दुर्व्यसन बनाम असफलता durvyasan banam asafalta ( Addiction vs failure )


दुर्व्यसन बनाम असफलता

नयन 12वीं कक्षा के विज्ञान वर्ग का छात्र था । पिछली कक्षाओं में वह प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण हुआ था, 11वीं कक्षा में वह विद्यालय का टॉपर छात्र था, परंतु बारहवीं कक्षा के अध्ययनरत रहते हुए उसका कार्य व व्यवहार में बड़ा परिवर्तन आ चुका था, अब वह अक्सर थका-थका सा चिंतित और सुस्त नजर आने लगा उसका मिलनसार वहां से मुख स्वभाव क्रोधी और चिड़चिड़ापन में तब्दील हो चुका था । दोनों सामयिक जांचों में भी वह अन्य विद्यार्थियों से बहुत अधिक पिछड़ गया था ।

नयन को रसायन विज्ञान के अध्यापक ने भी नयन से इसके बारे में अनेक बार पूछा परंतु वह मौन ही रहा था ।

एक दिन रसायन विज्ञान के अध्यापक श्री प्रवीण जी को नयन की बहन 'पलक' मिल गई वह शहर के एक महाविद्यालय में एम.एम.सी. (प्राणी शास्त्र) फाइनल की छात्रा थी गुरुजी ने उसे बहन के बारे में सब कुछ बताया । गुरुजी की बात सुनकर पलक बोली - पिताजी व्यापार की वजह से अक्सर घर से बाहर रहते हैं, मैं शहर से महीने भर बाद आती हूं, इन दिनों नयन कुसंगति का शिकार बना हुआ है । स्कूल समय के पश्चात वह अक्सर गांव के बदमाश छोकरो के साथ मटरगश्ती करता फिरता है, उसके साथ सिगरेट पीना, गुटखा खाना तथा अन्य नशीले पदार्थों का सेवन करना उसकी लत बन चुके हैं, परंतु वह तो चिकना घड़ा बना हुआ है । हमें इस बात की गहरी की चिंता है कि यदि समय रहते उसे नशे के चंगुल से नहीं निकाला गया तो उसका जीवन बर्बाद हो जाएगा और पग पग पर उसे असफलता का सामना करना पड़ेगा ।

यदि ऐसा है तो हम बड़े वैज्ञानिक तरीके से उसकी इस गलती को छुड़ाने का प्रयत्न करेंगे गुरुजी ने आश्वासन देते हुए कहा ।

कुछ ही दिनों में रसायन विज्ञान के गुरु जी ने प्रधानाचार्य जी से मिलकर विद्यालय में दूरव्यसन और उनके स्वास्थ्य पर प्रभाव संबंधी एक प्रदर्शनी लगाई, प्रदर्शनी चार भागों में विभक्त की प्रत्येक भाग में चित्र एवं चार्ट लगे हुए थे तथा उन्हें समझाने वाले शिक्षक भी मौजूद थे ।

प्रदर्शनी के पहले भाग में तंबाकू तथा गुटके के सेवन से होने वाले दुष्प्रभाव से संबंधित विभाग व डरावने चित्र लगे हुए थे । जीव हॉट व जबड़े के कैंसर के चित्र देखकर मैंने प्रथम भाग के प्रभावी शिक्षक से पूछा- सर इन व्यक्तियों की ऐसी दुर्दशा होने का क्या कारण है ?

