डॉ. भीमराव अंबेडकर ( Bheemaraav ambedakar sanvidhaan ke lekhak )


डॉ. भीमराव अंबेडकर

एक मेधावी युवक अमेरिका में इंग्लैंड से उच्च शिक्षा प्राप्त करके, बैरिस्टर की डिग्री लेकर भारत आया | उसने मुंबई हाई कोर्ट में प्रैक्टिस की, उसकी वैधिक प्रखंडता का लोहा तो सभी ने मान लिया, उसे बड़े-बड़े मुकदमे मिले, फीस की मोटी मोटी रकम भी मिली, किंतु नहीं मिला उसे किराए का मकान | किंतु इस युवक को इस देश की धरती से प्यार था, यहां की संस्कृति से प्यार था | और यह सब रहते हुए भी यहां रहा यह युवक थे- डॉक्टर अंबेडकरजिन्हें अर्थशास्त्र व कानून के प्रकांड विद्वान, भारत के संविधान निर्माता, हरिजनों के प्रमुख नेता, एक सच्चे समाज सुधारक और महान लेखक के रूप में स्मरण किया जाता है |

डॉ अंबेडकर का जन्म 14 अप्रैल 1891 को, वर्तमान मध्य प्रदेश तथा तत्कालीन इंदौर रियासत में, मऊ नामक स्थान पर एक महान सैनिक पिता के घर हुआ था | भारत में अपनी शिक्षा समाप्त कर वे विदेश गए, वहां उन्होंने खूब मन लगाकर पढ़ाई की, वे घंटों लाइब्रेरी में मन लगाकर पुस्तकें पढ़ा करते थे | पुस्तकालय के अधिकारी भी उनकी इस जिज्ञासु वृत्ति व ज्ञान पिपासा को देखकर आश्चर्य करते थे, अंत में वह बैरिस्टर बनकर भारत लौटे इतना ज्ञान इतनी डिग्रियां लेने के बाद भी कुछ लोगों की संकीर्णता उन्हें जीवन भर परेशान करती रही |
उन्होंने बहुत सी डिग्रियां अर्जित की, जैसे कैंब्रिज विश्वविद्यालय से पीएचडी तथा डीएससी कोलंबिया विश्वविद्यालय से एलएलबी तथा उस्मानिया विश्वविद्यालय से डी लिट की उपाधि प्राप्त की थी |

यूं तो दलितोंधार का शंखनाद स्वामी दयानंद के भागीरथ प्रयासों से हो गया था, महात्मा गांधी तथा ठक्कर बापा आदि ने भी इस दिशा में बहुत कुछ किया, किंतु अधिकार पाने के लिए संघर्षरत होने की अग्नि डा अंबेडकर ने चलाई वह अपने ढंग की एक ही मिसाल है | उस विराट व्यक्तित्व पर हर कोई भारतीय गर्व कर सकता है, कितने ही विदेशी लोगों ने उनकी मुक्त कंठ से प्रशंसा की है |
जान ग्रंथन ने अपनी पुस्तक "एशिया की भीतर" में उनके विषय में लिखा है, मैं उनके दादर स्थित निवास पर गया तो उनके पुस्तकालय को देखकर चकित रह गया उसमें 35000 दुर्लभ पुस्तकें थी जिनके लिए उन्होंने पृथक भवन बना रखा था उनकी बातों से पांडित्य का रस टपकता था, और व्यवहार से शालीनता |

डा भीमराव अंबेडकर अर्थशास्त्र के प्रतिष्ठित विद्वान थे | उन्होंने लंदन विश्वविद्यालय में बीएससी के लिए जो शोध प्रबंध प्रस्तुत किया, उसमें उन्होंने यह स्पष्ट किया, कि विदेशी शासक किस प्रकार रुपए तथा पौंड का असंतुलित संबंध स्थापित करके मनमाना लाभ कमा रहे हैं | उस शोध प्रबंध के प्रकाश में आने पर भारतीय प्रांतीय विधानसभाओं ने इस अर्थ नीति के विरोध में आवाज बुलंद की, अंततः अंग्रेज सरकार को अपनी भेद भरी अर्थ नीति बदलनी पड़ी थी |
वे बहुत बड़े एवं महान विधिवेत्ता थे | संविधान सभा की प्रारूप समिति के अध्यक्ष अपनी इसी योग्यता के कारण बनाए गए थे | भारत के प्रथम विधि निर्माण मंत्री के रूप में उन्होंने हिंदू कोड बिल को एक दो धाराओं के रूप में कर के पास कर ही दिया |

इस प्रकार पुरातन पंत से निकालकर उन्होंने हिंदुओं को एक प्रगतिशील मार्ग पर ला खड़ा किया, उन्होंने अर्थशास्त्र, राजनीति, अछूतोंधार, कानून तथा सामयिक संदर्भ पर उत्तम से उत्तम पुस्तकें लिखी हैं, जिनमें उनकी विद्वता सर्वत्र परिलक्षित होती है | 6 दिसंबर 1956 को (म्रत्यु) वे सदा के लिए प्रयाण कर गए समाज सुधारक और दलित बंधु के रूप में तो उन्हें जाना ही जाता है | वे भारतीय संस्कृति व भारत देश के बहुत बड़े सपूत के रूप में भी स्मरण किए जाते रहेंगे |