गुरु और वचन कहानी (Guru aur Vachan kahani)


गुरु और वचन

लेखक - संदीप चौहान

भारत एक ऐसा देश है, जहां पर जाति धर्म को बहुत मान्यता दी जाती है इसी तरह सालिक भी धर्म संकट में पड़ गया था । तो कहानी शुरू होती है, उस समय से जब सालिक केवल 15 साल का था वह केवल दूसरी पास था । अंग्रेजों के जमाने मे लोगों पर अत्याचार और अंग्रेजों की क्रूरता देखकर सालिक और भी आगे पढ़ना चाहता था । लेकिन वह कर भी क्या सकता था, गरीबी के कारण वह लाचार हो चुका था । लेकिन गांव में लोग उसकी बहुत इज्जत करते थे । एक दिन सालिक के एक बात समझ में आई, कि हमारे देश में जाति और धर्म ही नहीं जादू टोना को भी बहुत माना जाता है । तो क्यों ना इसकी सच्चाई पता की जाए, तभी सालिक एक तांत्रिक के पास गया । जिनका नाम पंचम गुरु था । सालिक के कहने पर पंचम गुरु ने उसे अपना शिष्य मान लिया 2 साल तक उसने पंचम गुरु से शिक्षा प्राप्त की और बहुत सी जड़ी बूटियों के बारे में भी जानकारी हासिल की । सालिक को विश्वास हो गया था, कि हमारे देश में आज भी ऐसी ऐसी चीजें हैं जिसके बारे में विज्ञान भी पता नहीं कर पाया है । कम पढ़ा-लिखा होने के बाद भी वह बहुत बुद्धिमान था । एक दिन उसके गुरु पंचम ने उसे सलाह दी कि यदि तुम्हें और भी ज्ञान प्राप्त करना है, तो केवल मुझसे ही नहीं और भी गुरुओं से तुम्हें शिक्षा प्राप्त करनी चाहिए । सालिक ने वैसा ही किया । उसने मानू गुरू, खुन्नू गुरु और समारू इन तीनों को भी गुरु बनाया और अच्छा ज्ञान प्राप्त कर लिया । लगभग 17 साल की उम्र में वाह बहुत ही बुद्धिमान व्यक्ति बन चुका था । पंचम गुरु सालिक से वचन लेते हैं कि उसकी सिखाई हुई विद्या का वह सही उपयोग करेगा और इस विद्या को सीखने का जब तक उद्देश्य पूरा नहीं हो जाता वह विवाह नहीं करेगा । सालिक यह वचन पंचम गुरु को दे देता है । एक दिन उसी के गांव की एक लड़की ने सोचा कि बहुत से बड़े बड़े बुद्धिमान लड़के मिलते हैं । परंतु जो मेरे प्रश्नों का उत्तर दे देगा मैं केवल उसी से विवाह करूंगी । यह निर्णय करके वह गांव के पंचों के पास जाती है । गांव में एक समस्या को लेकर पंचों के बीच बातचीत चल रही थी । वहां पर और भी बहुत से गांव के लोग इकट्ठे हुए थे लड़की ने गांव के लोगों के सामने शर्त रखी, कि मेरे पूछे गए एक सवाल का जवाब यदि कोई दे देता है, तो मैं उससे विवाह कर लूंगी । पंचों को यह बात मंजूर हो जाती है, और वे गांव के बहुत से बुद्धिमान लोगों को तुरंत बुला लेते हैं । बहुत से लोग लड़की के सवाल पर टिप्पणी करते हैं, परंतु उस लड़की को अपने सवाल का सही जवाब नहीं मिल पाता । तभी अचानक सालिक जंगल से लकड़ी लाते हुए देखता है की पंचो की भीड़ क्यों लगी है । वह लकड़ी के गट्टे को अपने घर के सामने पटकता है और पंचायत में चला जाता है । सालिक को इस बात का पता नहीं चलता कि आखिर पंचायत में किस लिए वाद विवाद चल रहा है ।

