सिद्ध बाबा का मंदिर कहानी ( Siddh Baba ka mandir)


सिद्ध बाबा का मंदिर

विषय - भूत प्रेतों की कहानी ।

पात्र - रचना, ज्योति, आकाश, गगन, सेवर, रविंद्र, तांत्रिक और उस्के कुछ साथी ।

चारों दोस्त अपने अपने काम से निपट कर गगन के घर पहुंचते हैं, और साथ में बैठकर चाय पीते हैं ।

रचना - यार गर्मियों का पूरा समय निकल गया लेकिन फिर भी काम के कारण हम कहीं घूमने नहीं जा पाए ।

ज्योति - तुमने बिल्कुल ठीक कहा क्यों ना कहीं घूमने चला जाए ।

आकाश - वेट वेट! लेकिन हमारे कंस्ट्रक्शन के काम का क्या होगा ।

ज्योति - यार कभी तो काम की बात बंद कर दिया करो ।

आकाश - हां क्योंकि तुम्हारा तो काम में मन नहीं लगता ।

ज्योति - इतने सालों से कमाने जा रहे हो तो बताओ कितने पैसे इकट्ठा किए तुमने ।

रचना - तुम दोनों फिर से लड़ाई मत करने लगना ।

गगन - ओके गाइस ! बहुत हुआ, अब मेरी बात सुनो रचना ने ठीक कहा हमें तो घूमने जाने का प्लान बनाना चाहिए ।

आकाश - यार मैं घूमने जाने के लिए मना नहीं कर रहा हूं लेकिन हमारे काम का क्या होगा ।

गगन - देख भाई काम तो होता रहेगा लेकिन शायद तुम्हें पता नहीं है की केवल हम दोनों ही घूमने नहीं जा रहा है हमारे साथ दो सुंदरी भी जा रही है ।

ज्योति - ऐसा कुछ नहीं होने वाला भूल जाओ ।

आकाश - तब तो अच्छी बात है मैं जरूर चलूंगा ।

रचना - मगर हम कहां जाएंगे ।

गगन - दोस्तों मुझे लगता है हमें किसी प्रसिद्ध जगह जाना चाहिए ।

आकाश - जैसे कि ! - किसी पार्क में, किसी भूत बंगले में, किसी मंदिर में l ।

रचना - हां मैंने एक ऐसे मंदिर के बारे में सुना है जहां पर भूत प्रेतों को भगाया जाता है लेकिन बहुत से लोगों का मानना है कि वहां के तांत्रिकों की मर्जी के बिना वहां कोई भी आ जा नहीं सकता ।

आकाश - भूत प्रेत सब बकवास चीजें होती हैं यह मैं नहीं मानता ।

ज्योति - तो क्यों ना हमें वहां चलकर दिखना चाहिए हो सकता है इस बार हमें भी कुछ नया देखने को मिल जाए ।

गगन - तो क्या सब लोगों का मानना है कि हमें वहां जाना चाहिए ।

आकाश - यार किसी मंदिर में जाने से तो अच्छा है कि हम किसी जंगल में या फिर इसी पार्क में पिकनिक मनाने चलते हैं ।

ज्योति - मुझे लगता है कि आकाश भूत का नाम सुनकर डर गया ।

आकाश - मुझे किसी से डर नहीं लगता और मैं एक बार फिर से कहता हूं कि भूत प्रेत जैसी कोई चीज नहीं होती ।

रचना - तो ठीक है हम सभी उस मंदिर में चलते हैं तुम्हारा शक भी दूर हो जाएगा और सुना है कि उस मंदिर के आसपास बहुत बड़े बड़े बगीचे भी हैं जहां तुम्हारा भी मन बहल जाएगा ।

आकाश - ठीक है इस ज्योति की बच्ची को साबित करने के लिए मैं वहां जरूर जाऊंगा ।

गगन - तो किसी को पता है वह यहां से कितनी दूर पड़ेगा ।

रचना - हां वह यहां से लगभग डेढ़ सौ किलोमीटर दूर है हमें पहुंचने में 2 से 3 घंटे लग ही जाएंगे ।

