सामाजिक संरचना की परिभाषाएँ (samajik sanrachna ki paribhasha)


सामाजिक संरचना की परिभाषाएँ

विभिन्न समाजशास्त्रियों ने सामाजिक संरचना की अवधारणा को स्पष्ट किया है । यहाँ सामाजिक संरचना की कुछ परिभाषाएँ दी जा रही है, जो निम्नलिखित हैं ।
( 1 ) कार्ल मैनहीम के अनुसार -”सामाजिक संरचना अन्तः क्रियात्मक सामाजिक शक्तियों का जाल है, जिससे विभिन्न प्रकार के अवलोकन और विचार पद्धतियों का जन्म हुआ है ।”
( 2 ) पारसन्स के अनुसार -”सामाजिक संरचना परस्पर संबंधित संस्थाओं, एजेन्सियों, सामाजिक प्रतिमानों और समूह के प्रत्येक सदस्य द्वारा ग्रहण किये गये पदों और कार्यों की विशिष्ट व्यवस्था को कहते हैं ।”
( 3 ) गिन्सवर्ग के अनुसार -”सामाजिक संरचना सामाजिक संगठन के प्रमुख स्वरूप अर्थात् समितियों, समूहों तथा संस्थाओं के प्रकार एवं इनकी सम्पूर्ण जटिलता, जिनसे कि समाज का निर्माण होता है, संबंधित है ।”
( 4 ) व्राउन के अनुसार -”मानव सामाजिक संबंधों के जटिल जाल के द्वारा संबंधित है । मैं सामाजिक संरचना के इस वास्तविक अस्तित्व रखने वाले संबंधों के जाल को संबोधित करता हूँ ।”
( 5 ) इग्गन के अनुसार -”अन्त वैयक्तिक संबंध सामाजिक संरचना के अंग है, जो कि व्यक्तियों द्वारा अधिकृत पद - स्थितियों के रूप में सामाजिक संरचना के अंग बन जाते है और उसका निर्माण करते हैं ।”
( 6 ) प्रिचार्ड के अनुसार -”केवल समूहों के अन्तः संबंध ही सामाजिक संरचना के अन्तर्गत आते हैं ।”
( 7 ) मैकाइवर तथा पेज के अनुसार -”समूह निर्माण के विभिन्न रूप संयुक्त रूप से सामाजिक संरचना के जटिल प्रतिमान की रचना करते है । सामाजिक संरचना के विश्लेषण में सामाजिक प्राणियों की विविध मनोवृत्तियों तथा रुचियों के कार्य प्रदर्शित होते है ।”

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