिन लग जाता है । लेकिन सभी लोगों को मजा भी बहुत आता है । शाम होते ही शिक्षक सब लोगों को तंबू में वापस चलने को कहते हैं वे सभी महल से बाहर निकलते हैं लेकिन शिक्षा क्या देखते हैं कि सारे बच्चे खुश थे केवल अमर को छोड़कर टीचर उसे इस बात का सवाल तुरंत नहीं पूछते रात में जब सभी लोग खाना पीना खाकर सो जाते हैं तब शिक्षक अमर के तंबू में आते हैं और कहते हैं अमर तुम वहां क्यों गए थे अमर पूछता है । कहां पर सर शिक्षक पूछते हैं मैं लाइब्रेरी की बात कर रहा हूं अमर कहता है । अच्छा लाइब्रेरी में यूं ही चला गया था । सब पूछते हैं तो बताओ आज तुमने ऐसी कौन सी किताब वहां पढ़ ली तभी अमर कहता है । क्या हुआ सर आप ऐसा सवाल क्यों पूछ रहे हैं तभी शिक्षक कहते हैं कि मैं आज तुम्हें दिन भर से देख रहा हूं तुम बिल्कुल नाखुश थे ऐसी कौन सी बात है । तुम्हारे मन में मुझे बता दो शायद हो सकता है । मैं उस चीज का हल तुम्हें बता दूं वाह निसंकोच टीचर को बता देता है । कि अमृतसर में ही हूं

टीचर को ऐसा लगता है । कि अमर मजाक कर रहा है । वह कहता है । बेटा यह जोक का समय नहीं है । अमर कहता है । नहीं सर मैं सच बोल रहा हूं यह कोई मजाक नहीं है । मैं वहां अमृतसर के लिए की पुस्तक भी ढूंढने गया था । और मुझे वहां मिल भी गई थी मैंने उसे पूरा पढ़ा और मुझे अपनी पिछली जिंदगी पूरी याद आ गई तो टीचर कहते हैं कि अच्छा तो अब तुम क्या करने वाले हो अमर कहता है । कि अब मैं अपने महल को वापस मंगा सरकार से शिक्षक कहते हैं कि राजा महाराजाओं के समय तो जा चुका है । अगर तुम सच भी बोल रहे हो तो वह महल तुम्हें कभी नहीं मिल सकता इस बात को सुनकर अमर बहुत क्रोधित हो जाता है । और कहता है । सर मुझे अब नींद आ रही है । कृपया कर मुझे सोने दीजिए यह सुनकर टीचर तंबू से बाहर निकल आते हैं और अमर गहरी सोच में पड़ जाता है ।

दूसरे दिन की सुबह सभी बच्चे और टीचर वापस घर की ओर निकल पड़ते हैं वे लगभग 9:00 बजे घर पहुंच जाते हैं सुबह-सुबह अमर उस पुस्तक को वापस निकालता है । जिसे वह लाइब्रेरी में पढ़ रहा था । और फिर से उसे पढ़ने लगता है । पूरा दिन तो वह अपनी पुरानी जिंदगी के बारे में सोचता रहता है । और दूसरे दिन वह सरकार को एक अर्जी देता है । की अमर्त्य सेन का किला मेरा है । बहुत से अधिकारी उसकी बात को मजाक समझ कर उसके अर्जी को अनदेखा करते हैं वह न्यायपालिका में कोशिश करता है । और उसकी अर्जी मंजूर कर ली जाती है । उसकी अर्जी में साफ लिखा होता है । और इस बात का दावा होता है । कि वही अमर्त्य सेन है । इस बात का पता उसके मां-बाप और उसके टीचर को भी चल जाता है । अमर के टीचर और उसके पिता तुरंत न्यायालय पहुंचते हैं और उससे पूछते हैं कि यह सब तुम क्या कर रहे हो वह कहता है । कि मैं आपका बेटा नहीं हूं मैं अमर्त्य सेन हूं पहले तो टीचर को यह लगता है । कि अमर्त्य सेन के प्रेत ने अमर को अपने वश में कर लिया है । लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं होता वह इस बात का दावा करता है । कि मुझे बहुत सी ऐसी जानकारियां है । जो वर्तमान के लोगों ने किताबों में झूठ लिखी हैं न्यायालय में जब उसे पेश किया जाता है । और से पूछा जाता है । कि तुम्हें इस बात का सबूत देना पड़ेगा कि तुम ही अमर्त्य सेन हो अमर भी अमृत सेन के परिवार और उसकी पूरी जानकारी देता है । यहां तक कि वह यह भी बोलता है । कि मुझे अमृत सेन के गुप्त खजाने का भी पता है । परंतु वह मैं आप लोगों को नहीं बता सकता न्यायालय में न्यायाधीश