प्रत्युत्तर में विज्ञान के शिक्षक सक्सेना जी बोले - ऐसा इन व्यक्तियों द्वारा अत्यधिक गुटका खाने तथा अधिक मात्रा में धूम्रपान करने से हुआ है । तंबाकू में निकोटिन नामक मादक पदार्थ होता है, निकोटिन धमनियों की दीवारों को मोटा कर देता है, जिससे रक्त प्रवाह में रुकावट आ जाती है तथा हृदय संबंधी रोग हो जाते हैं । घुटनों के अधिक प्रयोग से सबम्यूकस फाइब्रोसिस रोग हो जाता है, जिसमें जबड़े वह मांस पेशियां कठोर हो जाने से झगड़ा ठीक से खुलता नहीं है, तंबाकू के निरंतर सेवन से मुंह जीव गले व फेफड़ों में कैंसर हो जाता है । सभी विद्यार्थी जानकारी से बड़े प्रभावित हुए ।

प्रदर्शनी के दूसरे भाग में मदिरा सेवन के दुष्प्रभाव से संबंधित चित्र लगे थे । इन्हें समझाते हुए इस भाग के शिक्षक बोले मदिरापान से अल्कोहल यकृत में पहुंचकर एसिटल्डिहाइड मैं बदलता है, जो विषैला पदार्थ है । मदिरा के सेवन से अनु मस्तिष्क प्रभावित होता है, व्यक्ति चलते समय लड़खड़ाने लगता है तथा उसकी स्मरण शक्ति समाप्त हो जाती है ।

वैभव ने पूछा - गुरुजी मदिरा सेवन से शरीर को और क्या क्या नुकसान होता है ।
गुरुजी बोले - मदिरा में नियमित सेवन से सिरोसिस ऑफ लिवर नामक रोग हो जाता है । तथा परिवार की आर्थिक दशा खराब हो जाती है ।

प्रदर्शनी का तीसरा भाग ओपिएट नामक नशीले पदार्थों से संबंधित था, इस भाग को अवलोकन करते समय कक्षा ग्यारहवीं की मंजू ने पूछा गुरुजी इन जाटों के बारे में जानकारी दीजिए ।
तभी इस भाग के प्रभारी अध्यापक ने कहा यह दर्द निवारक औषधियां है, जो मस्तिष्क की सक्रियता को कम करती हैं, इनमें मुख्यत अफीम, मार्फिन, हेरोइन व बेहतरीन प्रमुख है । इनकी निरंतर सेवन से व्यक्ति इनका आदी हो जाता है, मस्तिष्क की सूझबूझ कम हो जाती है, आवाज हकलाती है, सिर दर्द रहने लगता है तथा शरीर की प्रतिरोधक क्षमता कम हो जाती है ।

प्रदर्शनी का अंतिम भाग विभ्रमक, भांग, चरस, गांजा, हशीश तथा एल. एस. डी. जैसे नशीले पदार्थों से संबंधित था । जब कक्षा 10 की सपना ने इन नशीले पदार्थों के बारे में पूछा तो इस भाग के प्रभारी गुरु जी बोले - युवा वर्ग अक्सर इन पदार्थों के चंगुल में फंस जाते हैं, इन के निरंतर उपयोग से जहां शारीरिक व मानसिक कमजोरी आती है । वही अपराध की प्रवृत्ति भी बढ़ती है । स्मैक वह हीरोइन के प्रयोग से शरीर जर्जर हो जाता है, ह्रदय, यकृत व फेफड़े खराब हो जाते हैं ।
प्रदर्शनी के अंत में हुई एक सभा में रसायन विज्ञान के प्राध्यापक जी ने कहा - शुरू शुरू में व्यक्ति आनंद की अनुभूति के लिए इन नशीले पदार्थों का सेवन करता है, परंतु अंततोगत्वा यह उनकी लत बन जाती है । मुझे छोड़ना कठिन होता है, नशा जीवन में निर्धारित लक्ष्यों की पूर्ति में बाधक बनता है । नशे के कारण हमें कदम कदम पर असफलता का मुंह देखना पड़ता है, अतः हमें दूर व्यसनों से सदैव बचना चाहिए । इस अवसर पर विद्यालय के बहुत से छात्रों ने दूर व्यसन त्यागने का संकल्प लिया स्वयं नयन ने भी दूरव्यसनों को त्याग दिया । वह पुनः कक्षा का स्मार्ट, होशियार व मेधावी छात्र के रूप में जाना जाने लगा ।