वह लड़की बहुत ही सुंदर होती है, और गांव के बहुत से लड़के उसका जवाब दे दे कर थक जाते हैं । तभी सालिक वहां पहुंच जाता है, और लड़की अपना प्रश्न फिर से दोहराती है । तभी सालिक लड़की के सवाल का जवाब इतनी आसानी से दे देता है, मानो उस सवाल का जवाब कठिन था ही नहीं । यह देख कर सभी पंच और गांव के लोग आश्चर्य में पड़ जाते हैं, और वह लड़की बहुत प्रसन्न हो जाती है । क्योंकि सालिक बुद्धिमान तो था ही, साथ ही गांव के लोगों के मध्य एक चर्चा का रूप भी था । उस लड़की को लगता है कि शायद उसने यह फैसला करके बिल्कुल सही किया था, और फिर पंच सालिक को अपने पास बुलाते हैं, और कहते हैं बेटा तुमने इस लड़की के सवाल का बिल्कुल सही जवाब दिया है । अब इस बात का निर्णय किया जाए, कि तुम्हारी शादी इससे कब होनी चाहिए । यह बात सुनकर सालिक आश्चर्य में पड़ जाता है । वह सोचता है कि उसके हाथों कितनी बड़ी गलती हो गई है । वह पंचों से क्षमा मांगता है, साथ ही उस लड़की से भी क्षमा मांगता है वह कहता है कि मुझे इस बात के लिए माफ कर दीजिए मुझे नहीं पता था की यहां क्या हो रहा है, मैंने बिना सोचे समझे इस लड़की के सवाल का जवाब दे दिया । यह बात सुनकर लड़की क्रोधित हो जाती है, और इसे अपना अपमान समझ बैठती है । साथ ही गांव के पंच भी क्रोधित हो जाते हैं । वह सालिक को हुक्म देते हैं कि यदि तुमने इस लड़की से विवाह नहीं किया, तो तुम्हें बहुत बड़ा दंड मिल सकता है । सालिक दंड के डर से पंचों के सामने विवाह के लिए तैयार हो जाता है, और लड़की का गुस्सा शांत हो जाता है । वह उस लड़की को अपने घर लेकर आ जाता है, लेकिन पहले ही दिन पंचम गुरु को इस बात की खबर लग जाती है, और वह कुल्हाड़ी उठाकर सालिक के घर की ओर निकल पड़ता है । घर पहुंचते ही वह सालिक को बाहर से आवाज लगाता है- धोखेबाज, बेवकूफ शिष्य बाहर आ मैं आज तुझे जिंदा नहीं छोडूंगा । सालिक तुरंत बाहर आता है, साथ ही वह लड़की भी बाहर आती है । पंचम गुरु कहते हैं कि तुमने मुझे धोखा दिया है तूने मुझे वचन दिया था कि जब तक हमारा काम पूरा नहीं होता तुम विवाह नहीं कर सकते । सालिक उसे पूरी बात बताता है परंतु फिर भी पंचम गुरु नहीं मानते अपने गुरु का वचन पूरा करने के लिए सालिक फिर से अपनी बुद्धि का इस्तेमाल करता है । वह उस लड़की को समझाता है कि हां तुम मेरी पत्नी अवश्य बन सकती थी, परंतु मुझे अपने गुरु का वचन भी पूरा करना है वह निशानी के तौर पर उस लड़की को स्वयं की मेहनत से एक पायल खरीद कर देता है, और उस लड़की की किसी दूसरे लड़के के साथ शादी करा देता है । इस बात पर पंचों को भी कोई आपत्ति नहीं होती । सालिक की दुविधा देखते हुए लड़की भी इस बात के लिए राजी हो जाती है, और आखिर धर्म की रक्षा करते हुए, सालिक ने अपने विवाह के साथ अपने गुरु के वचन की भी लाज रख ली । बाद में वही सालिक बड़ा होकर सालिक दास धर्मगुरु के नाम से प्रसिद्ध हुआ । यह कहानी सत्य घटना पर आधारित है ।