के पूछने पर भी खजाने के बारे में कोई जानकारी नहीं देता परंतु बाकी की जानकारियों से यह स्पष्ट हो जाता है । कि यही अमर्त्य सेन है । और उसे उसका राज्य वापस दे दिया जाता है । लेकिन इस बात से वहां के लोग बिल्कुल खुश नहीं रहते वहां के लोगों के मन में एक ही बात चलती रहती है । कि क्या इस जन्म में अमर्त्य सेन एक अच्छा व्यक्ति होगा जब पुराने अमर्त्य सेन की तरह क्रूर होगा लेकिन अमर फिर से अपनी सेना तैयार करने में जुट जाता है । और वहां के क्षेत्रीय लोगों को लगता है । कि महल का राजा फिर से लोगों पर अत्याचार करने के लिए अपनी सेना तैयार कर रहा है । अमर बहुत से लोगों को खजाने की लालच देकर अपना वफादार बना लेता है । लेकिन फिर भी वहां के लोग उस पर भरोसा नहीं करते क्योंकि पुराने अमर्त्य सेन की क्रूरता आज भी लोगों के मन में जीवित थी वे आज भी उसके नाम से काम जाते थे अमर को जब इस बात का पता चलता है । कि प्रजा के बीच में उसके बारे में कैसी कैसी बातें हो रही है । वह क्रोधित हो जाता है । और पर जाते ही कुछ लोगों को अपने कैद में कर लेता है । लेकिन बहुत से लोग कानून का सहारा भी लेते हैं परंतु सरकार के पास भी अब अपना अधिकार नहीं रह पाता कि वे अमर्त्य सेन के राज्य में हस्तक्षेप करें अमर कुछ लोगों को मौत के घाट उतार देता है । और लोगों को इस बात का पूरी तरह से यकीन हो जाता है । कि भले ही समय बदल गया हो भले ही रूप बदल गया हो परंतु अमर्त्य सेन और उसका गुस्सा अभी तक नहीं बदला अमर उसी महल में रहने लगता है । और धीरे-धीरे करके उसे अपनी पुरानी शक्तियां भी याद आने लगती है ।

वो धीरे धीरे करके अपने राज्य के विस्तार के बारे में भी सोचने लगता है । और लोगों का भरोसा जीतने के लिए गरीबों को बहुत सा सोना दान करता है । उसके इस व्यवहार से बहुत से लोग उसे माफ कर देते हैं लेकिन अभी भी कुछ लोग उसकी मृत्यु का कारण बनने के लिए आतूर रहते हैं वह अपने माता पिता के साथ अमर्त्य सेन के किले पर रहने लगता है । अमर को लगता है । कि मैं जो कुछ भी कर रहा है । वह बिल्कुल सही है । लेकिन उसके पिता को यह बात रास नहीं आ रही थी उसके पिता ने उसे 1 दिन बोला कि बेटा जो तुम कर रहे हो वह तो पुराने अमर्त्य सेन ने भी किया था । उसमें और तुम में कोई अंतर नहीं है । यह बात सुनकर अमर बहुत गुस्से में आ जाता है । और वहां से चला जाता है । प्रजा के कुछ लोग अमर्त्य सेन को फिर से मारने के लिए एक योजना बनाते हैं लेकिन अमृत सेन को अपनी पुरानी शक्तियां भी याद आ गई थी उसकी वजह से उसे मारना और भी कठिन कार्य हो गया था । यह समझ लीजिए वह इतना शक्तिशाली हो गया था । कि अब उसे हराना किसी आम व्यक्ति के बस में नहीं था । तभी 1 दिन रात के समय अमृत सेन पर अर्थात अमर पर लगभग 1:00 बजे एक व्यक्ति हमला कर देता है । लेकिन उस व्यक्ति की किस्मत खराब रहती है ।

अमर्त्य सेन यानी अमर अपनी जादू शक्तियों से उस व्यक्ति की गला घोट कर हत्या कर देता है । उसे अपने राज्य के बहुत से लोगों पर शक होता है । और वह उन सभी को मौत के घाट उतार देता है । यह सब देख कर अमर के पिता समझ जाते हैं कि मेरा बेटा अमर्त्य सेन तो है । पर अब वह मेरा बेटा नहीं है । उसके पिता प्रजा के साथ मिलकर अमर को मारने का प्लान कर लेते हैं और योजना बनाते हैं योजना के तहत किसी व्यक्ति को न्याय की फरियाद लेकर अमर्त्य सेन के पास जाना होता है । और उसे धोखे से मारना होता है । क्योंकि अपने दरबार में उसके पास कोई भी सुरक्षा कवच नहीं होता वह एक