गगन - तो फिर देर किस बात की है हम आज शाम को ही निकलते हैं ।

आकाश - तो रचना तुम्हारे इस भूतिया मंदिर का कोई नाम भी तो होगा ।

रचना - हां! सिद्ध बाबा का मंदिर ।

चारों दोस्त गगन की कार में बैठकर सिद्ध बाबा के मंदिर रवाना हो जाते हैं लेकिन उन्हें क्या पता था कि उनके ऊपर कितनी बड़ी मुसीबत आने वाली है ।

चारों दोस्त गाड़ी में चलते-चलते बात करते हैं ।

ज्योति - गगन ! यहां की सड़क और सड़क के किनारे पेड़ों को देखो ऐसा लग रहा है, जैसे यहां सदियों से कोई नहीं आया है, लगता है हमारी यह ट्रिप बहुत ही मजेदार होगी ।

रचना - हां लेकिन मैंने पहले ही बताया था, वहां के तांत्रिकों की मर्जी के बिना उस मंदिर में कोई भी नहीं जा सकता, हम मंदिर तक पहुंचेंगे कैसे ।

गगन - फिक्र मत करो कॉलेज में हमने अच्छे अच्छों को चकमा दिया है, यह तो फिर भी सीधे-साधे तांत्रिक हैं ।

आकाश - देख भाई सीधा साधा मत बोल उन्हें कहीं ऐसा ना हो की लेने के देने पड़ जाए ।

ज्योति - मुझे पता था, आकाश हमेशा उल्टी ही बात करेगा ।

आकाश - ऐसी बात नहीं है, कोई ना कोई कारण तो होगा कि तांत्रिक वहां तक लोगों को पहुंचने ही नहीं देते ।

रचना - हां ! सही कह रहे हो, मैंने वहां के बारे में एक बात और सुनी है । उस मंदिर के तलघर में एक बहुत बड़ा राज छुपा हुआ है, जिसके कारण वहां की पुजारी और तांत्रिक, किसी को भी वहां जाने की अनुमति नहीं देते ।

आकाश - यह भी तो हो सकता है कि वहां कोई खजाना हो और वह लोग अपने स्वार्थ के लिए उसका इस्तेमाल कर रहे हो तब तो हमें वहां चलकर जरूर देखना चाहिए ।

ज्योति - नहीं आकाश तांत्रिकों को किसी से लेना देना नहीं होता खासकर गुरु भाई पैसे के लालची नहीं होते लालची केवल इंसान होते हैं ।

गगन - यह बहुत पुरानी बातें हैं मैं इन सब बातों में विश्वास नहीं करता आज के समय में हर किसी को पैसे की जरूरत है आखिर वह भी तो एक इंसान ही है ।

ज्योति - हां और शायद यह भी तो हो सकता है जैसा की रचना बता रही थी वहां पर भूत प्रेतों को भगाया जाता है हो सकता है वहां पर किसी खतरनाक आत्मा का वास हो इसलिए उन्होंने वहां पाबंदी लगा रखी होगी ।

आकाश - वह सब तो ठीक है लेकिन पहले यह सब बातें छोड़कर वहां तक पहुंचने के बारे में सोचो ।

रचना - वहां की पुजारी दिन में मंदिर की सेवा करते हैं और रात में तांत्रिक पहरा देते हैं वहां जाना इतना भी आसान नहीं होगा ।

चतो क्या ये चारों दोस्त सिद्ध बाबा के मंदिर तक पहुंच पाएंगे, जानने के लिए पढ़ते रहे और हमारे अगले पृष्ठ पर जाएं ।

गाड़ी में चलते हुए 2 घंटे बीत जाते हैं, बस, आने वाले 1 घंटे में ही वे लोग जंगल के रास्ते होते हुए, सिद्ध बाबा के मंदिर पहुंचने वाले होते हैं, तभी ।

ज्योति - गगन सामने देखो ।

आकाश - ये क्या बला है ।

रचना - मुझे लगता है कि हमें इसके आगे नहीं जाना चाहिए ।

गगन - आखिरकार वह चीज क्या थी ।

ज्योति - तुम सब फिक्र मत करो हम सब गाड़ी के अंदर हैं और 1 घंटे में हमसे सिद्ध बाबा के मंदिर पहुंच जाएंगे ।

गगन - सही कह रही हो वैसे भी हमें कौन सा ही जंगल में रुकना है हम आगे बढ़ते रहते हैं ।

रचना - यार मुझे लगता है कि यहां के तांत्रिकों ने ही उस जीव को पाल रखा होगा ।

आकाश - क्या बकवास कर रही हो इतने बड़े बड़े नाखूनों और दांत वाले जानवर को कोई क्यों पालेगा ।

