सामाजिक संगठन और सामाजिक विघटन (samajik sangathan aur samajik vighatan)
समाज एक जटिल सामाजिक व्यवस्था है । मैकाइवर के शब्दों में, ' यह व्यवस्था सतत् परिवर्तनशील है । ' सामाजिक व्यवस्था को परिवर्तित करने में सामाजिक प्रतिक्रियाओं की महत्वपूर्ण भूमिका होती है ।
सामाजिक प्रतिक्रियाएँ दो प्रकार की होती हैं
( 1 ) संगठनकारी ( Associative ) ( 2 ) विघटनकारी ( Dissociative ) ।
संगठनकारी प्रक्रियाएँ जहाँ एक ओर समाज को संगठित करती है, वहीं दूसरी ओर विघटनकारी शक्तियों के कारण सामाजिक विघटन भी होता रहा है, इसीलिए इलियट और मेरिल ने लिखा है कि ' सामाजिक विघटन एक जटिल प्रक्रिया है । '
सामाजिक संगठन और सामाजिक विघटन में प्रमुख अन्तर निम्नलिखित है ।
( 1 ) सामाजिक संगठन में एकमतिता ( Unanimity ) पाई जाती है, सामाजिक विघटन में मतों की विविधता पाई जाती है ।
( 2 ) सामाजिक संगठन में एकरूपता पाई जाती है, सामाजिक विषटन में जनसंख्या में विभिन्नता पाई जाती है ।
( 3 ) सामाजिक संगठन परस्पर विश्वास की भावनाओं पर आधारित होता है, जबकि सामाजिक विघटन परस्पर अविश्वास पर ।
( 4 ) सामाजिक संगठन में हितों और उद्देश्यों में समानता पाई जाती है, जबकि सामाजिक विघटन में व्यक्तिवाद एवं हितों तथा उद्देश्यों में विभिन्नता पाई जाती है ।
( 5 ) सामाजिक संगठन की स्थिति में व्यक्ति के व्यवहारों में बौद्धिकता पाई जाती है, जबकि सामाजिक विघटन सुखवादी व्यवहारों को प्रोत्साहन करता है ।
( 6 ) सामाजिक संगठन कर्तव्यों पर अधिक बल देता है, जबकि सामाजिक विघटन की अवस्था अधिकारों के मार्ग को प्रोत्साहित करती है ।
( 7 ) सामाजिक संगठन समाज के पवित्र तत्वों की रक्षा करता है, जबकि सामाजिक विघटन पवित्र तत्वों के अध : पतन ( Degeneration ) की अवस्था है ।
( 8 ) सामाजिक संगठन सदस्यों में ईमानदारी की प्रवृत्ति को प्रोत्साहित करता है, जबकि सामाजिक विघटन आडम्बर ( Offentation ) को अधिक महत्व प्रदान करता है ।
( 9 ) सामाजिक संगठन समाज में शान्ति और संवृद्धि की अवस्था है, जबकि सामाजिक विघटन अशान्ति और दुःख की अवस्था है ।
( 10 ) सामाजिक संगठन की अवस्था में समाज में व्यक्तियों के पदों और कार्यों में समन्वय पाया जाता जन्म देता है । है . जबकि सामाजिक विषटन व्यक्तियों के पदो और कार्यों में असमन्वय या विरोध की स्थिति को ।
( 11 ) सामाजिक संगठन में रूदियों और संस्थाओं में समन्वय की स्थिति पाई जाती है, जबकि सामाजिक विघटन रूढ़ियों और संस्थाओं में संघर्ष की स्थिति का नाम है ।
( 12 ) सामाजिक संगठन में सामाजिक मूल्य और व्यक्तिगत दृष्टिकोण में समानता पाई जाती है, जबकि सामाजिक विघटन को अवस्था सामाजिक मूल्य व्यक्तिगत दृष्टिकोण के साथ मेल नहीं खाते हैं ।
( 13 ) सामाजिक संगठन में सामाजिक नियंत्रण के साधन प्रभावशाली होते है । साथ ही सामाजिक नियन्त्रण में अनौपचारिक साधनों का महत्व होता है । सामाजिक विघटन में नियन्त्रण के साधन प्रभावहीन हो जाते हैं तथा औपचारिक साधनों के महत्व में वृद्धि हो जाती है ।
( 14 ) सामाजिक संगठन व्यक्ति और समाज के बीच सामंजस्य की स्थिति है । सामाजिक विघटन में व्यक्ति और समाज में संघर्ष पाया जाता है ।
( 15 ) सामाजिक संगठन की अवस्था में सामाजिक कानूनों का आदर किया जाता है, जबकि सामाजिक विघटन की स्थिति में सामाजिक कानूनों की उपेक्षा की जाती है ।
( 16 ) सामाजिक संगठन की अवस्था में समाज के विविध भागों में सामंजस्य एवं समन्वय पाया जाता है, जबकि सामाजिक विघटन की अवस्था में समाज के विभिन्न भागों में सामंजस्य की स्थिति पाई जाती है ।
( 17 ) सामाजिक संगठन से समाज की स्थिर अवस्था का बोध होता है, जबकि सामाजिक विघटन समाज की गतिशील अवस्था का द्योतक है ।
( 18 ) सामाजिक संगठन समाज की स्वस्थ अवस्था है जबकि सामाजिक विघटन समाज की विकृत अवस्था का नाम है ।