राजा की तरह ही सामने आता है । और इसलिए इस कार्य के लिए एक महिला को चुना जाता है । और अमर के पिता भी मान जाते हैं परंतु इस बात का पता अमर्त्य सेन को चल जाता है । उसके गुप्तचर उसे पहले ही इस बात की खबर दे देते हैं कि उन्होंने कौन सी योजना बनाई है । और उनके साथ आपके पिता भी शामिल है । यह सुनकर उसे बिल्कुल विश्वास नहीं होता कि उसके पिता ही उसे जिंदा नहीं देखना चाहते उसे यह लगने लगता है । कि अपनी पिछली जिंदगी पा लेने से मेरे पिता मुझसे नाराज हैं लेकिन उन्हें इस बात की सजा जरूर मिलेगी वह उन्हें अपने सैनिकों के हाथ मरवा डालता है । इस बात की खबर उसकी मां को पता तो चल जाती है । लेकिन वह बेचारी कुछ नहीं कर सकती थी दूसरे दिन प्रजा की पुनः बैठक होती है । लेकिन अमर के पिता यहां नहीं आ पाते वे सभी सोचते हैं कि आज अमर्त्य सेन के पिता क्यों नहीं आए लेकिन फिर भी वे अपनी योजना पर कार्य करते हैं और एक विधवा स्त्री को अमर्त्य सेन को मारने के लिए भेजते हैं ताकि उसे शक भी ना हो वह विधवा स्त्री न्याय की गुहार लेकर अमर्त्य सेन के दरबार में पहुंचती है । परंतु वह तो सब कुछ पहले से ही जानता था । और वह उसे अपने से दूर खड़े होने की ही आज्ञा देता है । आज्ञा के अनुसार वह स्त्री अमर से दूर खड़ी रहती है । अब वही सोचती है । कि इतने दूर से मैं इसे कैसे मारूंगी वह कहती है । महाराज मैं आपके चरण स्पर्श करना चाहती हूं और मुझे यकीन है । कि आप के दरबार में आकर मुझे न्याय जरूर मिलेगा और तभी अमर इस बात के लिए इंकार कर देता है । फिर भी वह स्त्री अमर के पास चरण स्पर्श करने के लिए आती है । लेकिन अमर उसकी चतुराई को समझ जाता है । और सैनिकों से तुरंत उस स्त्री को बंदी बनाने के लिए बोल देता है । लेकिन उसी समय कुछ ऐसी घटना होती है । जिसका किसी ने भी विश्वास नहीं किया था । अमर की माही उसकी पीठ के पीछे उसे उसे तलवार खूब देती है । जिससे कि अमर की छाती लहूलुहान हो जाती है । यह दृश्य बहुत ही भयानक था । सभा में बैठे सभी लोगों के मुंह से एक भी शब्द नहीं फूट रहे थे और तभी अमर पीछे पलट कर देखता है । और यही सोचता है । कि जिस मां ने मुझे जन्म दिया आज उसी ने मेरी जान क्यों ले ली उसकी मां कहती है । कि यह तुम्हारे पिछले जन्म के कर्मों का फल नहीं है । यह तुम्हारे इसी जन्म का फल है । इस बात का तो मुझे और तुम्हारे पिता को बहुत पहले ही शक था । कि तुम अमर्त्य सेन हो परंतु हम इस बात को नहीं भूले थे कि तुम हमारे बेटे हो तुम जैसे भी थे हमारे लिए अच्छे थे लेकिन किस्मत को शायद और ही मंजूर था । तुम्हें सब कुछ याद आ गया और तुम फिर से अपनी क्रूरता पर उतर आए आज जो मैंने किया है । उससे लोग मुझे कुमाता भी बोल सकते हैं लेकिन कम से कम तुम्हारे पिता के नाम के ऊपर तो इस बात का लालछन नहीं लगेगा कि उसने एक ऐसे बेटे को जन्म दिया था । जो समाज के लिए एक खतरा था । इतना सुनकर अमर अपनी ही गद्दी पर अपने प्राण छोड़ देता है । परंतु अमर एक ताकतवर इंसान होने के कारण एक प्रेत में बदल जाता है । उसकी मां उसकी आत्मा शांति के लिए उसके मरने के ठीक 3 दिन बाद ही एक बहुत बड़ी पूजा रखती है । फिर भी अमर को उस पूजा से कोई शांति नहीं मिलती वह महल के ही लोगों को परेशान करना शुरू कर देता है । और इस बात का पता चलते ही सरकार ने उस महल को पुनः पूर्व रूप ही बंद करा दिया और इस बात की घोषणा भी कर दी कि आने वाले भविष्य में कभी भी इस महल के दरवाजे नहीं खुलेंगे अमर्त्य सेन का किला हमेशा के लिए बंद रहेगा