गगन - लेकिन वह देखने से कोई जानवर नहीं लग रहा था ऐसा लग रहा था मानो कोई हजारों साल पुराना वनमानुष हो ।

ज्योति - चलो यार छोड़ो उसकी बातें हमारे पास थोड़ा समय बचा है तो क्यों ना अंताक्षरी खेले ।

आकाश - हां बहुत मजा आएगा और हमारे 1 घंटे कैसे निकल जाएंगे पता भी नहीं चलेगा ।

सभी दोस्त गाना गाते हुए सिद्ध बाबा के मंदिर की ओर बढ़ते हैं लगभग 20 मिनट बाद

गगन - अरे यह गाड़ी को क्या हुआ ।

ज्योति - यार अब क्या हुआ ।

गगन - पता नहीं गाड़ी चलते चलते रुक गई ।

आकाश - हो सकता है इंजन गरम हो गया होगा क्या हमारे पास पानी है ? ।

रचना - यार मुझे तो इस जंगल में बीच रास्ते में उतरना ठीक नहीं लग रहा है ।

गगन - क्या बोल रही हो तुम ही ने तो यहां आने का आईडिया दिया था ।

रचना - हां दिया था लेकिन यहां जंगली जानवर भी तो हो सकते हैं ।

आकाश - कोई बात नहीं दोस्तों मैं एक बार उतर कर चेक कर लेता हूं, तुम सब अंदर ही रहना, और गगन मुझे वह पानी की कैन दे देना ।

गगन - ठीक है यह लो पकड़ो ।

आकाश - देखो ! मैंने बोला था ना ।

गगन - क्या हुआ सब ठीक तो है ?

आकाश - फिक्र की कोई बात नहीं है इंजन गर्म हो गया था पानी डालने के बाद हम थोड़ी देर गाड़ी में ही रेस्ट कर लेते हैं ।

रचना - अच्छा दोस्तों मैं अपन सब लोगों के लिए खाने का सामान भी लाई हूं ।

ज्योति - हां मैंने भी बेसन के लड्डू, आलू के पराठे, सेव और अंडे रख लिए थे ।

आकाश - गगन तुमने अच्छे से सुना यह से और अंडे लेकर आई है अगर कुछ गला गिला करने के लिए मिल जाए तो शायद मुझे भी अच्छा लगे ।

गगन - नहीं यार, हमें पहले मंदिर पहुंचना है, शराब ! फिर कभी ।

ज्योति - रचना सबके लिए लड्डू और पापड़ निकालो, दूसरे बैग में पानी की बोतले भी हैं ।

गगन - हां तब तक गाड़ी को भी आराम मिल जाएगा ।

रचना - आकाश तुम अचार लोगे ।

आकाश - नहीं बस एक बार हम अपनी मंजिल पर पहुंच जाएं फिर खट्टा खाने की जरूरत तो ज्योति को पड़ेगी ।

ज्योति - मुझे तो लगता है मुझे इस कमीने से दूर ही रहना चाहिए ।

गगन - चलो यार अब तुम झगड़ना बंद करो और चुपचाप खाना खाओ ।

जंगल में एक पुजारी जंगल की नदी के पास से गुजरता है तभी उसकी नजर गगन की गाड़ी पर पढ़ती है और वह गाड़ी के पास आता है

पुजारी - कोई है यहां पर ?

ज्योति - हां ।

रचना - अब तो मर गए हम लोग ।

पुजारी - तुम सब यहां क्या कर रहे हो, क्यों आए हो यहां पर, क्या तुम सबको पता नहीं है कि यहां आना वर्जित है ।

गगन - पुजारी जी हमें पता है हम तो बस सिद्ध बाबा के मंदिर के दर्शन की अभिलाषा लेकर आए थे ।

पुजारी - बिना कारण वहां कोई नहीं जाता, अगर तुम्हारे पास कोई विशेष कारण है तो मैं तुम्हें वहां अवश्य लेकर जाऊंगा, लेकिन तुम्हारे पास कारण नहीं है तो तुम्हें यहीं से वापस जाना होगा ।

आकाश - हम यहां इतनी दूर वापस जाने के लिए नहीं आए हैं अब जब हम आ ही गए हैं तो मंदिर के दर्शन करके ही रहेंगे ।

