अल्पविकसित अर्थव्यवस्था की विशेषताएं (Alpviksit desh ya arthvyavastha ki visheshtaye)
भौतिकी में अल्पविकस एक सापेक्ष विचार है, इसका आचार विकास की प्रक्रिया में कमी से है । जब किसी अर्थव्यवस्था में विकास की दर काफी कम होती है तो ऐसी अर्थव्यवस्था को अल्पविकसित अर्थव्यवस्था कहती है इस प्रकार की अर्थव्यवस्था में उपलब्ध मानव संसाधनो का पूर्ण उपयोग नहीं हो सकता है, जिसके फलस्वरूप प्राकृतिक और मानवीय संसाधनो का अव्यय होता है । कृषि क्षेत्र की पुकता होती है, कुल कार्यशील जनसंख्या का लगभग 60% अपनी आजीविका के लिए कृषि क्षेत्र में प्रति हेक्टेयर और प्रति व्यक्ति उत्पादन का स्तर काफी नीच होता है । लोगो का जीवन स्तर निम्न कोटि का होता है ।
एक अल्पविकसित अर्थव्यवस्था के अलग-अलग अर्थशस्त्रियो ने अलग-अलग द्रष्टव्य से परिभाषित किया है, लेकिन इन सभी परिभाषाओं के आधार पर सर्वमान्य परिभाषा दी जा सकती है ।
परिभाषाएक अल्पविकसित अर्थव्यवस्था वह अर्थव्यवस्था है जिसमें जनसंख्या वृदी की दर ऊची है, के भौतिक और मानवीय संसाधन पर्याप मात्रा में विद्यमान है परतु अल्पशोषित है । बियर की निर्माण दर नीची है, एक और लोगो का रहन सहन का स्तर नीची है, लेकिन दूसरी ओर उपलब्ध उपलब्ध मानवीय और वित्तीय संसाधन के उपयोग से निरंतर परिवर्तनशील है ।
अल्पविकसित अर्थव्यवस्था की विशेषताएं (लक्षण)उपरोक्त परिभाषा के आधार पर एक अल्पविकसित अर्थव्यवस्था में निम्नलिखित लक्षण होते हैं ।
1. जनसंख्या: एक अल्पविकसित अर्थव्यवस्था के प्रमुख लक्षण या विशेषता यह है इन रास्तो में जनसंख्या की दर 2.2% से लेकर 2.5% तक होती है, इन रास्तो में प्रतिवर्ष जनसंख्या लगभग 2.5% से बढ़ जाती है जिसके फल स्वरूप अर्थव्यवस्था से आधारिक सेवाएं जैसे रोटी कपड़ा और मकान की अप्रचलित क्षेत्र हो जती है ।
2. निर्धनता: अल्पविकसित अर्थव्यवस्था के एक दूसरे प्रमुख विशेषता यह है कि ये रास्तो में जनसंख्या का बहुत बड़ा प्रतिशत गरीबी रेखा के नीचे जीवन यापन करता है, लगभग 22% वर्ष से लेकर 25% तक जनसंख्या गरीबी रेखा के नीचे रहती है जो की अर्थव्यवस्था के आर्थिक विकास में एक बहुत बड़ा अवरोधक है ।
3. आय का असमान वितरण: अल्पविकसित अर्थव्यवस्था में ना केवल निर्धनता या गरीबी प्रवृत्ति होती है, बल्कि आय के वितरण में बहुत अधिक असमानता पाई जाती है भारतीय अर्थव्यवस्था में जो की अल्पविकसित अर्थव्यवस्था है । कुल राष्ट्रीय आय का 60% केवल 250 सौ घरानों के पास है और शेष 40% आय अन्य जनसंख्याओं के पास है, जोकि अर्थव्यवस्था में आय का असमान वितरण दर्शाता है ।
4. बेरोजगारी: अधिकांश अल्पविकसित देशों में व्यापक बेरोजगारी, अल्प बेरोजगारी और प्रचेन्न बेरोजगारी विद्यमान होती है । इसका प्रमुख कारण यह है कि इस देशों में पूंजी की तुलना में श्रमशक्ति बहुत अधिक विद्यमान होती है, जनसंख्या के लगातार बढ़ने के का बेरोजगारी की समस्या और अधिक जट जटिल हो जाता है । जिसके कारण अर्थव्यवस्था में मानव संसाधनों का अपव्यय होता है । 5. पिछड़े प्रौद्योगिकी: अल्पविकसित अर्थव्यवस्थाओं के उत्पादन की परंपरागत या पिछड़े प्रौद्योगिकी का प्रयोग किया जाता है, जिसके कारण उत्पादन उत्पादकता का स्तर काफी नीचा होता है । कृषि क्षेत्र उत्पादन के लिए प्रमुक मुख्यत पारंपरिक तकनीक जैसे बेलों से माध्यम से खेतों की जुताई की जाती है, जिसके कारण कृषि प्रमुख क्षेत्र में उत्पादकता का स्तर काफी नीचा रह जाता है ।
6. संसाधनो का अधिशेष उपयोग: अल्पविकसित अर्थव्यवस्था के प्राकृतिक और मानवीय संसाधनों की प्रचुरता बहुत विदोहन अधिक मात्रा में होती है, लेकिन इसका आधार विदोहन और अल्प उपयोग होता है । उन अर्थव्यवस्थाओं को या तो या तो वन संसाधनों की पूरी जानकारी उपलब्ध नहीं है, या पूंजी के अभाव और उद्यमशीलता के अभाव के कारण इन संसाधनों का पूर्ण उपयोग संभव नहीं हो पाता है ।
7. कमजोर प्रशासनिक ढांचा: अल्प विकसित देशों में प्रशासन सैनिक न केवल कमजोर और आकर अकुशल है, बल्कि मार्जिन भी है अकुशल प्रशासन के कारण दीर्घकालीन आर्थिक नीतियों को संचालित करना संभव नहीं हो पाता है । अनुकूल नियंत्रण और प्रबंधकीय अकुशलता के कारण उपलब्ध संसाधनों के द्वारा आर्थिक विकास के लक्ष्यों को प्राप्त करना संभव नहीं हो पाता है ।
8. कृषि की प्रधानता: अल्पविकसित अर्थव्यवस्था में कृषि क्षेत्र की प्रमुखता होती है, अल्प विकसित देशों में जनसंख्या 71% भाग गाँव में होती है । जहां कृषि ही जीविका का एक प्रमुख साधन है कृषि क्षेत्र में लगभग 70% जनसंख्या कार्यशील होते हैं, जिसके कारण भूमि पर लगातार जनसंख्या का भार बढ़ रहा है । जिसके कारण कृषि उपलब्धता के स्तर में कमी हो गई है ।
9. पूंजी निर्माण के नीचे दर्रा: अल्पविकसित देशों में पूंजी निर्माण की दर बहुत नीची होती है, पूंजी निर्माण के निम्न दर होने के कारण अर्थव्यवस्था में निवेश के दर में कमी हो जाती है । जिसके फलस्वरुप उद्यमशीलता में भी कमी हो जाती है, और अर्थव्यवस्था में आर्थिक विकास के दर भी धीमा हो जाता है ।
10. विदेशी व्यापार: अल्पविकसित देशों की राष्ट्रीय आय में विदेशी व्यापार का बहुत कम भार होता है, ये अर्थव्यवस्थाएं पारंपरिक वस्तुओं का निर्यात करती हैं जिनकी शेष दुनिया में मांग बहुत कम होती है । जिनके कारण इन रास्तो को विदेशी व्यापार से बहुत कम आय की प्राप्ति होती है ।