पुजारी - लगता है तुम्हें अपनी मृत्यु की बड़ी जल्दी पड़ी है ।

गगन - पुजारी जी आप पंडित हैं इसलिए आपकी इतनी इज्जत कर रहे हैं हरजाई हमारे रास्ते से ।

पुजारी - तो ठीक है लेकिन आगे जो होगा उसके जिम्मेदार तुम खुद होगे ।

आकाश - ठीक है जाइए जाइए ।

ज्योति - चलो ठीक है पंडित जी तो चले गए अब हमें आगे बढ़ना चाहिए।

शाम के लगभग 7:00 बज चुके होते हैं बस कुछ ही देर में वे मंदिर के क्षेत्र में प्रवेश करने ही वाले होते हैं तभी

रचना - रुको रुको गाड़ी रोको ।

गगन - अब क्या हुआ गाड़ी को रुकवा दी ।

रचना - हमें अब यहां से पैदल चलना चाहिए, क्योंकि हमने पंडित जी को तो भगा दिया लेकिन तांत्रिकों को कैसे समझा पाएंगे और अंधेरा भी धीरे-धीरे होने लगा है अब उनकी पहरेदारी का वक्त शुरू हो गया है ।

आकाश - मेरे ख्याल से रचना ठीक कह रही है यदि हम गाड़ी में रहेंगे तो वह लोग हमें आसानी से देख लेंगे ।

गगन - तो ठीक है मैं काम करता हूं गाड़ी को यहीं कहीं झाड़ियों के पीछे छिपा देता हूं ।

ज्योति - तो ठीक है सब लोग अपने-अपने बैग बांध लो और पानी की बोतलें भी रख लो ।

चारों दोस्त मंदिर के क्षेत्र में प्रवेश कर जाते हैं धीरे-धीरे अंधेरा भी घना होता जा रहा है सभी लोग स्ट्रिप का मजा ले रहे थे लेकिन आकाश के मन में कहीं ना कहीं कोई बात खटक रही थी

गगन - दोस्तों मुझे लगता है कि हमें यहां पर रहने वाले किसी व्यक्ति से राय ले लेनी चाहिए ।

आकाश - क्या बात करते हो आकाश यहां पर दूर-दूर तक कोई घर भी नजर नहीं आ रहा है ।

ज्योति - फिक्र की कोई बात नहीं है जो भी होगा देखा जाएगा ।

आकाश - तुम बस देखते रहो मैं यह साबित कर दूंगा कि यहां पर कोई भूत प्रेत नहीं है और बात रही यहां के तांत्रिकों की तो मुझे तो यह सब ढोंगी नजर आते हैं ।

रचना - अरे वहां देखो ।

ज्योति - तांत्रिकों का एक छोटा सा झुंड मंदिर की ओर जा रहा है हमें भी इनके पीछे पीछे जाना चाहिए ।

गगन - तो फिर देर किस बात की, बस इन्हें शक नहीं होना चाहिए ।

ज्योति - यहां कितनी ठंड है लेकिन यह तांत्रिक आदि वस्त्रों में कैसे रह सकते हैं ।

रचना - यह कई वर्षों से यहां रहते हैं और अब इन्हें बरसात, गर्मी और ठंड किसी का प्रभाव नहीं पड़ता ।

आकाश - अच्छा यह बात कहीं तुम्हारी दादी ने तो नहीं बताई थी ।

रचना - ऐसी बात नहीं है आकाश मैंने इनके बारे में बहुत सुना और पढ़ा है ।

आकाश - तो चलो इन्हें भी एक बार पढ़ कर देख लेते हैं ।

ज्योति - रुको तुम क्या करने वाले हो अगर उन्होंने हमें देख लिया तो ।

आकाश - मैं एक बार उनकी शक्ति देखना चाहता हूं वह हकीकत है या झूठ ।

गगन - देखो वहां मुझे मंदिर नजर आ रहा है ।

रचना - हां मुझे भी।

आकाश तांत्रिकों को डराने के लिए विभिन्न जानवरों की आवाज निकालता है पर तांत्रिकों पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता

आकाश - जानवरों की आवाज में से तो यह डर ही नहीं रहे हैं लगता है कोई और तरकीब सोचनी पड़ेगी ।

रचना - रहने दो काश तुम्हारे बस की बात नहीं है ।

आकाश - अब देखो मैं क्या करता हूं मेरे बैग में कुछ फटाके भी हैं ।

आकाश पटाखों को जलाकर तांत्रिकों पर फेंक देता है, सभी तांत्रिक इधर उधर पेड़ों की आड़ में छिप जाते हैं ।

Boom ! Boom ! Boom !

रचना - यार यह क्या कर दिया तुमने अब बोलो चौकन्ना हो चुके हैं ।

तांत्रिक - साधुओं मुझे लगता है जहां पर कोई इंसान आ चुके हैं हमें उन्हें मंदिर पहुंचने से रोकना होगा ।

ओम महाकाली सर्व शत्रु मम वस्यम कुरू स्वाहा ।

सभी दोस्त तांत्रिक के वश में हो जाते हैं ।

तांत्रिक - जिसने भी मुझे क्रोधित करने का दुस्साहस किया है वह सामने आए, (क्रोध में) सामने आए ।

एक साधु - बाबा ! मुझे लगता है, इन्हें यहां दंडित करना सही नहीं होगा इन्हें हम हमारे मठ ले चलते हैं फिर देखेंगे इनका क्या करना है ।

तांत्रिक - ठीक है पकड़ लो चारों को ।

सभी तांत्रिक चारों दोस्तों को पकड़कर मठ के एक कमरे में बंद कर देते हैं, और मठ के बाहर वाले आंगन में समाधि लगा कर बैठ जाते हैं ।

तांत्रिक - हे साधुओ आज हमें मंदिर की रक्षा के लिए एक महायज्ञ करना होगा जिससे हम और भी शक्तिशाली हो जाएंगे और बाहरी लोगों को मंदिर के क्षेत्र के बाहर ही रोक सकेंगे ।

साधु - हां लेकिन आज ही क्यों ।

तांत्रिक - आज विशेष नक्षत्रों व तिथि का मिलन है जिससे हमारी साधना शीघ्र पूर्ण हो जाएगी ।

साधु - लेकिन उस महायज्ञ से निकलने वाला प्रकाश आसपास के तुच्छ जीवो को नष्ट कर सकता है यहां तक की उन चारों इंसानों को भी ।

तांत्रिक - तो आप क्या चाहते हैं ।

साधु - हमें उन चारों को मुक्त कर देना चाहिए और उन्हें दोबारा वापस ना आने की सलाह देकर छोड़ देना चाहिए ।

तांत्रिक - असंभव वे लोग जरूर यहां किसी न किसी लालच में आए होंगे ।

साधु - अवश्य हो सकता है कि वह यहां लालच में आए हो लेकिन यह पूर्णतया सत्य है यह कैसे कहा जा सकता है ।

दूसरा साधु - हमें उनसे बातचीत करके देखना चाहिए तभी हम कोई निर्णय ले पाएंगे कि उन्हें छोड़ा जाए या दंड दिया जाए ।

तांत्रिक - दूसरे साधु को कहता है, तो जाओ उन्हें जाकर मुक्त कर दो और पता करो कि वे यहां क्यों आए थे।

साधु ने जाकर वशीकरण से मुक्त कर देता है

आकाश - यह हम सब को क्या हो गया था ।

ज्योति - हम सब यहां कैसे आ गए यह कौन सी जगह है ।

साधु - तुम चारों यहां क्यों आए थे सच-सच बताओ ।

रचना - हम यहां केवल मंदिर के दर्शन करने आए थे ।

साधु - क्या तुम्हें पता नहीं है कि यहां आना मना है, अगर तुम वाकई में अपनी खैरियत चाहते हो तो वापस लौट जाओ और दोबारा यहां मत दिखना ।

गगन - ठीक है हम यहां से चले जाते हैं ।

इतना कहकर चारों दोस्त वहां से निकल जाते हैं

ज्योति - आकाश गगन क्या हो गया है ? तुम्हें क्या हम सच में वापस जा रहे हैं ।

आकाश - हम इतने बेवकूफ नहीं हो सकते हमने केवल उस साधु को झूठ बोला था ।

गगन - कम से कम हम यहां पहुंच गए अब हमें मंदिर पर चलना चाहिए वहां जाकर ही तलघर का राज पता चलेगा ।

रचना - तो क्या सच में हम वहां जा रहे हैं ।

ज्योति - हां बिल्कुल ।

आकाश - लेकिन एक बात तो साबित हो गई इन तांत्रिक के पास जरूर कोई विद्या है या कोई मंत्र जिससे इन्होंने हमें मूर्छित कर दिया था ।

गगन - एक बार हम इनका पर्दाफाश कर दें फिर इन्हें भी देख लेंगे चलो सब लोग ।

छुपते छुपाते चारों दोस्त मंदिर के पीछे वाले रास्ते से बाउंड्री के ऊपर से कूदकर मंदिर में प्रवेश कर जाते हैं ।

ज्योति - तो दोस्तों बताओ कहां से शुरू करें ।

रचना - हम अंदर आ तो गए हैं, लेकिन हमें बहुत सावधानी से पूरा काम करना होगा ।

आकाश - फिक्र मत करो सबसे पहले हमें यह देखना है, कि हम इस समय कहां है, और देख आने तक कैसे पहुंचेंगे ।

रचना - यह बहुत ही प्राचीन मंदिर है, जिसमें मंदिर में प्रवेश करने के लिए एक नहीं, बल्कि कई दरवाजे होते थे इसमें भी कोई ना कोई रास्ता जरूर होगा ।

गगन - हां वह देखो छत के ऊपर एक रास्ता है वहां पर दरवाजा भी नहीं लगा है ।

आकाश - चलो चल कर देखते हैं ।

रचना - दोस्तों यह देखो यह एक दरवाजा और है लगता है यह खुला हुआ है ।

आकाश - रुको पहले गगन और मैं जा कर देखता हूं ।

आकाश अंदर जाता है और कहता है, ज्योति रचना तुम भी अंदर आ जाओ ।

ज्योति - यह तो कोई बहुत ही प्राचीन पुस्तकालय लग रहा है जहां पर बहुत ही प्राचीन पुस्तकें हैं ।

गगन - हो सकता है हमें यहां से कुछ काम की चीजें मिल जाए ।

आकाश - देखो मुझे क्या मिला । ?

रचना - यह क्या है ।

अकाश - लगता है इस मंदिर का नक्शा है ।

ज्योति - अरे वाह ! तब तो हमारा काम और भी आसान हो गया ।

गगन - चलो तो हमें ज्यादा देर यहां रुकना नहीं चाहिए ।

आकाश नक्शे के जरिए तहखाने में जाने का रास्ता ढूंढ लेता है और चारों दोस्त ते खाने की ओर बढ़ते हैं ।

रचना - अरे ज्योति तो मेरे पीछे ही थी कहां गई हो ।

आकाश - क्या इतनी जल्दी कहां जा सकती है, अभी तो हमारे साथ ही थी ।

रचना - मुझे नहीं पता वह मेरे पीछे ही थी ।

गगन - चलो अब जाकर तुरंत देखते हैं ।

ज्योति - (बहुत ही तेज आवाज मै) भौ ।

आकाश - यह क्या मजाक है ज्योति तुम्हें पता है मैं कितना डर गया था ।

ज्योति - अच्छा अगर इतनी फिक्र है, मेरी तो मुझे हमेशा परेशान क्यों करते रहते हो ।

आकाश - तुम नहीं समझोगे चलो अब हमें देर नहीं करनी चाहिए ।

रचना - यार तूने तो डरा ही दिया था ।

चारों दोस्त मंदिर के अंदर आगे बढ़ते रहते हैं ।

गगन - जरा देखो इतना विशालकाय दरवाजा और इसे इतने सारे ताबीज ओं से क्यों बांधा गया है ?

आकाश - वह तो इसे खोल कर ही पता चलेगा ।

रचना - नहीं रुको ! यह भी तो हो सकता है, कि यहां कोई बुरी चीजें हो इसलिए तो इसे इतने सारे ताबीज हमसे अभिमंत्रित किया गया है ।

आकाश - यार मैंने बहुत सी फिल्मों में देखा है, लोगों को डराने के लिए यह सारी फालतू चीजें लटका दी जाती है ।

ज्योति - हां और यह भी तो हो सकता है कि यहीं पर वह खजाना हो ।

गगन - यार हम कहीं कुछ गलत तो नहीं कर रहे हैं हमें एक बार नक्शा देखना चाहिए ।

आकाश - नक्शे के हिसाब से तो हमें इसी दरवाजे में जाना चाहिए, तुम भी देख सकते हो ।


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